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मोदी सरकार के इस कदम से और मजबूत होगी वायुसेना, पाकिस्‍तान व चीन की सीमाओं पर किया जाएगा तैनात

सरकार ने वायुसेना के लिए 5000 करोड़ रुपये की लागत से स्वदेशी आकाश वायु रक्षा मिसाइलों की छह स्क्वाड्रन की खरीद को मंजूरी प्रदान कर दी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 08:42 PM (IST)
मोदी सरकार के इस कदम से और मजबूत होगी वायुसेना, पाकिस्‍तान व चीन की सीमाओं पर किया जाएगा तैनात
मोदी सरकार के इस कदम से और मजबूत होगी वायुसेना, पाकिस्‍तान व चीन की सीमाओं पर किया जाएगा तैनात

 नई दिल्ली, एएनआइ। सरकार ने वायुसेना के लिए 5,000 करोड़ रुपये की लागत से स्वदेशी आकाश वायु रक्षा मिसाइलों की छह स्क्वाड्रन की खरीद को मंजूरी प्रदान कर दी है। इन्हें पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर तैनात किया जाएगा।

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कैबिनेट समिति ने इस परियोजना की दी मंजूरी
सरकारी सूत्रों ने गुरुवार को बताया, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने हाल में वायुसेना के लिए इस परियोजना को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को सरकार के इस फैसले की जानकारी वायुसेना को दी।' आकाश मिसाइलों की खरीद के इस तीन साल पुराने प्रस्ताव की मंजूरी को सैन्य बलों में स्वदेशी मिसाइल प्रणाली की खुले दिल से स्वीकार्यता के तौर पर देखा जा रहा है। इस मंजूरी के साथ ही वायुसेना के लिए ऑर्डर की गईं आकाश मिसाइल प्रणालियों की संख्या 15 हो जाएगी।

विदेशी प्रणालियों के बजाय आकाश का चयन
वायुसेना ने शुरुआत में सिर्फ दो आकाश प्रणालियों का ऑर्डर दिया था। लेकिन पिछले साल हुए अभ्यास में इजरायली समेत अन्य सभी वायु रक्षा मिसाइलों का आकाश मिसाइल प्रणाली के साथ परीक्षण किया गया था और इनमें आकाश का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा था। लिहाजा रक्षा मंत्रालय ने विदेशी प्रणालियों के बजाय आकाश का चयन किया।

मार्च तक रक्षा खरीद के नए मानक तय करेगी उच्चस्तरीय समिति
नई दिल्ली : सैन्य खरीद पर वर्तमान नीतिगत व्यवस्था की समीक्षा के लिए सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है। यह समिति अगले साल मार्च तक नए मानक तय करेगी ताकि निर्बाध तरीके से सैन्य खरीद और सैन्य परिसंपत्तियों की देखरेख सुनिश्चित हो सके।

प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने के लिए उपसमितियों का गठन
रक्षा मंत्रालय में महानिदेशक (खरीद) अपूर्व चंद्र ने एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) की पिछली पुनरावृत्ति 2016 में की गई थी और रक्षा खरीद मैनुअल (डीपीएम) को तो 2009 से अपडेट ही नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, 'रक्षा मंत्री ने डीपीपी और डीपीएम को पुनर्गठित करने वाली समिति का मुझे चेयरमैन बनाया था और मार्च, 2020 तक हम इसका नया संस्करण लेकर आ रहे हैं।' अपूर्व चंद्र ने बताया कि इस पर काम शुरू हो चुका है और प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने के लिए उपसमितियों का गठन किया जा चुका है।


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