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तय होगाः अनुच्छेद 35ए संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ तो नहीं?

फिलहाल, तीन जजों की पीठ में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड के नहीं पहुंचने से मामला 27 अगस्त के बाद तक टल गया।

By Vikas JangraEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 10:08 PM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 10:08 PM (IST)
तय होगाः अनुच्छेद 35ए संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ तो नहीं?
तय होगाः अनुच्छेद 35ए संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ तो नहीं?

नई दिल्ली [प्रेट्र]। जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। तीन जजों की पीठ में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड के नहीं पहुंचने से मामला 27 अगस्त के बाद तक टल गया।

हालांकि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने स्पष्ट किया कि विवादित अनुच्छेद संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ तो नहीं है, इस बात का फैसला किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई को लेकर जम्मू एवं कश्मीर में दो दिनों का बंद रखा गया। कश्मीर में उग्र विरोध प्रदर्शन हुए। सुनवाई टलने से फिलहाल फौरी राहत मिल गई है।

बड़ी पीठ को सौंपा जा सकता है मामला
सोमवार को हुई संक्षिप्त सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि मामला तीन सदस्यीय पीठ द्वारा सुना जाना था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड पीठ का हिस्सा हैं। वह कोर्ट में नहीं हैं। इसलिए अब 27 अगस्त से शुरू होने वाले हफ्ते में सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि अनुच्छेद 35ए कहीं संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ तो नहीं है?

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1954 में राष्ट्रपति के आदेश से जोड़ा गया
ज्ञात हो कि अनुच्छेद 35ए को 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जोड़ा गया था। इसके जरिये जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार प्रदान किए गए हैं और राज्य के बाहर के लोगों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने के अधिकार से वंचित रखा गया है। राज्य के बाहर के व्यक्ति से शादी करने वाली कश्मीरी महिला को भी संपत्ति के अधिकार से वंचित किया गया है। यह प्रावधान संबंधित महिला पर ही नहीं उसके बच्चों पर भी लागू होता है।

संविधान पीठ को भेजने पर होगा विचार : मुख्य न्यायाधीश
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने याचिकाकर्ताओं से कहा, 'चूंकि आपने अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है, इसलिए यह केस संविधान पीठ के समक्ष जाना चाहिए। तीन सदस्यीय पीठ इस बारे में विचार करेगी।'

राज्य सरकार ने किया था सुनवाई टालने का आग्रह
जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर सोमवार को होने वाली सुनवाई टालने का आग्रह किया था। राज्य सरकार ने आगामी निकाय चुनाव को देखते हुए यह आग्रह किया था। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने सुनवाई टालने के राज्य सरकार के आग्रह का विरोध किया। उनका कहना था कि निकाय चुनाव सितंबर में होने हैं।

नेकां, माकपा समेत कई ने समर्थन में दायर की याचिकाएं
अनुच्छेद 35ए को कायम रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में उसके समर्थन में कई लोगों व संस्थाओं ने याचिकाएं दायर की हैं। चुनौती देने वाली याचिकाओं में से एक एनजीओ 'वी द सिटिजंस' की है। इसमें जम्मू एवं कश्मीर के लोगों के विशेषाधिकार समाप्त करने की मांग की गई है। जिन दलों व संगठनों ने इस अनुच्छेद को कायम रखने की याचिका दायर की है, उनमें नेशनल कांफ्रेंस और माकपा शामिल हैं।


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