भारत में सामने आया नेटफ्लिक्स की लत का पहला 'शिकार', ये है वजह
एक युवक को ऑनलाइन वीडियो स्ट्रींमिंग नेटफ्लिक्स की लत लग गई। जिसके बाद युवक को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
नई दिल्ली [जेएनएन]। आपने अभी तक सिगरेट, शराब और जुए की लत के बारे में पढ़ा होगा। कुछ हद तक बच्चों को टीवी की लत के बारे में भी सुना होगा लेकिन बेंगलुरु में पहला ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक युवक को ऑनलाइन वीडियो स्ट्रींमिंग नेटफ्लिक्स की लत लग गई। जिसके बाद युवक को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। डॉक्टर्स फिलहाल, युवक की हालत और लत को लेकर चिंतिंत हैं।
बेंगलुरु के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान (NIMHANS) में फिलहाल युवक का इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि 26 वर्षीय युवक ने डॉक्टर्स से संपर्क कर अपनी लत के बारे में बताया है।
मेडिकल संस्थान के डॉक्टर मनोज शर्मा बताते हैं कि युवक का अपना व्यवसाय था, जो कि ठप हो गया। जिसके बाद युवक पर परिवार की ओर से कमाने और करियर बनाने का दवाब बढ़ने लगा। धीरे-धीरे युवक ने पाया कि जब वो नेटफ्लिक्स पर वीडियोज देखता है तो तनाव कम हो जाता है और इस तरह उसे पिछले 6 महीनों में लत लग गई। अब युवक दिन में करीब 8-10 घंटे तक वीडियो देखने में बिताता है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में भारत में इंटरनेट ने तेजी से विस्तार किया है। महानगरों और बड़े शहरों में इंटरनेट की सुलभता ने बहुत से लोगों को इंटरनेट की आदत को लत में बदलने का काम कर रही है।
क्या है नेटफ्लिक्स
नेटफ्लिक्स एक ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म है। नेटफ्लिक्स करीब 2 साल पहले शुरू हुआ था। उस वक्त इसकी लाइब्रेरी में कुल 826 वीडियो थे जो कि आज 4706 के करीब हैं। नेटफ्लिक्स के यूजर भारत में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अनुमान है कि अगले 3-4 साल तक करीब 15 फीसद की दर से इसके दर्शक बढ़ेंगे।
एम्स ने भी जताई है मोबाइल की लत पर चिंता
मोबाइल व इंटरनेट के अधिक इस्तेमाल के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। एम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि हर दूसरा युवा मोबाइल की लत से पीड़ित हैं। इस अध्ययन में आम जिंदगी को लेकर कई हैरतअंगेज खुलासे हुए हैं, जिससे पता चलता है कि किस तरह से हमारी पारिवारिक व सामाजिक जिंदगी जटिल बनती जा रही है।
इस अध्ययन में खास बात यह सामने आई है कि 13.4 फीसद लोगों ने माना है कि मोबाइल तकनीक की लत में वे इस कदर जकड़ चुके हैं कि उन्होंने रिश्तों या अवसर को खतरे में डाला या उसे खो दिया है। इनमें से ज्यादातर युवा हैं। हालांकि अध्ययन में साकारात्मक बात यह है कि लोगों में मोबाइल के कारण होने वाली व्यावहारिक लत के प्रति जागरूकता और समझ बढ़ रही है।
इन सवालों के आधार पर हुआ अध्ययन
1. मुझे मोबाइल की सनक है- 21.4 फीसद
2. इसका इस्तेमाल न करने पर खालीपन जैसा महसूस होता है- 24.8 फीसद
3. इसका आदि हो गया हूं इसलिए अधिक समय बर्बाद होता है- 19.6 फीसद
4. मैंने मोबाइल की लत को छोड़ना चाहा पर असफल रहा- 19.4 फीसद
5. जीवन की दूसरी चीजों में रुचि खत्म हो गई- 19.7 फीसद
6. यह जानते हुए कि ये जीवन को कितना प्रभावित करता है, इस्तेमाल जारी रखा- 19.7 फीसद
7. इससे संबंधित अपने व्यवहार के बारे में दूसरे से झूठ बोला- 18.6 फीसद
8. मैं चिंता व गलतियों से बचने के लिए इसका इस्तेमाल करता हूं। यह बचाव का तरीका है- 16.0 फीसद
9. मैंने इसके कारण रिश्तों या अवसर को खतरे में डाल दिया या खो दिया- 13.4 फीसद