असम फर्जी मुठभेड़ः उस एक रात ने छीन ली परिवार की खुशियां और शांति
प्रदीप के भाई दीपक कहते हैं कि इसके बाद हमने उन्हें कभी जिंदा नहीं देखा।
गुवाहाटी [प्रेट्र]। असम के तिनसुकिया जिले में रहने वाले एक परिवार की शांति करीब 24 साल पहले उस समय छिन गई थी, जब फौज ने दरवाजा खटखटाया और एक हत्या के आरोप और उल्फा उग्रवादियों से संबंध बताते हुए प्रदीप दत्ता को गिरफ्तार कर लिया। प्रदीप के भाई दीपक कहते हैं कि इसके बाद हमने उन्हें कभी जिंदा नहीं देखा।
गुवाहाटी स्थित यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर दीपक ने बताया कि 19 फरवरी 1994 की रात दो बजे थे। तभी फौज आई और टी एस्टेट मैनेजर की हत्या से संबंध बताते हुए उनके भाई प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया। दीपक कहते हैं कि फौज ने उनके भाई के साथ चार अन्य लोगों को भी उठाया था। इन सभी की चार दिन बाद 23 फरवरी 1994 को हत्या कर दी गई। इसे डोंगरी फर्जी मुठभेड़ केस के रूप में भी जाना जाता है। दीपक बताते हैं कि प्रदीप की हत्या के बाद उनके शव को जिस हाल में उन्हें सौंपा था उसे देखने के बाद परिवार कई दिनों तक दहशत में था।
जिस समय प्रदीप को फौज ने घर से उठाया था। उससे एक महीने पहले ही प्रदीप की शादी हुई थी। प्रदीप अपने पांच भाइयों में दूसरे नंबर पर थे, जो कि तिनसुकिया जिले के तलप इलाके में रहते थे। प्रदीप दत्त के परिवार ने शनिवार को उस समय चैन की सांस ली जब सैन्य अदालत ने फर्जी मुठभेड़ में दोषी मानते हुए मेजर जनरल समेत सात सैन्यकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।