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प्रदूषण फैला रही 34 थर्मल पावर इकाइयां होंगी बंद, 20 साल से ज्यादा पुरानी हैं ये यूनिटें

ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि जहां बड़ी संख्या में (300 से ज्यादा) थर्मल प्लांट उत्सर्जन कटौती परियोजना की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 08:25 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 08:25 PM (IST)
प्रदूषण फैला रही 34 थर्मल पावर इकाइयां होंगी बंद, 20 साल से ज्यादा पुरानी हैं ये यूनिटें
प्रदूषण फैला रही 34 थर्मल पावर इकाइयां होंगी बंद, 20 साल से ज्यादा पुरानी हैं ये यूनिटें

नई दिल्ली, आइएएनएस। सरकार ने प्रदूषण फैलाने वाले 12 पावर प्लांटों की 34 इकाइयों को बंद करने का प्रस्ताव किया है। कुल 500 मेगावाट क्षमता की इन इकाइयों ने अभी तक कोई उत्सर्जन नियंत्रण अनुपालन योजना नहीं सौंपी हैं।

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पर्यावरण मंत्रालय द्वारा थर्मल प्लांटों के लिए प्रस्तावित नए उत्सर्जन मानकों के अनुसार, उनके पास वर्तमान में कोयला आधारित पावर प्लांट हैं और इनमें फ्यूल गैस डिसल्फ्यूराइजेशन (FGD) यूनिटें और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटैटर्स (ESP) हैं। एफजीडी स्थापित करने के लिए एक अनुमान के मुताबिक, प्रति मेगावाट 27 से 45 लाख रुपये की दरकार होगी। इससे पावर टेरिफ में 62 से 92 पैसे प्रति यूनिट वृद्धि की जरूरत होगी।

करीब 34 यूनिटों ने नहीं सौंपी कोई प्रस्तावित उत्सर्जन नियंत्रण नियमों की योजना

ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि जहां बड़ी संख्या में (300 से ज्यादा) थर्मल प्लांट उत्सर्जन कटौती परियोजना की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं, वहीं करीब 34 यूनिटों ने प्रस्तावित उत्सर्जन नियंत्रण नियमों के पालन के लिए कोई योजना नहीं सौंपी है।

ये यूनिटें 20 साल से ज्यादा पुरानी हैं और इनमें से ज्यादातर राज्य सरकारों द्वारा संचालित हैं। कुछ केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले दामोदर घाटी कारपोरेशन (बोकारो और दुर्गापुर) और निजी कंपनी सीईएससी (टीटागढ़) द्वारा संचालित हैं। केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा कि इनको चरणबद्ध तरीके से बंद किया जाएगा।

सीपीसीबी रिपोर्ट के अनुसार देश का सातवां प्रदूषित शहर है आगरा

वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार आगरा देश का सातवां प्रदूषित शहर रहा। प्रदेश में यह तीसरे स्थान पर रहा। यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 133 दर्ज किया गया जो कि गुरुवार के एक्यूआइ 193 से कम रहा। हवा में अति सूक्ष्म कणों (पीएम2.5) की मात्रा अधिक रहने से वायु गुणवत्ता मध्यम स्थिति में रही। देश में लखनऊ सर्वाधिक प्रदूषित रहा। आगरा उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक प्रदूषित और देश में तीसरे स्थान पर रहा था।


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