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1984 सिख विरोधी दंगे: दोबारा खुलेंगे बंद किए गए 186 मामले

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख दंगे भड़के थे। इसमें अकेले दिल्ली में हजारों लोगों की मौत हो गई थी।

By Pratibha KumariEdited By: Published: Wed, 10 Jan 2018 03:05 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jan 2018 09:22 PM (IST)
1984 सिख विरोधी दंगे: दोबारा खुलेंगे बंद किए गए 186 मामले
1984 सिख विरोधी दंगे: दोबारा खुलेंगे बंद किए गए 186 मामले

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 1984 के सिख विरोधी दंगों के बंद कर दिये गए 186 मामलों की नये सिरे से जांच होगी। हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय एसआइटी का गठन सुप्रीम कोर्ट करेगा। कोर्ट ने एसआईटी के गठन के लिए सरकार और याचिकाकर्ता के वकील से नाम मांगें हैं।

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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे भड़के थे जिसमें सैकड़ों सिखों की जान गई थी साथ ही उनकी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया था। गुरलैंद सिंह कहलों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दंगों के मामलों की जांच एसआइटी से कराने की मांग की है। गत 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक सुपरवाइजरी कमेटी का गठन किया था जिसे सरकार द्वारा गठित एसआइटी द्वारा बंद किये गए 241 मामलों की जांच सौंपी थी। सुपरवाइजरी कमेटी ने जांच करके अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी थी।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुपरवाइजरी कमेटी की रिपोर्ट देख कर कहा कि इसमें पाया गया है कि एसआइटी ने 241 में से 186 मामलों की आगे जांच नहीं की। पीठ ने कहा कि मामलों की प्रकृति को देखते हुए उन्हें लगता है कि इन 186 मामलों की जांच के लिए नयी एसआइटी गठित होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मामलों की जांच के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआइटी गठित की जाएगी। एसआइटी गठन के लिए पीठ ने केन्द्र सरकार की ओर से पेश एएसजी पिंकी आनंद और याचिकाकर्ता के वकील एचएस फूलका से तीन नाम देने को कहा है। एसआईटी के तीन सदस्य हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश, पूर्व आईपीएस अधिकारी जो कि आईजी रैंक से नीचे का नहीं होना चाहिए और तीसरा सदस्य वर्तमान आईपीएस अधिकारी जो कि दिल्ली में उपलब्ध हो, होगा। कोर्ट ने सरकार और फूलका को बुधवार को ही तीन नामों का सुझाव देने को कहा था। इस मामले में कोर्ट गुरुवार को फिर सुनवाई करेगा।

उधर दूसरी ओर कानपुर में सिख दंगों के दौरान 127 लोगों की मौत के मामलों की जांच एसआईटी से कराए जाने की मांग वाली लंबित याचिका पर बुधवार को केन्द्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर दिये गए अपने जवाब में कहा कि उत्तर प्रदेश के दंगों की जांच एसआइटी से कराई जाए कि नहीं ये उत्तर प्रदेश सरकार तय कर सकती है। केन्द्र का कहना है कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है ऐसे एसआइटी जांच का फैसला राज्य सरकार ही ले सकती है।

3000 से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में हजारों की संख्या में सिख मारे गए थे। याद दिला दें कि इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही सिख अंगरक्षकों ने की थी। इंदिरा की हत्या के बाद पूरे भारत में दंगे की आग भड़की थी। इन दंगों में 3000 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 2000 से ज्यादा लोग सिर्फ दिल्ली में ही मारे गये थे। नरंसहार के बाद सीबीआइ ने कहा था कि ये दंगे राजीव गांधी के नेतृ्त्व वाली कांग्रेस सरकार और दिल्ली पुलिस ने मिल कर कराये हैं। उस समय तत्कालीन पीएम राजीव गांधी का एक बयान भी काफी सुर्खियों में था जिसमें उन्होंने कहा था कि जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तब पृथ्वी भी हिलती है।

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