मजदूर के घर गूंजे 15वें बच्चे की किलकारी
एटा [जासं]। परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार की तमाम कवायद यहां फेल हो गईं। नगला निजाम गांव के श्रीचंद के घर 15वें बच्चे की किलकारी गूंजी। मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाला श्रीचंद और उसकी पत्नी घर में नए मेहमान के आने से बेहद खुश हैं। शीतलपुर विकासखंड के गांव नगला निजाम निवासी श्रीचंद की 3
एटा [जासं]। परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार की तमाम कवायद यहां फेल हो गईं। नगला निजाम गांव के श्रीचंद के घर 15वें बच्चे की किलकारी गूंजी। मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाला श्रीचंद और उसकी पत्नी घर में नए मेहमान के आने से बेहद खुश हैं।
शीतलपुर विकासखंड के गांव नगला निजाम निवासी श्रीचंद की 38 वर्षीय पत्नी सुनीता को शनिवार सुबह 7.45 बजे जिला महिला चिकित्सालय लाया गया। यहां आठ बजे उसने अपने 15वें बच्चे के रूप में पुत्र को जन्म दिया। अस्पताल में 15वें बच्चे के जन्म की सूचना पर उसे देखने के लिए लोग जमा होने लगे। श्रीचंद दो बीघा जमीन पर खेती करने के साथ ही मेहनत-मजदूरी करता है। परिवार पालने में भले ही से दिक्कत हो, लेकिन अपने बढ़ते परिवार से वह संतुष्ट है। सुनीता सुनीता ने बताया कि वे दोनों संतुष्ट हैं।
10 वर्ष में ही हुई थी शादी :
सुनीता की शादी महज दस वर्ष की उम्र में ही हो गई थी। 17 वर्ष की उम्र में उसने पहले बच्चे को जन्म दिया।
चार बच्चों की हो चुकी मौत :
देखभाल के अभाव में सुनीता के चार बच्चों की मौत हो चुकी है। दो बेटियों की मौत जन्म के दो माह ही हो गई, जबकि दो बेटों की मौत प्रसव के दो दिन बाद। सुनीता के अब नौ बेटे और दो बेटियां हैं।
नई पीढ़ी भी अज्ञानता के अंधकार में :
आर्थिक तंगी के चलते श्रीचंद अपने बच्चों को पढ़ा नहीं सका। दो बेटे मजदूरी कर रहे हैं। दो बच्चे ही पाठशाला का मुंह देख सके हैं।
नहीं मिल रहा स्वास्थ्य लाभ :
सुनीता की 15 संतानों में से 13 संतानों का जन्म घर पर ही हुआ है। उसने न तो आज तक गर्भावस्था पूर्व न कोई उपचार लिया न ही कोई जांच कराई।
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