SNCU बनी काल, डॉक्टरों के अभाव में 21 दिन में 36 बच्चों की मौत
मध्य प्रदेश में शिशुओं की मौत के मामले उजागर हुए हैं। बीते 21 दिनों में रायसेन में सात तो गुना में 29 शिशुओं की मौत हो गई।
भोपाल (प्रमोद त्रिवेदी)। नवजातों के बेहतर इलाज के लिए यूनिसेफ के सहयोग से चुनिंदा जिला अस्पतालों में स्थापित की गईं एसएनसीयू (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) अब उनके लिए काल बन गई हैं। वजह यह है कि मध्य प्रदेश सरकार इन इकाइयों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध कराने में नाकाम है। नतीजा इन इकाइयों में आए दिन शिशुओं की मौत के रूप में सामने आ रहा है। इसी माह मध्य प्रदेश के गुना और रायसेन में शिशुओं की मौत के मामले उजागर हुए हैं। बीते 21 दिनों में रायसेन में सात तो गुना में 29 शिशुओं की मौत हो गई।
रायसेन से गुना तक तबादलों के खेल में उलझी एसएनसीयू
रायसेन एसएनसीयू में एकमात्र विशेषज्ञ डॉ. आलोक सिंह राय पदस्थ थे। इसी साल चार जुलाई को सीएमएचओ ने उनका तबादला बेगमगंज सिविल अस्पताल कर दिया था। इस दौरान चार से सात जुलाई तक एसएनसीयू के शिशु सिर्फ नर्सो के भरोसे रहे थे, जिनसे एक बच्चे की मौत हो गई थी। वहीं, छह को भोपाल रेफर कर दिया गया था। इनमें से भी एक शिशु ने भोपाल के निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
मामला उठाने पर स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह के निर्देश पर विभाग ने विदिशा एसएनसीयू में पदस्थ डॉ. साजिद अब्बास का तबादला रायसेन कर दिया, लेकिन उन्होंने अब तक ज्वाइन नहीं किया। इसके बाद वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर विदिशा जिला अस्पताल में पदस्थ रहे मेडिकल ऑफिसर डॉ. राकेश अहिरवार को रायसेन एसएनसीयू का प्रभार सौंप दिया गया। फिर 16 जुलाई को गुना एसएनसीयू में पदस्थ विशेषज्ञ डॉ. लखनलाल धाकड़ का तबादला रायसेन कर दिया गया, लेकिन वह रायसेन नहीं आए और गुना में भी जाना बंद कर दिया, जबकि गुना में पदस्थ तीन अन्य डॉक्टर अवकाश या प्रशिक्षण में व्यस्त रहे। इस तरह गुना की व्यवस्था बिगड़ गई और वहां तीन दिन में ही छह शिशुओं की मौत हो गई।
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री शरद जैन ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी। यदि विशेषज्ञ डॉक्टर कम हैं तो तुरंत नियुक्त किए जाएंगे और जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।