पहली बार नहीं हुआ मुंडा के साथ ऐसा
अर्जुन मुंडा बुधवार को क्रैशलैडिंग मे घायल हो गए। लेकिन ऐसा पहली बार नही हुआ है जब झारखंड के मुख्यमंत्री को आपात स्थिति मे उतारा गया है। इससे पहले दो बार वह हेलीकाप्टर की एमरजेसी लैडिग मे बाल बाल बच चुके है। बीते माह उनकी जान खतरे मे उस वक्त पड़ गई थी जब वह रांची से सोनारी की हवाई यात्रा पर थे।
रांची। अर्जुन मुंडा बुधवार को क्रैशलैंडिंग में घायल हो गए। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब झारखंड के मुख्यमंत्री को आपात स्थिति में उतारा गया है। इससे पहले दो बार वह हेलीकाप्टर की एमरजेंसी लैंडिग में बाल बाल बच चुके हैं। बीते माह उनकी जान खतरे में उस वक्त पड़ गई थी जब वह रांची से सोनारी की हवाई यात्रा पर थे। खराब मौसम के कारण मुख्यमंत्री के हेलीकाप्टर को सोनारी हवाईअड्डे पर आपात स्थिति में उतारा गया था। इसके अलावा जुलाई 2011 में भी मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के हेलीकाप्टर को आपात स्थिति में उतारना पड़ा था। उस समय वह धनबाद से दुमका की उड़ान पर थे जब उनके हेलीकाप्टर को आपात स्थिति में वापस धनबाद में उतारना पड़ा था। हालांकि इन सभी हादसों में मुख्यमंत्री को कोई चोट नहीं लगी। ऐसे में कई सवाल भी उठ खड़े हुए हैं कि क्या मुख्यमंत्री की सेवा में लगे हेलीकाप्टर खस्ताहाल तो नहीं हो गए हैं।
मुख्यमंत्रियों या मंत्रियों के साथ इस तरह के हादसे भी कोई नए नहीं है। सितंबर 2009 में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री इसी तरह के एक हेलीकाप्टर हादसे में मारे जा चुके हैं। उनका हेलीकाप्टर भी खराब मौसम के कारण नालामाला पहाड़ियों में हादसे का शिकार हुआ था, जिसमें उनकी मौत हो गई थी।
इसी तरह के एक हादसे में एक अप्रैल 2005 में हरियाणा के बिजली मंत्री, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल के पुत्र और राज्य के कृषि मंत्री सुरेंद्र सिंह और स्टील आइकान और जिंदल गु्रप के चेयरमैन ओपी जिंदल की भी मौत हो गई थी।
इससे पूर्व 29 सितंबर 2001 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधव राव सिंधिया भी इसी तरह के हादसे में मारे गए थे। वह उस वक्त उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की हवाई उड़ान पर थे।
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