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COVID-19, लॉकडाउन में घर बैठे-बैठे सीख सकते हैं 21 क्षेत्रीय भाषाएं, सरकार ने बनाई योजना

कोरोना वायरस से बचाव के लिए घोषित किए गए लॉकडाउन पीरिएड में लोग अपने घरों में बैठे-बैठे ही 21 क्षेत्रीय भाषाएं भी सीख सकते हैं। सरकार ने ऐसी एक योजना लांच की है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 02:44 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 03:57 PM (IST)
COVID-19, लॉकडाउन में घर बैठे-बैठे सीख सकते हैं 21 क्षेत्रीय भाषाएं, सरकार ने बनाई योजना
COVID-19, लॉकडाउन में घर बैठे-बैठे सीख सकते हैं 21 क्षेत्रीय भाषाएं, सरकार ने बनाई योजना

नई दिल्ली। कोरोना वायरस से आम नागरिकों को बचाने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन पीरिएड का भी लोग लाभ उठा सकते हैं, इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत एक योजना लांच की गई है।

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इसकी जानकारी एचआरडी मिनिस्ट्री की तरफ से उनके ट्वीटर हैंडल पर भी शेयर की गई है। दरअसल सरकार चाहती है कि इन दिनों घर पर लॉकडाउन के समय भी लोग कुछ न कुछ सीखते रहे, टीवी देखने के अलावा वो कुछ रचनात्मक चीजें भी सीख लें जो उनके जीवन में आगे काम भी आएं। इसी को ध्यान में रखते हुए एचआरडी मिनिस्ट्री की ओर से ये योजना लांच की गई है जिसका समर्थन भी मिल रहा है।

देश में 19 हजार 500 भाषाएं

देश में 19 हजार 500 से अधिक भाषाएं बोली जाती है मगर इन सभी को समझना हर किसी के बस की बात भी नहीं है। भारत के लिए एक कहावत भी मशहूर है कि कोस-कोस पर पानी बदले और कोस-कोस पर भाषा अर्थात यहां हर 10 किलोमीटर की दूरी के बाद भाषा बदल जाती है और पानी का स्वाद भी। लोगों को दूसरे की भाषा समझने में भी थोड़ी समस्या होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए ये कार्यक्रम शुरू किया गया है जिससे लोग अधिक से अधिक भाषाओं के बारे में जान और समझ सकें।

कैसे सिखाई जाएंगी इतनी भाषाएं

अब बड़ा सवाल ये उठता है कि सरकार एक साथ इतने लोगों को भाषाओं के बारे में कैसे बताएगी। इसका भी आसान तरीका निकाला गया है। “एक भारत श्रेष्ठ भारत” या ईबीएसबी कार्यक्रम के तहत रोजाना हैशटैग के साथ ट्वीटर हैंडल पर एक वाक्य पोस्ट किया जाएगा। इस एक वाक्य का अनुवाद 21 क्षेत्रीय भाषाओं में भी दिखेगा, जो लोग क्षेत्रीय भाषाओं को जानने के शौकीन होंगे वो उस क्षेत्रीय भाषा में उस शब्द को पढ़ और लिख लेंगे, उसके बारे में उनको पता चल जाएगा। इसमें असमिया, बोडो, डोगरी, गुजराती, कन्नड़, कहमिरि, कोंकणी और मलयालम सहित अन्य भाषाएं शामिल की गई हैं।

की जा रही सराहना

एचआरडी मिनिस्ट्री की ओर से जब इस योजना के बारे में सोशल मीडिया ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट किया गया उसी के बाद लोग इसकी तारीफ करने लगे हैं। लॉकडाउन शुरू होने के बाद लोग यही कह रहे थे कि वो कैसे घर में रह पाएंगे, उनका समय कैसे पास हो पाएगा, वो तो घर में बैठे-बैठे बोर हो जाएंगे? उन्हीं लोगों की समस्याओं को देखते हुए सरकार की ओर से उनको इन 21 दिनों में कुछ नया सिखाने के लिए ये योजना शुरू की गई है।

मालूम हो कि 21 मार्च को पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू के लिए अपील की थी उसके अगले दिन लॉकडाउन की घोषणा कर दी। इससे आम लोगों को घर में बैठने के लिए किसी तरह की तैयारी करने का कोई मौका ही नहीं मिल पाया। कोरोना वायरस के खौफ से पूरी दुनिया के देश परेशान हैं।

उधर कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा आइसोलेशन कोच तैयार किए जा रहे हैं। रोगियों के लिए बोगियों को आइसोलेशन वार्ड में तब्‍दील करने के लिए मध्य बर्थ को एक तरफ से हटा दिया गया है। वहीं, रोगी के सामने से तीनों बर्थ हटा दिए गए हैं। साथ ही बर्थ पर चढ़ने के लिए सभी सीढ़ी हटा दी गई हैं। आइसोलेशन कोच को तैयार करने के लिए बाथरूम, गलियारे क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों को भी संशोधित किया गया है। बता दें कि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 873 पहुंच गया है। 


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