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ई-वे बिल से बचेगा 50 टन कागज

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ई-वे बिल की व्यवस्था कारोबारियों और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 30 Dec 2017 09:25 PM (IST)Updated: Sat, 30 Dec 2017 09:25 PM (IST)
ई-वे बिल से बचेगा 50 टन कागज
ई-वे बिल से बचेगा 50 टन कागज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । जीएसटी की चोरी रोकने के लिए प्रस्तावित ई-वे बिल से न सिर्फ समय की बचत होगी बल्कि व्यापक स्तर पर संसाधनों की भी बचत होगी। सरकार का अनुमान है कि इसके देशव्यापी क्रियान्वयन से हर साल लगभग 50 टन कागज बचेगा। इस तरह ई-वे बिल अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पर्यावरण के लिए अनुकूल होगा।

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वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ई-वे बिल की व्यवस्था कारोबारियों और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद है। ई-वे बिल के क्रियान्वयन से जीएसटी की चोरी रुकेगी। इसके प्रभावी क्रियान्वयन से जहां जीएसटी संग्रह में 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है वहीं इसके कई अन्य फायदे भी होंगे। ई-वे बिल की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी इसलिए इसके लिए कागज की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसे मोबाइल फोन में एसएमएस या ईमेल के रूप में रखकर ले जाया जा सकेगा। इसलिए इसका प्रिंटआउट साथ रखकर चलने की जरूरत नहीं होगी।

मंत्रालय का अनुमान है कि हर दिन 40 लाख ई-वे बिल जनरेट होंगे जिसमें 15 लाख ई-वे बिल अंतरराज्यीय तथा 25 लाख राज्य के भीतर के होंगे। क्योंकि यह सब ऑनलाइन जनरेट होंगे और इसके लिए कागज के प्रिंट आउट की आवश्यकता नहीं होगी इसलिए इससे हर साल लगभग 50 टन कागज बचेगा। फिलहाल अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग फार्म भरना होता है इसके चलते भारी भरकम मात्रा में कागज की खपत होती है। साथ ही समय की बरबादी भी होती थी।

ई-वे बिल एक टोकन की तरह है जिसे ऑनलाइन जनरेट किया जा सकेगा। यह एक क्यूआर कोड या ई वे बिल नंबर के रूप में होगा। फिलहाल कर्नाटक में यह पायलट प्रोजैक्ट के रूप में चल रहा है। 50 हजार रुपये से अधिक मूल्य की वस्तु को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए इसकी जरूरत होगी और यह पूरे देश में वैध होगा। क्रेता, विक्रेता या ट्रांसपोर्टर कोई भी इसे ऑनलाइन जनरेट कर सकता है। हालांकि माल ढुलाई के दौरान यदि वैध ई-वे बिल नहीं मिलता है तो ट्रांसपोर्टर पर पांच हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है जबकि क्रेता या विक्रेता की वस्तुओं को जब्त किया जा सकता है।

इसकी एक और खासियत यह है कि जब कोई एक व्यापारी किसी दूसरे व्यापारी को माल भेजने के लिए ई-वे बिल जनरेट करेगा तो जिस व्यापारी को सामान भेजा जाना है, उसके पास पहले से ही ई-वे बिल का नंबर एसएमएस के माध्यम से पहुंच जाएगा।


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