'दुनियाभर में हर 5 में से 3 नवजात को स्तनपान नसीब नहीं, 7 करोड़ से अधिक पर मौत का खतरा'
यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है कि नवजात के जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान नहीं कराने के क्या खतरे हैं।
नई दिल्ली (आइएएनएस)। शिशु को जन्म के छह माह तक आहार के रुप में सिर्फ और सिर्फ मां का दूध जरुरी होता है। सरकारी विज्ञापन भी इसी बात का संदेश देती हैं। क्योंकि स्तनपान का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि जिन बच्चों को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान नहीं कराया जाता है उनकी मौत का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। इसी मुद्दे पर बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की शाखा यूनिसेफ की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। जानते हैं विस्तार से क्या कहती है यूनिसेफ की ये रिपोर्ट-
UNICEF और WHO की रिपोर्ट
यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ के तरफ से हालिया जारी एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में हर 5 में से 3 नवजात बच्चे ऐसे हैं जिन्हें जन्म के पहले एक घंटे के भीतर किसी कारणवश स्तनपान नहीं नसीब होता है। ऐसे बच्चों की संख्या दुनियाभर में 780 लाख के करीब है। ऐसे बच्चों के जल्दी मौत का खतरा होता है और उनमें गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अगर वो किसी तरह जीवित बच भी जाएं तो उनका शारीरिक और मानसिक विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाता है।
भारत की स्थिति में सुधार
रिपोर्ट में भारत की स्थित में पहले से सुधार का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने इस मामले में 2005 से 2015 के बीच काफी सुधार किए हैं। यहां 1 घंटे के नवजात को स्तनपान कराने के आंकड़े 10 सालों में दुगने हो गए हैं। जहां 2005 में ये आंकड़े 23.1 प्रतिशत थे वहीं 2015 में ये आंकड़े 41.5 प्रतिशत हो गए हैं।
भारत की नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए इसमें कहा गया है कि 54.9 प्रतिशत बच्चों को जन्म के छह महीने तक पर्याप्त रुप से स्तनपान कराया जाता है, साथ ही उन्हें इस दौरान भोजन और पानी भी देना शुरू कर दिया जाता है जिससे स्तनपान की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि स्तनपान से बच्चों के जीवन की एक स्वास्थ्यवर्धक शुरुआत होती है। यह दिमागी विकास के साथ-साथ शरीर के इम्यून सिस्टम को भी बढ़ाता है। इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण कि यह कि आगे की जीवन के लिए शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
एक्सपर्ट राय-
यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि यास्मिन अली हक कहती हैं कि मानव संसाधन को बचाए रखने के लिए स्तनपान एक अच्छा निवेश है। हमें सभी माताओं को शुरुआत से ही स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करने की जरुरत है। उनका कहना है कि जन्म के पहले छह महीने तो आवश्यक रुप से स्तनपान कराना चाहिए साथ ही दो साल तक की आयु तक भी बच्चों को स्तनपान जारी रखना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, स्तनपान में देरी बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। स्तनपान में जितनी देरी होती है उनके जीवन का खतरा भी उतना ही बढ़ जाता है। स्तनपान प्रैक्टिस में सुधार के बाद एक साल के अंदर 5 वर्ष तक की आयु के लगभग 8 लाख बच्चों की जानें बचाई जा सकती हैं। वैसी माएं जो बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराती हैं उनकी तुलना में पहले 2 से 23 घंटों के भीतर स्तनपान कराने वाले बच्चों में 28 दिनों के भीतर मौत का खतरा 30 फीसद तक बढ़ जाता है।
ये रिपोर्ट यूनाइटेड नेशन चिल्ड्रंस फंड डाटा से लिया गया है जिसमें 76 देशों का आंकड़ा बताया गया है। इसमें उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और पश्चिमी यूरोप का आंकड़ा नहीं है। इसमें यह भी कहा गया है कि ऐसे बच्चों के अनुपात का आंकड़ा अलग-अलग देशों में अलग-अलग है। जन्म के तुरंत एंक घंटे के भीतर बच्चों में स्तनपान कराने में दक्षिणी अफ्रीका (65 फीसद) शीर्ष पर है जबकि 32 फीसद के साथ पूर्वी एशिया सबसे निचले स्तर पर है।