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कर्नाटक: खेलते-खेलते 3 साल के बच्चे ने निगली 5 सेमी लंबी मूर्ति, डॉक्टरों ने बचाई जिंदगी

खेलने के क्रम में नन्हे बच्चे ने 5 सेमी लंबी गणेश भगवान की मूर्ति निगल ली। जब उसे परेशानी हुई तब परिवारवालों का ध्यान गया और आनन-फानन में अस्पताल ले गए जहांएक्स रे व जांच के बाद डॉक्टरों ने मूर्ति निकाल बच्चे की जिंदगी बचा ली।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 01:35 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 01:35 PM (IST)
कर्नाटक: खेलते-खेलते 3 साल के बच्चे ने निगली 5 सेमी लंबी मूर्ति, डॉक्टरों ने बचाई जिंदगी
खेलते-खेलते 3 साल के बच्चे ने निगली 5 सेमी लंबी मूर्ति, डॉक्टरों ने बचाई जिंदगी

बेंगलुरु, आइएएनएस। तीन साल के बच्चे ने खेलने के क्रम में 5 सेमी लंबी भगवान गणेश की मूर्ति निगल ली। तुरंत परिजनों का ध्यान बच्चे की परेशानी पर गया और उसे लेकर अस्पताल भागे। डॉक्टरों ने भी बिना समय गंवाए एक्सरे से पता लगाया कि मूर्ति कहां है और एंडोस्कोपी के जरिए उसे बाहर निकाल मासूम की जान बचा ली।

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बेंगलुरु निवासी तीन साल के बासव के साथ यह दुर्घटना शुक्रवार को हुई थी जिसके बाद उसे मणिपाल हास्पिटल ले जाया गया। दरअसल बासव गणेश की मूर्ति से खेल रहा था और तभी गलती से मूर्ति को निगल गया। डॉक्टरों ने एक्सरे के जरिए पहले मूर्ति के लोकेशन का पता लगाया जो खाने की नली के ऊपरी हिस्से में फंसी हुई थी। बासव दर्द से छटपटा रहा था। एंडोस्कोपिक प्रक्रिया से मूर्ति को निकालने के बाद करीब तीन घंटे तक अस्पताल में उसकी मॉनिटरिंग हुई और चार घंटे के बाद उसे दूध पिलाया गया। 

मणिपाल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीकांत केपी के अनुसार बच्चे की ऊपरी छाती में दर्द हो रहा था। उसे निगलने में कठिनाई हो रही थी। उसकी छाती और गर्दन का एक्स-रे किया गया। बच्चे को एंडोस्कोपी सूट में ले जाया गया और एक घंटे के भीतर मूर्ति के बाहर निकाल लिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि यदि लड़के को तत्काल चिकित्सा सहायता नहीं मिली होती, तो इससे फूड पाइप में चोट लग जाती। इससे छाती में संक्रमण हो जाता। डॉक्टरों के अनुसार जिस जगह पर मूर्ति फंसी थी वहां से सीधे निकालने पर फूड पाइप को नुकसान हो सकता था। डॉक्टर ने बताया, 'इस हालात में हम फूड पाइप में नुकीली वस्तुओं से बचने की कोशिश करते हैं। गला एक बहुत ही जटिल संरचना है जिसमें एक फूड पाइप, विंड पाइप और रक्त वाहिकाएं होती हैं। इसलिए, हमने मूर्ति को पेट के नीचे धकेला, उसकी स्थिति को उलट दिया और एंडोस्कोपी के माध्यम से उसे बाहर निकाला।


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