कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने 6,500 कैदियों को रिहा किया
कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देख मध्य प्रदेश सरकार ने 6500 कैदियों को पेरोल एवं अंतरिम जमानत पर रिहा किया है। जानें कितने कैदी अभी भी जेलों में हैं कैद...
भोपाल, पीटीआइ। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जेलों में भीड़ कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को जारी निर्देश पर अमल करते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने सूबे की जेलों से अब तक करीब 6,500 कैदियों को रिहा किया है। मध्य प्रदेश के जेल उप महानिरीक्षक संजय पाण्डेय ने बताया कि कोरोना के खतरे के मद्देनजर जेलों में भीड़ कम करने के लिए इन कैदियों को पेरोल एवं अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया है।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिन कैदियों को अब तक रिहा किया गया है उनमें करीब 3,900 सजायाफ्ता बंदी हैं जिनको 60 दिन के पेरोल पर रिहा किया गया है जबकि अन्य करीब 2,600 विचाराधीन कैदियों को 45 दिन की अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया है। यही नहीं पैरोल पर रिहा किए गए कैदियों की रिहाई का समय भी 60 दिन और बढ़ा दिया गया है। वहीं अंतरिम जमानत पर रिहा किए गए कैदियों की रिहाई का समय में 45 दिन का और इजाफा किया गया है।
यदि दोनों समय अवधि को जोड़ दें तो पेरोल पर रिहा कैदियों को 120 दिन और अंतरिम जमानत पर रिहा कैदियों को 90 दिन तक की रिहाई मिल गई है। वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए इन कैदियों को रिहा किया है। मध्य प्रदेश के जेल विभाग की मानें तो सूबे में करीब 131 जेल हैं जिनमें से 75 फीसद से ज्यादा जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, सूबे की जेलों में 28,500 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन रिहा किए गए 6,500 कैदियों को छोड़कर मौजूदा वक्त में करीब 39,000 कैदी रखे गए हैं। जेल उप महानिरीक्षक की मानें तो कोरोना संकट के चलते राज्य सरकार कैदियों को एक बार में अधिकतम 120 दिन की आपात छुट्टी देगी। इन छुट्टियों को बंदी की कैद की सजा में शामिल किया जाएगा।