EXCLUSIVE: गांवों में सड़कों का जाल बिछेगा, बनेंगी 61 हजार किलोमीटर सड़कें
गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ने वाली पीएमएसवाई की सड़कों का जाल बिछेगा, जिससे देश के बाकी बचे गांवों तक पक्की सड़कें पहुंच जाएंगी।
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ने वाली पीएमएसवाई की सड़कों का जाल बिछेगा, जिससे देश के बाकी बचे गांवों तक पक्की सड़कें पहुंच जाएंगी। चालू वित्त वर्ष में 20 हजार गांवों को जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके लिए कुल 61 हजार किमी लंबाई की ग्रामीण सड़कें बनाई जाएंगी। इनमें कुल 12 हजार किमी लंबाई की ग्रीन टेक्नोलॉजी वाली सड़कें निर्मित की जाएंगी।
राजग सरकार की प्राथमिकताओं में गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ना शुमार है। इसके तहत सरकार ने हर साल इस मद में बजट आवंटन को बढ़ाया है। बीते वित्त वर्ष 2017-18 में लगभग 49 हजार किमी लंबाई की सड़कें बनाई गईं। इसमें साढ़े छह हजार किमी की सड़कें ग्रीन टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं। सड़कों के निर्माण की रफ्तार भी प्रतिदिन बढ़ाकर 133 किमी कर दिया गया है। जबकि रोजाना 32 गांवों पक्की सड़कों से जोड़ा गया है। इससे कुल साढे़ 11 हजार किमी लंबाई की सड़कें बनाई गईं।
देश के कुल 13 राज्यों में पीएमजीएसवाई का दूसरा चरण पूरा हो चुका है, जबकि 14 राज्यों में यह चरण जारी है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2019 तक कुल 1.78 लाख गांव योजना की सड़कों से जुड़ जाएंगे। पीएमजीएसवाई में अब तक कुल 5.50 लाख किमी लंबाई की सड़कें बनाई जा चुकी हैं।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की सड़कों को बनाने को भी प्रमुखता से मंजूरी दी गई है। चालू वित्त वर्ष में कुल 268 सड़कों के लिए 4134 किमी लंबाई की सड़कों के बनाने का लक्ष्य तय किया गया है, जिसके लिए 4142 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। ये सड़कें बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिसा और मध्य प्रदेश में प्रमुख रुप से बनाई जाएंगी।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की सड़कों के निर्माण में ग्रीन टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाएगा। अब तक ऐसी कुल साढ़े 17 हजार से किमी से अधिक सड़कें ग्रीन टेक्नोलॉजी से बना दी गई हैं।
ऐसी सड़कें राजस्थान, ओडिसा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड में बनाई गई हैं। सड़कों की गुणवत्ता और निगरानी के लिए विशेष बंदोबस्त किये जाएंगे। सड़कों की जीआईएस मैपिंग की जाएगी, जिसके तहत 28 राज्यों में यह इंतजाम कर लिया गया है।