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विद्युत विभाग को प्रति माह 12 करोड़ की लग रही चपत

यातायात व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने को लेकर भले ही तमाम दावे हो रहे हों। यहां तक कि आए दिन अभियान चलाकर वाहनों की जांच - पड़ताल की जा रही हो। किसी के फिटनेश जांचे जा रहे हों तो किसी को पंजीयन नवीनीकरण का निर्देश दिया जा रहा हो लेकिन पूरे सिस्टम पर भारी पड़ रहे सड़कों पर दौड़ते जुगाड़ गाडियों पर किसी की नजर नहीं पड़ रही है।

By Edited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 05:13 PM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 10:06 PM (IST)
विद्युत विभाग को प्रति माह 12 करोड़ की लग रही चपत
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही):विद्युत विभाग को प्रति माह बारह करोड़ का घाटा लग रहा है। आलम यह है कि लाइन लास में गोपीगंज क्षेत्र लाइन लास में अव्वल है। विभाग की ओर से की गई कवायद फेल साबित हो रहा है। खास बात तो यह है कि विभाग की ओर से प्रवर्तन कार्य पूरी तरह पटरी से उतर चुका है। नगरीय क्षेत्रों में तो मीटर लगा दिए गए हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी यह व्यवस्था दूर-दूर तक नहीं दिखाई पड़ रहा है। अंधाधुंध बिजली कटौती से पूरा जनपद परेशान है। शासन के मंशानुरूप रोस्टर का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। हकीकत यह है कि पंजीकृत उपभोक्ता बिजली का उपभोग तो कर रहे हैं लेकिन उसका बिल भुगतान समय से नहीं कर रहे हैं। रिकार्ड पर गौर किया जाए तो जनपद में प्रत्येक माह 53 मीलियन यूनिट बिजली की खपत होती है। चार रुपये 60 पैसे प्रति यूनिट के दर से विभाग को प्रत्येक माह बीस करोड़ रुपये जमा करना होता है। इसके सापेक्ष मात्र आठ करोड़ रुपये ही थर्मल पावर कार्पोरेशन को दिया जा रहा है। जनपद में सर्वाधिक लाइन लास गोपीगंज क्षेत्र में हो रहा है। शासन से चिन्हित इस क्षेत्र में लाइन लास रोकने में विभाग पूरी तरह फेल होता दिख रहा है। विभागीय अधिकारी भी इसको लेकर अंजान बने हुए हैं। प्रवर्तन कार्य के बजाए दफ्तर में बैठ कर खानापूर्ति में जुटे हुए हैं। अधिशासी अभियंता विद्युत अमर ¨सह का कहना है कि प्रत्येक माह विभाग को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। उपभोक्ता बिजली बिल समय से जमा नहीं कर रहे हैं। कार्रवाई के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। इसीलिए विद्युत आपूर्ति में दिक्कत उठानी पड़ रही है। ---------------- साठ फीसद उपभोक्ताओं के यहां नहीं लगे मीटर शासन की ओर से शतप्रतिशत उपभोक्ताओं के यहां मीटर लगाने का निर्देश दिया गया है। नगरीय क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण अंचलों में 60 फीसद उपभोक्ताओं के घर पर अभी तक मीटर नहीं लगाए जा सके हैं। खास बात तो यह है कि विद्युत विभाग के अधिकारी गांव में प्रवर्तन करने भी नहीं जाते हैं। बि¨लग की व्यवस्था पूरी तरह फेल हो चुकी है। अधिसंख्य उपभोक्ताओं के यहां समय से बिल भी नहीं पहुंच पाते हैं। बिल न पहुंचने से उपभोक्ता समय से भुगता नहीं करते हैं।

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