हिंद महासागर की सुरक्षा के लिए भारत, चीन समेत 26 राष्ट्र एक मंच पर
सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की समुद्रिक दृष्टि सागर (सिक्युरिटी एंड ग्रोथ फार आल इन द रीजन) को विचारणीय विषय बनाया गया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। हिंद महासागर में मिल रही चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय नौसेना जल्द ही हिंद महासागर प्रक्षेत्र के लिए सूचना संधि केंद्र को स्थापित करेगी। इसकी स्थापना से इंडियन ओसन नेवल सिम्पोजियम (आईओएनएस) देशों के साथ बेहतर तालमेल को अंजाम दिया जा सकेगा। इससे सीमित समय सीमा में सुरक्षा संबंधित जरूरी जानकारियों को इन देशों से साझा करने में सहूलियत होगी।
हिंद महासागर में भारत की भूमिका भविष्य में कितनी अहम होगी इस पर विचार करने के लिए कोच्चि में नौसेना ने एक सम्मेलन का आयोजन किया है। भारत की पहल पर स्थापित किये गए इंडियन ओसन नेवल सिम्पोजियम (आईओएनएस) के एक दशक पूरा होने के मौके पर इस आयोजन को अंजाम दिया जा रहा है। इस सिम्पोजियम में शामिल 32 देशों में से 26 राष्ट्रों के नौसेना अध्यक्ष और आला प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसमें खासतौर से चीन, जापान, इरान, आस्ट्रेलिया, फ्रांस जैसे प्रमुख देश शामिल हैं।
इस मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि हिंद महासागर का इलाका इतना बड़ा है कि कोई भी एक देश अकेले इसकी सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर सकता। इसके लिये जरूरी है कि हम इसके हित धारक देशों के साथ मिल कर साझा प्रयास करें।
भारत की इस पहल से हिंद महासागर के तटीय देशों के बीच सुरक्षा के मामले में आपसी तालमेल और सहयोग लगातार बढ़ा है और क्षेत्र के देशों के बीच भारत एक प्रमुख सुरक्षा प्रदाता के तौर पर अग्रणी भूमिका निभाने वाला देश बन कर उभरा है।
बता दें कि 'इंडियन ओसन नेवल सिम्पोजियम' की स्थापना दिल्ली में फरवरी, 2008 को की गई थी। 'आईओएनएस' में अब तक 32 देशों के शामिल होने से क्षेत्र के तटीय देशों के बीच इसकी बढ़ती अहमियत का पता चलता है। सदस्य देशों के अलावा आठ देश इसके पर्यवेक्षक के तौर पर सम्मेलन में भाग लेते हैं। इससे सभी तटीय देशों के बीच समुद्री सहयोग की भावना मजबूत होती है। इससे सामुद्रिक मसलों को लेकर आपसी समझ बेहतर होती है और तटीय नौ सैनाओं के बीच सहयोगी प्रक्रिया विकसित करने में मदद मिलती है। पिछले कुछ समय में इस संस्था के जरिये एक बेहतर समुद्री क्षेत्रीय व्यवस्था कायम करने में मदद मिली है।
हिंद महासागर के इस तटीय नौसैनिक संगठन के जरिये समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारत के नेतृत्व को सभी देशों ने सराहा है। इस संगठन की अध्यक्षता भारत पहले संभाल चुका है और इसके बाद बारी बारी से सदस्य देश इसकी कमान संभालते हैं। अब-तक संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश और ईरान इसकी अध्यक्षता कर चुके हैं। अध्यक्ष के तौर पर दो साल पर सम्मेलन की मेजबानी करने वाले देशों द्वारा सेमिनार और नौसैनिक मेलजोल के कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'सागर' (सिक्युरिटी एंड ग्रोथ फार आल इन द रीजन) को विचारणीय विषय बनाया गया है। इससे हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की भूमिका नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर की भूमिका उजागर होती है।