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तेलंगाना विरोधी 12 सांसद निलंबित

नई दिल्ली [जाब्यू]। पिछले एक पखवाड़े से अनियंत्रित लोकसभा को सुचारु करने के लिए आखिरकार अध्यक्ष मीरा कुमार को ब्रह्मास्त्र चलाना पड़ा। खाद्य सुरक्षा समेत दूसरे अहम विधेयकों के आड़े खड़े तेलंगाना विरोधी कांग्रेस और तेलुगु देसम पार्टी [तेदेपा] के 12 सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष ने पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया है। अब सोमवार को लोकसभा में

By Edited By: Published: Fri, 23 Aug 2013 09:32 PM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2013 09:35 PM (IST)

नई दिल्ली [जाब्यू]। पिछले एक पखवाड़े से अनियंत्रित लोकसभा को सुचारु करने के लिए आखिरकार अध्यक्ष मीरा कुमार को ब्रह्मास्त्र चलाना पड़ा। खाद्य सुरक्षा समेत दूसरे अहम विधेयकों के आड़े खड़े तेलंगाना विरोधी कांग्रेस और तेलुगु देसम पार्टी [तेदेपा] के 12 सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष ने पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया है। अब सोमवार को लोकसभा में खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा कर उसे पारित कराने की कोशिश होगी। शनिवार को सोनिया गांधी की विशेष रुचि में शामिल स्ट्रीट वेंडर्स [रेहड़ी-पटरी वाले] और सिर पर मैला ढोने वालों के लिए विधेयक पारित कराने की कोशिश होगी।

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लोकसभा में गुरुवार को संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ का दांव उल्टा पड़ा था। शुक्रवार को उन्होंने खुद ही सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव वापस ले लिया। इसके बाद बैठक में राजनीतिक दलों में सहमति बन गई कि खुद लोकसभा अध्यक्ष अपने अधिकारों का प्रयोग कर हंगामा कर रहे सांसदों को निलंबित कर दें। सदन की बैठक दो बार स्थगित करने के बाद मीरा कुमार ने नियम 374 ए के तहत तेलंगाना के मुद्दे पर लगातार हंगामा काट रहे कांग्रेस के आठ और तेदेपा के चार सदस्यों को निलंबित कर दिया। ये सभी सांसद आंध्र और रायलसीमा क्षेत्र से आते हैं। इस नियम के अनुसार सदस्य सदन की लगातार पांच बैठकों या सत्र के बचे हुए दिनों के लिए स्वत: निलंबित हो जाते हैं। लोकसभा अध्यक्ष ने पहली बार इस अधिकार का इस्तेमाल किया। तेदेपा के निलंबित सदस्य इस फैसले के विरोध में कई घंटों तक स्थगित सदन के अंदर ही बैठे रहे और बाद में सीमांध्र का नारा लगाते हुए बाहर गए।

अब शनिवार को लोकसभा की विशेष बैठक में सामाजिक क्षेत्रों से जुड़े दो विधेयकों - मैला ढोने पर पाबंदी व पुनर्वास और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए कानून - समेत तीन अन्य विधेयकों को पारित कराने की कोशिश होगी। मैला ढोने पर पाबंदी व रेहड़ी-पटरी वालों के लिए कानून जैसे विधेयकों पर सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद [एनएसी] ने मुहर लगाई थी। इन पर सरकार का चुनावी दारोमदार भी है। सोनिया के हस्तक्षेप के बाद ही रेहड़ी-पटरी वालों के लिए विधेयक लाने का काम तेज हुआ था। दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वालों की बड़ी संख्या को देखते हुए चुनावी लिहाज से भी इसे अहम माना जा रहा है। विधेयक पर चर्चा के लिए भाजपा ने भी अपने वक्ता तय कर लिए हैं। रेहड़ी-पटरी वालों से संबंधित विधेयक पर शाहनवाज हुसैन भाजपा का पक्ष रखेंगे।

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