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मुंबई- अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में 72 फीसद अनुंबध भारतीय कॉट्रेक्ट कंपनियों को किया गया शामिल

रेलवे के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी वीके यादव ने कहा कि 508 किलोमीटर लंबी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत में से 88000 करोड़ रुपये जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा भारत को ऋण के रूप में दिए जाएंगे।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 10:01 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 10:01 PM (IST)
मुंबई और अहमदाबाद के बीच शुरू होने वाली बुलेट ट्रेन की प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली, पीटीआइ। मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन परियोजना के 72 फीसद अनुबंध भारतीय कॉट्रेंक्ट कंपनियों को दिया जाएगा। ऐसा आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। रेलवे के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी वीके यादव ने बताया कि 'आत्मानिर्भर भारत' को बढ़ावा देने के रेलवे के प्रयासों के तहत घरेलू फर्मों द्वारा काम किया किया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि पुलों और सुरंगों को बिछाने जैसे अधिकांश उच्च तकनीकी कार्य भारतीय ठेकेदारों द्वारा संभाले जाएंगे, जबकि जापानी फर्म सिग्नलिंग, टेलीकॉम और रोलिंग स्टॉक से संबंधित कार्यों को संभालेंगे। उन्होंने एसोसिएटेड चेंबर्स ऑफ इंडिया (भारत) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में यह जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि 508 किलोमीटर लंबी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत में से, 88,000 करोड़ रुपये जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा भारत को ऋण के रूप में दिए जाएंगे।

सिविल इंजीनियरिंग कार्य भी हैं शामिल

यादव ने कहा कि जापान की सरकार के साथ एक बहुत विस्तृत चर्चा के बाद, हमने पूरे कॉन्ट्रैक्ट मूल्य का 72 फीसद भारतीय ठेकेदारों के लिए खोल दिया है, जिसमें सभी सिविल इंजीनियरिंग कार्य शामिल हैं जिनमें पुलों, अंडर-सी सुरंग से संबंधित अनुबंध शामिल हैं। जबकि जापानी ठेकेदारों के लिए अनुबंध केवल सीमित हैं। सिग्नल एंड टेलिकॉम शुरुआती रोलिंग स्टॉक और इलेक्ट्रिकल काम करता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे आत्मनिर्भर भारत के इस उद्देश्य को बड़े पैमाने पर हासिल करने जा रहा है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रेलवे इस तरीके से बुनियादी ढांचे को इस तरह से विकसित कर रहा है कि हम तब तक यातायात आवश्यकताओं का ध्यान 2050 तक रख सकेंगे।

90 फीसद भूमि गुजरात की जा चुकी है अधिग्रहित

यादव ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के कारण मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में देरी हो रही है। गुजरात में, 90 फीसद भूमि पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है और शेष 10 फीसद 31 दिसंबर तक उपलब्ध होगी।

वेबिनार के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय रेल योजना 2030 का अंतिम मसौदा तैयार है और यह अगले महीने जारी होने की संभावना है।

यादव ने कहा कि विजन 2024 राष्ट्रीय रेल योजना 2030 का हिस्सा है, जिसमें 2050 की ट्रैफिक आवश्यकताओं का ध्यान रखने के लिए 2030 तक बुनियादी सुविधाओं की जरूरतों का ख्याल रखना होगा। इसमें विजन 2024 डॉक्यूमेंट में शामिल सभी प्रोजेक्ट शामिल हैं।  


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