नक्सल प्रभावित नौ राज्यों में लगेंगे मोबाइल टॉवर
नक्सल प्रभावित दूरस्थ इलाकों में अपर्याप्त टेलीफोन संपर्क से चिंतित सरकार इस साल के अंत तक ऐसे नौ राज्यों में 2,200 मोबाइल टॉवर स्थापित करने की योजना बना रही है।
नई दिल्ली। नक्सल प्रभावित दूरस्थ इलाकों में अपर्याप्त टेलीफोन संपर्क से चिंतित सरकार इस साल के अंत तक ऐसे नौ राज्यों में 2,200 मोबाइल टॉवर स्थापित करने की योजना बना रही है।
गृह मंत्रालय के अनुरोध के बाद दूरसंचार मंत्रालय ने भारत संचार निगम लिमिटेड को इस महत्वाकाक्षी परियोजना को पूरा करने का जिम्मा सौंपा है ताकि उन दूरस्थ इलाकों में टॉवर स्थापित कर मोबाइल टेलीफोन नेटवर्क को मजबूत बनाया जा सके जहा माओवादियों की सशक्त उपस्थिति है।
ये टॉवर राज्य सरकारों से परामर्श करने के बाद सुरक्षा बलों, पुलिस थानों और अन्य सुरक्षित स्थानों के आसपास स्थापित किए जाएंगे क्योंकि पूर्व में नक्सलियों ने अक्सर ऐसे टॉवरों को निशाना बनाया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बातया कि यह प्रस्ताव जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा और वहा से मंजूरी मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा।
प्रत्येक टॉवर के निर्माण में दस से बारह लाख रुपये की लागत आएगी और यह धनराशि 'यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लीगेशन फंड' से दी जाएगी। इस कोष की स्थापना सरकार ने 'यूनिवर्सल एक्सेस लेवी' [यूएएल] के माध्यम से की थी। कर लगाने का उद्देश्य ग्रामीण एवं दूरस्थ इलाकों में दूरसंचार सेवाएं मुहैया कराना है क्योंकि इन इलाकों में कम आबादी, कम आमदनी और पेशेवर गतिविधियों के अभाव के चलते बहुत ही कम राजस्व जुट पाता है।
इस परियोजना से छत्तीसगढ़, झारखड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित नौ राज्यों को लाभ होगा।
इन राज्यों में विकास परियोजनाओं में लगे लोगों और सुरक्षा बलों से अपर्याप्त मोबाइल संपर्क के बारे में शिकायतें मिलने के बाद टॉवर स्थापित करने का विचार आया।
नक्सलियों ने नौ राज्यों में बीते चार बरस में 200 से अधिक मोबाइल टॉवर ध्वस्त किए हैं। उनका दावा है कि मोबाइल फोनों के जरिए मुखबिर पुलिस को उनकी गतिविधियों और स्थानों के बारे में जानकारी देते हैं।
देश भर के 64 जिलों में 270 पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले इलाकों में नक्सली हिंसा की खबरें रही हैं। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में हिंसा का स्तर अभी भी अस्वीकार्य रूप से अत्यधिक है। वर्ष 2011 में इन राज्यों में 447 नागरिक और 142 सुरक्षा कर्मी मारे गए हैं।
माओवादियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने प्रभावित इलाकों में अर्द्धसैनिक बलों की 90 बटालियन [करीब 90,000 जवान] तैनात की हैं।
सुरक्षा संबंधी व्यय योजना के अंतर्गत बजट आवंटन वर्ष 2008-09 में 80 करोड़ रुपये था जो 2011-12 में बढ़ कर 337 करोड़ रुपये हो गया।
वर्ष 2010 से सरकार 78 चयनित एवं पिछड़े, माओवाद प्रभावित जिलों में महत्वाकाक्षी एकीकृत कार्य योजना भी कार्यान्वित कर रही है।
इस योजना के माध्यम से विभिन्न विकास योजनाएं चलाई जा रही हैं।
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