Move to Jagran APP

'आधार' के निराधार पर फंसा पेंच, विकसित मुल्‍कों ने किया खारिज, 12 अंकों के फेर में सरकार

वर्ष 2016 में ब्रिटेन ने राष्ट्रीय बायोमेट्रिक पहचान पत्र योजना को छोड़ दिया था। अमेरीका भी इस तरह की किसी योजना पर अमल नहीं करता।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 02:51 PM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 09:00 AM (IST)
'आधार' के निराधार पर फंसा पेंच, विकसित मुल्‍कों ने किया खारिज, 12 अंकों के फेर में सरकार
'आधार' के निराधार पर फंसा पेंच, विकसित मुल्‍कों ने किया खारिज, 12 अंकों के फेर में सरकार

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। आधार कार्ड केंद्र सरकार द्वारा भारतीय नागरिकों को जारी किया जाने वाला 12 अंकों का पहचान पत्र या पहचान संख्या है। यह भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ( यूएडीएआइ) द्वारा जारी और प्रबंधित किया जाता है। आइए जानते हैं कि आधार कार्ड की कैसे हुई शुरुआत। क्‍या है इसके प्रावधान और क्‍या है यूएडीएआइ। 

loksabha election banner

ये सवाल उठे
- इस वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने आधार के मसले पर लगातार 38 दिन सुनवाई की थी। इस दौरान जो प्रमुख सवाल आधार पर उठाए गए वे ये थे :
- या आधार अधिनियम, 2016 संवैधानिक है क्योंकि इसे संसद में वित्त विधेयक के रूप में पारित किया गया था?
- हर नागरिक को विशिष्ट पहचान संख्या की क्या जरूरत है? क्या पहचान पत्र के लिए राशन कार्ड या पासपोर्ट पर्याप्त नहीं है?
- क्या आधार हमारे निजता के अधिकार का उल्लंघन है, जिसे बीते साल अगस्त में संविधान पीठ की नौ जजों की बेंच ने मौलिक अधिकारों में शामिल किया था?
- क्या होगा अगर राज्य या केंद्र लोगों पर नजर रखने के लिए आधार के डाटा का प्रयोग करने लगे? क्योंकि लोगों की हर गतिविधि और क्रियाकलाप को इसके जरिये ट्रैक किया जा सकता है।

जस्टिस पुट्टास्वामी
आधार कार्ड के खिलाफ कई लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसमें कर्नाटक हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज पुट्टास्वामी भी शामिल हैं। इस केस को जस्टिस केएस पुट्टास्वामी बनाम भारत सरकार कहा जाने लगा है। इनका जन्म 8 फरवरी, 1926 में तत्कालीन मैसूर राज्य के कोलर जिले में हुआ था। मैसूर के महाराजा कॉलेज से पढ़ाई की और सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री ली। 1952 में वकील के तौर पर कार्य शुरू किया और 1977 में कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस नियुक्त हुए। अक्टूबर, 2012 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इनकी दलील थी कि आधार कार्ड को लोगों पर जबरन थोपा जाना उनके नागरिक अधिकारों का हनन है। पुट्टास्वामी ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकारों में जोड़ने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। इसके जरिये ही समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाया जा सका।

सांविधिक प्राधिकरण यूएडीएआइ 

यूएडीएआइ एक सांविधिक प्राधिकरण है, जिसे आधार एक्‍ट 2016 के प्रावधानों के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा 12 जुलाई 2016 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया था। आधार अधिनियम 2016 के अंतर्गत, यूएडीएआइ आधार नामांकन और प्रमाणीकरण सहित आधार के सभी चरणों के संचालन और प्रबंधन, व्यक्तियों को आधार संख्या जारी करने, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीति बनाने, व्यक्तियों के प्रमाणीकरण रिकॉर्ड की पहचान के लिए पूर्णतः जिम्मेदार है।

विकसित मुल्‍कों ने खारिज किया बायोमेट्रिक पहचान पत्र

दुनिया के विकसित मुल्‍क एक नंबर-एक पहचान को बेहतर नहीं मानते। वर्ष 2016 में ब्रिटेन ने राष्ट्रीय बायोमेट्रिक पहचान पत्र योजना को छोड़ दिया था। अमेरीका भी इस तरह की किसी योजना पर अमल नहीं करता। यहां केवल कोलोरैडो और कैलिफोर्निया दो ऐसे राज्य हैं, जहां ड्राइविंग लाइसेंस के लिए फिंगरप्रिंट लिए जाते हैं। इस्रराइल ने स्मार्टकार्ड पहचान प्रणाली अपनाई है, जिसमें फिंगरप्रिंट की जानकारी नहीं रखी जाती। चीन, अफ्रीका के कुछ देशों में, वेनेज़ुएला, इराक़ और फिलीपींस में बैंक खातों और मतदाता पंजीकरण को बायोमेट्रिक जानकारी से जोड़ने का चलन है।

112.3 करोड़ पंजीकृत सदस्य

28 फरवरी, 2017 तक 112.3 करोड़ पंजीकृत सदस्यों के साथ और 18 वर्ष से अधिक आयु के 99 फीसद भारतीयों को नामांकित किया गया है। आधार को दुनिया का सबसे परिष्कृत आईडी कार्यक्रम के रूप में वर्णित किया जा सकता है। ध्‍यान देने वाली बात यह है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है। इन विवरणों में बॉयोमीट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा शामिल होता हैं। आधार का अर्थ मौजूदा पहचान दस्तावेजों जैसे पैन, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि को रिपेल्‍स करना नहीं है। बल्कि, यह स्वयं एक पहचान दस्तावेज़ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

18 वर्ष पूर्व शुरू हुआ था अाधार का सिलसिला

1- 2001 : तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपे गए राष्ट्रीय सुरक्षा रिपोर्ट में सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों के लिए पहचान पत्र की सिफारिश की गई थी। वर्ष 2001 में लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता वाले एक मंत्रीय समूह ने आईडी कार्ड की सिफारिश को मंजूरी दे दी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि बहुउद्देश्यीय राष्ट्रीय पहचान पत्र परियोजना जल्द ही शुरू की जाएगी।

2- 2009 : इसके लिए भारत की विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की स्थापना की गई। आधार परियोजना का नेतृत्व करने के लिए इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी को नियुक्त किया गया।

3- 2010 : यूएडीएआइ लोगो का अनावरण किया गया। साथ ही देश भर में नामांकन अभियान शुरू किया गया। इसी वर्ष पहला यूआइडी नंबर नंदुरबार, महाराष्ट्र के निवासी को जारी किया गया।

4- 2012 : इस वर्ष नवंबर में आधार का मामला सुप्रीम कोर्ट। अदालत ने कहा ​है कि केंद्र आधार कार्ड से वंचित नागरिकों को सरकारी लाभों देने से इनकार नहीं कर सकता है। न्यायालय ने पुष्टि की कि आधार स्वैच्छिक है अनिवार्य नहीं।

5- 2013 : इस वर्ष के सितंबर माह में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने कहा ​है कि केंद्र आधार कार्ड से वंचित नागरिकों को सरकारी लाभों देने से इनकार नहीं कर सकता है | न्यायालय ने पुष्टि की कि आधार स्वैच्छिक है अनिवार्य नहीं।

6- 2014 : जुलाई माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि उनकी सरकार इस प्रोजेक्‍ट को बरकरार रखेगी और परियोजना को पासपोर्ट के साथ जोड़ने के लिए अधिकारियों से बात करेगी।

2016

7-  मार्च माह में आधार विधेयक, 2016 को लोकसभा में पारित किया गया। राज्यसभा ने गोपनीयता के मुद्दों पर कुछ सिफारिशों के साथ इसे वापस भेज दिया गया। हालांकि, इसे मनी बील कहकर लोकसभा ने राज्‍यसभा की सिफारिशों को अस्वीकार कर दिया था। अंतत: आधार अधिनियम, 2016 लागू हो गया।

8- सितंबर माह में केंद्र सरकार ने घोषणा की कि सरकारी सब्सिडी और लाभों का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा।

9- अक्‍टूबर माह में रसोई गैस  सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया। नागरिकों को यूआइडी प्राप्त करने के लिए दो माह का वक्‍त दिया गया।

10- दिसंबर माह में आधार नामांकन में लगभग सभी भारतीय शामिल हो गए। सार्वजनिक क्षेत्र में आधार प्रति वर्ष 40 अरब डॉलर की सब्सिडी वितरित करने में मदद करता है। लगभग 300 मिलियन बॉयोमीट्रिक प्रविष्टियां नागरिकों के बैंक खातों से जोड़ी गई हैं, जिससे उन्हें सीधे भुगतान किया जा सकता है।

2017

11- जनवरी माह में सरकार ने 30 से ज्यादा केंद्रीय योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बना दिया, जिसमें स्कूली बच्चों के लिए मिड डे मील और विकलांगों के कल्‍याणकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य किया गया।

12- फरवरी माह में सुप्रीम कोर्ट केंद्र को सभी आधार को मोबाइल नंबरों से जोड़ने का निर्देश दिया।

13- मार्च में शीर्ष अदालत ने दोहराया है कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बना सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.