संसद पर 17 साल पहले हुआ था आंतकी हमला, अब सुरक्षा ऐसी; परिंदा भी नहीं मार सकता पर!
भारत की संसद पर हमला करने की हिमाकत जैश और लश्कर के आतंकियों ने की थी, जिन्हें मुंह की खानी पड़ी थी।
नई दिल्ली, जेएनएन। लोकतंत्र के मंदिर यानि संसद पर आज ही के दिन 13 दिसंबर 2001 को आतंकी हमला हुआ था। संसद पर हुए इस आतंकी हमले को 17 साल गुजर चुके हैं, लेकिन इसकी यादें अभी तक लोगों के जेहन में ताजा हैं। इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान सहित सीआरपीएफ की एक महिला कॉस्टेबल और दो सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने हमले में शहिद हुए जवानों को नमन किया है।
संसद हमले की आज 17वीं बरसी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2001 में संसद हमले के दौरान शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी।
राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट कर कहा, 'आज के दिन 2001 में आतंकवादियों से संसद की रक्षा करते समय शहीद हुए वीरों को कृतज्ञ राष्ट्र का नमन। आतंक फैलाने वाली शक्तियों ने हमारे लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला किया था। लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके और हम उन्हें कभी सफल नहीं होंगे देंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'हम 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले को नाकाम करने में शहिद हुए जवानों को सलाम करते हैं। उन शहीद जवानों का साहस और वीरता हर भारतीय को प्रेरित करती है।'
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट किया, '13 दिसंबर 2001 को भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने वाले हमारे सभी वीर सेनानियों को कोटि-कोटि नमन करता हूं। यह राष्ट्र आपके इस सर्वोच्च बलिदान के लिये सदैव ऋणी रहेगा।'
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, 'आज भारतीय संसद पर हमले को 17 साल हो गए हैं। उस दिन अपनी जान गंवाने वाले लोगों के लिए मेरी श्रद्धांजलि और कर्तव्य का पालन करते हुए घायल लोगों को सहानुभूति। आतंकवाद और हिंसा से कुछ हासिल नहीं किया जा सकता, इसलिए सभी को इसे छोड़ देना चाहिए।'
सफेद एंबसेडर में आए थे आतंकी
13 दिसंबर 2001 का दिन और दहशत के उन 45 मिनट ने हर भारतीय को हिला कर रख दिया था। सफेद रंग की एंबसेडर कार से आये आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर पूरे संसद भवन को हिला कर रख दिया था। लेकिन, हमारे बहादुर जवानों के हाथों आतंकियों को मुंह की खानी पड़ी थी। पूरा देश इन बहादुर जवानों पर गर्व करता है।
संसद की सुरक्षा में अब परिंदा भी नहीं मार सकता पर
हमले के बाद संसद की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है। संसद भवन के अंदर सीआरपीएफ, दिल्ली पुलिस और क्यूआरटी(क्यूक रिस्पॉन्स टीम) को तैनात किया गया है। मुख्य जगहों पर अतिरिक्त स्नाइपर भी तैनात किये गये हैं। इसके साथ न दिखने वाला सुरक्षा कवर भी बढ़ा दिया गया है। किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए आतंक निरोधी दस्ते लगातार औचक निरीक्षण करते रहते हैं। बता दें कई उच्च तकनीक वाले उपकरण जैसे बुम बैरियर्स और टायर बस्टर्स लगाने में करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किये गये।
संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को 2013 में हुई फांसी
भारत की संसद पर हमला करने की हिमाकत जैश और लश्कर के आतंकियों ने की थी, जिन्हें मुंह की खानी पड़ी थी। इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान सहित सीआरपीएफ की एक महिला कॉस्टेबल और दो सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। आतंकी पूरी तैयारी के साथ आए थे और उन्होंने फर्जी आईडी कार्ड के जरिये संसद परिसर में प्रवेश किया था। अफजल गुरु समेत 4 लोग हमले के दोषी करार हुए थे। इनमें से अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी।