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पढि़ए ही नहीं, आकाश-2 से बात भी करिए

छात्रों की पढ़ाई के लिए तैयार पीसी टैबलेट आकाश-2 बहुत कुछ बदल सकता है। आगामी मई से छात्रों के लिए लांच होने जा रहा यह टैबलेट सिर्फ पढ़ने के ही नहीं, बल्कि मोबाइल फोन के रूप में भी काम करेगा। इतना ही नहीं, सरकार अपने इरादे में कामयाब हुई तो आगे चलकर यह छोटे-बड़े कारोबारियों से लेकर गांवों में मजदूरों की हाजिरी लगाने और उनका हिसाब-किताब रखने तक में कारगर होगा।

By Edited By: Published: Tue, 03 Apr 2012 11:04 AM (IST)Updated: Tue, 03 Apr 2012 12:35 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। छात्रों की पढ़ाई के लिए तैयार पीसी टैबलेट आकाश-2 बहुत कुछ बदल सकता है। आगामी मई से छात्रों के लिए लांच होने जा रहा यह टैबलेट सिर्फ पढ़ने के ही नहीं, बल्कि मोबाइल फोन के रूप में भी काम करेगा। इतना ही नहीं, सरकार अपने इरादे में कामयाब हुई तो आगे चलकर यह छोटे-बड़े कारोबारियों से लेकर गांवों में मजदूरों की हाजिरी लगाने और उनका हिसाब-किताब रखने तक में कारगर होगा।

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सूत्रों के मुताबिक आकाश-एक की कमियों के अनुभव के बाद तैयार हुआ आकाश-2 हर तरीके से उन्नत कर दिया गया है। स्क्रीन पहले से कई गुना बेहतर कर दी गई है। टच करते ही वांछित प्रोग्राम सामने होगा। बैटरी बैक -अप तीन घंटे का कर दिया गया है। प्रोसेसर की क्षमता बढ़ाई गई है। आकाश-एक में हीटिंग की समस्या थी। आकाश-2 में इस कमी को दूर कर लिया गया है। इसके सब के साथ ही इस टैबलेट में मोबाइल फोन के सिम लगाने की भी सुविधा होगी। मालूम हो कि अगले पांच-साल में सिर्फ छात्रों के लिए ही 20 करोड़ से अधिक आकाश-2 की जरूरत का अनुमान लगाया गया है।

फिलहाल छात्रों के लिए तैयार इसके उन्नत वर्जन के साथ ही दूसरे सरकारी विभाग भी इसके उपयोग की संभावनाएं तलाश रहे हैं। अभी उन्हें अपने कार्यक्रमों के संचालन के लिए महंगे टैबलेट का उपयोग कर पड़ रहा है। आकाश-2 की पर्याप्त क्षमता और सस्ते होने की वजह से उनकी रुझान अब इस तरह है। सूत्रों की मानें तो आगे चलकर इसका उपयोग छोटे कारोबारी अपने सेल प्वाइंट [बिक्री केंद्र] के रूप में कर सकेंगे, जहां अभी उन्हें महंगे कंप्यूटर व दूसरे उपकरण लगाने होते हैं।

आकाश-एक की विफलता पर जवाब तलब

सरकार बहुत चाहकर भी आकाश-एक को सफल नहीं बना सकी, जिसका जिम्मा आईआईटी राजस्थान को था। लिहाजा सरकार ने यह प्रोजेक्ट आईआईटी-मुंबई को सौंप दिया, लेकिन आकाश-एक की विफलता की वजहें जानने के लिए उसने आईआईटी-राजस्थान से जवाब मांगे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की नजर में आईआईटी ने अपनी जिम्मेदारी को निभाने में कोताही की। नतीजा यह हुआ कि उसे खुद प्रोजेक्ट को मंत्रालय को सरेंडर करना पड़ गया। सूत्रों की मानें तो आईआईटी-राजस्थान ने मंत्रालय को अपना अपना जवाब भेज दिया है।

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