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रूस के साथ 60 हजार करोड़ का रक्षा समझौता

पिछले कुछ समय से भारतीय विदेश नीति भले ही अमेरिका की ओर झुकती दिख रही है, लेकिन शनिवार का दिन भारत-रूस के रिश्तों में पुरानी गरमाहट लेकर आया।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Sun, 16 Oct 2016 01:59 AM (IST)Updated: Sun, 16 Oct 2016 03:06 AM (IST)
रूस के साथ 60 हजार करोड़ का रक्षा समझौता

जयप्रकाश रंजन, बेनोलिम (गोवा)। पिछले कुछ समय से भारतीय विदेश नीति भले ही अमेरिका की ओर झुकती दिख रही है, लेकिन शनिवार का दिन भारत-रूस के रिश्तों में पुरानी गरमाहट लेकर आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच ब्रिक्स सम्मेलन से पहले हुई बैठक पूरी तरह से उम्मीदों पर खरी उतरी है।

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दोनों देशों ने एक-दूसरे की जरूरतों के मुताबिक द्विपक्षीय रिश्तों को नई दिशा देने की कोशिश की है। मोदी और पुतिन के बीच द्विपक्षीय बातचीत के बाद 16 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का रक्षा समझौता भी शामिल है। केंद्र में राजग की सरकार बनने के बाद यह सबसे बड़ा रक्षा करार है।

इससे पहले फ्रांस के साथ राफेल विमान के लिए 59 हजार करोड़ का समझौता किया गया था। शनिवार के रक्षा समझौतों के तहत भारत रूस से पांच एस-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम और 200 कामोव हेलीकॉप्टर खरीदेगा। एडमिरल ग्रिगोरोविच-क्लास के 4 स्टील्थ फ्रिगेट को लेकर भी करार हुआ है। दो फ्रिगेट रूस निर्यात करेगा, जबकि दो अन्य भारत में ही बनाए जाएंगे।

एस-400 रूस का सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम है। इसे हासिल कर लेने के बाद हमारी सेना पाकिस्तान और चीन की 36 परमाणु मिसाइलों को एक साथ गिरा सकेगी। भारत तीन मिसाइल रक्षा प्रणाली पाकिस्तान और दो सिस्टम चीन से लगती सीमा पर तैनात करने की योजना बना रहा है। कामोव केए 226 बहुउद्देश्यीय हेलिकॉप्टर है। यह सैन्य अभियानों और प्राकृतिक आपदा के दौरान बहुत काम आता है।

इसके अलावा दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में स्मार्ट सिटी, शिक्षा, रेल की गति बढ़ाने समेत कई क्षेत्रों में अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। रूस ने एनएसजी और सुरक्षा परिषद में भारत को जल्द शामिल किए जाने का भी समर्थन किया है।

इन समझौतों की तुलना 1971 में सोवियत संघ के साथ हुए समझौते से की जा रही है। मोदी ने इन समझौतों के जरिये रूस को आश्वस्त किया है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों से हथियार खरीदने के बावजूद इस पुराने सहयोगी की अहमियत खत्म नहीं हुई है। सनद रहे कि भारत की सैन्य जरूरतों का 70 फीसद हिस्सा अब भी रूस से पूरा होता है। एस-400 ट्रंफ एयर डिफेंस मिसाइल समझौते को सैन्य जानकार एशिया में गेम चेंजर के तौर पर देख रहे हैं।

कारोबार पर बढ़ेगा जोर

लंबे समय तक रूस भारत का सबसे बड़ा कारोबार साझेदार था। लेकिन अब अमेरिका और भारत का आपसी कारोबार भारत-रूस से 12 गुणा अधिक और भारत-चीन का कारोबार 10 गुणा अधिक है। राष्ट्रपति पुतिन ने इस समस्या को दूर करते हुए भारत-रूस के आपसी निवेश को वर्ष 2025 तक बढ़ा कर 50 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है।

मोदी ने पुतिन से आग्रह किया है कि केंद्रीय एशियाई देशों के साथ मिलकर दोनों देशों को मुक्त व्यापार समझौते की संभावना तलाशने का काम तेजी से शुरू करना चाहिए। ऊर्जा क्षेत्र के समझौतों पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान का कहना है कि रूस भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम साझेदार होगा।

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