गंदी हवा में सांस लेने को मजबूर 90 प्रतिशत लोग
इतना ही नहीं वायु प्रदूषण के चलते दुनिया को लगभग 14,85,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। यह रकम भारत सरकार के सालाना आम बजट की तीन चौथाई के बराबर है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । हवा में घुलते जहर को अगर समय रहते नहीं रोका गया तो तबाही आ सकती है। तेजी से बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते दुनियाभर में हर साल 30 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। हाल यह है कि आज पूरे विश्र्व में करीब 90 प्रतिशत लोग गंदी हवा में सांस लेने को मजबूर है। ऐसे लोगों की बड़ी संख्या भारत में है। इतना ही नहीं वायु प्रदूषण के चलते दुनिया को लगभग 14,85,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। यह रकम भारत सरकार के सालाना आम बजट की तीन चौथाई के बराबर है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनियाभर में लगभग 90 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुरूप हवा में सांस नहीं ले पाते। डब्ल्यूएचओ के अनुसार हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 24 घंटे में अधिकतम 25 माइक्रोन प्रति घन मीटर और पीएम 10 की मात्रा 50 माइक्रोन प्रति घन मीटर होनी चाहिए। हालांकि धरती पर अधिकांश लोगों को इतनी साफ सुथरी हवा नसीब नहीं है। अगर राजधानी दिल्ली की स्थिति देखें तो यहां रविार को पीएम 2.5 की मात्रा 588 माइक्रोन थी जो डब्ल्यूएचओ के मानकों की तुलना में 24 गुना है। वहीं पीएम 10 की मात्रा भी दिल्ली में 844 माइक्रोन है जो निर्धारित मानकों से 16 गुना है।
हवा की कम रफ्तार बनी मुसीबत, दिल्ली में जारी रहेगा प्रदूषण का कहर
पीएम 2.5 पर ध्यान देना इसलिए जरूरी है क्योंकि हवा में घुले ये अतिशूक्ष्म कण स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक हैं। मानव के बाल के 30वें हिस्से से छोटे ये कण सांसों के साथ फेंफड़ों में चले जाते हैं। इसके चलते ही फेंफड़ों का केंसर और दिल की जानलेवा बीमारी होती है।
डब्ल्यूएचओ की ताजा रिपोर्ट 'एम्बीएंट एयर पॉल्युशन: ए ग्लोबल एसेसमेंट ऑफ एक्सपोजर एंड डिजीज' के अनुसार वायु प्रदूषण के चलते दुनियाभर में हर साल 30 लाख लोगों की मौत होती है। सबसे ज्यादा मौत पश्चिमी प्रशांत सागरी क्षेत्र और दक्षिण-पूर्व एशिया में होती हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया में लगभग आठ लाख मौत वायु प्रदूषण के चलते होती हैं।
वहीं विश्र्व बैंक की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि दुनियाभर में 2013 में 55 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई। इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ मीट्रिक्स एंड इवैल्युएशन के साथ मिलकर विश्र्व बैंक ने तैयार की इस रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के चलते पूरी दुनिया को 225 अरब डालर (14,85,000 करोड़ रुपये) की आर्थिक हानि हुई। 'द कॉस्ट ऑफ एयर पॉल्युशन: स्ट्रेंथनिंग द इकनॉमिक केस फॉर एक्शन' रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशियाई देशों में वायु प्रदूषण के चलते हर साल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग एक प्रतिशत के बराबर आर्थिक नुकसान हो रहा है।
विश्र्व बैंक की इस रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में वायु प्रदूषण के चलते मलेरिया के मुकाबले छह गुना ज्यादा लोगों की मौत हो रही है जबकि एचआइवी एड्स की तुलना में चार गुना ज्यादा लोग वायु प्रदूषण से मर रहे हैं।
हवा में जहर का कहर
-दुनियाभर में 30 लाख लोगों की जान ले रहा वायु प्रदूषण
-दुनियाभर में 225 अरब डालर (14,85,000 करोड़ रुपये) हो रहा आर्थिक नुकसान
-मलेरिया के मुकाबले छह गुना ज्यादा लोगों की मौत होती है वायु प्रदूषण से
-एचआइवी एड्स की तुलना में चार गुना ज्यादा लोग मरते हैं वायु प्रदूषण से
चौथा बड़ा हत्यारा वायु प्रदूषण
कारण मौत प्रतिशत
मेटाबोलिक रिस्क 29
डाइटरी रिस्क 21
तंबाकू सेवन 11
वायु प्रदूषण 10
शराब और ड्रग्स 6
निम्न शारीरिक गतिविधि 4
कुपोषण 3
अन्य कारण 9
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तेरह साल में डेड़ गुना हो गया आर्थिक नुकसान
वर्ष नुकसान अरब डालर में
1990 162
2000 163
2013 225
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ये हैं डब्ल्यूएचओ के मानक
पीएम 2.5 25 माइक्रोन
पीएम 10 50 माइक्रोन
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'सफर' के मुताबिक रविवार को दिल्ली का हाल
पीएम 2.5 588 माइक्रोन
पीए 10 844 माइक्रोन
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सोमवार को यह होगा हाल
पीएम 2.5 613 माइक्रोन
पीएम 10 860 माइक्रोन