कैंसर की गिरफ्त में मध्य प्रदेश का ये गांव, डेढ़ साल में 11 की मौत
गांव में मिलने वाले मरीजों को एक ही तरह का कैंसर नहीं है। इसमें मुंह का कैंसर, आंत, आहार नली, स्तन और पेट के कैंसर के मरीज मिले हैं।
इंदौर [अश्विन बक्शी]। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से 15 किलोमीटर दूर है हरसोला गांव। दस हजार की आबादी वाले इस गांव को लगभग पांच साल पहले कैंसर ने गिरफ्त में लेना शुरू किया था। चंद लोगों में यह बीमारी सामने आई, लेकिन इसका असर नजर आने लगा है। 2018 में अब तक पांच-छह मौतें हो चुकी हैं। इस महीने हुई मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग व शासकीय कैंसर अस्पताल के डॉक्टरों की टीम मैदान में उतार दी गई है।
इस साल कैंसर के चार मरीजों की मौत के बाद प्रशासन सतर्क हो चुका है। छह दिन में टीम ने 6404 महिला-पुरुषों का सर्वे किया। इनमें से 21 ऐसे मरीज सामने आए, जिनमें कैंसर के लक्षण पाए गए। तीन मरीज ऐसे भी मिले, जिनका मुंह धूम्रपान के कारण पूरा खुल नहीं रहा है। डॉक्टरों के अनुसार मुंह में छाले वाले ऐसे मरीज जिनके मुंह में सफेद छाले हैं और पूरा मुंह न खुलने वाले मरीजों में आगे चलकर कैंसर होने की आशंका बनी रहती है। अब इन सभी 21 मरीजों की शासकीय कैंसर अस्पताल में जांच की जाएगी।
अलग-अलग तरह के मिल रहे मरीज
गांव में मिलने वाले मरीजों को एक ही तरह का कैंसर नहीं है। इसमें मुंह का कैंसर, आंत, आहार नली, स्तन और पेट के कैंसर के मरीज मिले हैं। इसलिए इसके कारणों पर कोई निष्कर्ष जांच के बाद भी नहीं निकल रहा है।
2017-18 में इनकी हुई मौत
जनवरी 2017 से 2018 जुलाई तक गांव में 11 लोगों की मौत कैंसर से हो चुकी है। इनमें रामकिशन चौधरी, रामचंद्र टेलर, किशनलाल वर्मा, रमेश भरोड़, लक्ष्मीनारायण सोलंकी, भागवतीबाई, कौशल्याबाई, रामकन्याबाई, हजारीलाल हरोड़ व रमेश मोहरिया शामिल शामिल हैं।
दो साल पहले इनकी हुई मौत
दो साल पहले गांव में लीलाबाई, मदनलाल मुकाती, रामचंद्र राव, लक्ष्मीबाई मुकाती, परमानंद माली, बद्रीलाल डिंगू की मौत कैंसर से हो चुकी है।
पानी व मिट्टी के नमूने लिए, पर नहीं आई रिपोर्ट
पीएचई विभाग ने लगभग 15 दिन पहले गांव में छह बोरिंग व तालाब के पानी के सैंपल लिए थे, लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है। जानकारों की मानें तो इससे पहले हुई जांच में पानी में कैल्शियम अधिक पाया गया था। मृदा परीक्षण केंद्र ने भी आठ-दस जगह से सैंपल लिए, लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है।
गांव में कैंप लगाकार जांच की जा रही है। यहां से संभावित मरीजों को मेडिकल कॉलेज के कैंसर अस्पताल में जांच के लिए बुलाया जाएगा। जिन्हें मुंह के छाले व मुंह कम खुलने की परेशानी है, उनमें यह आगे जाकर कैंसर का रूप ले सकता है। इसलिए इनकी जल्द जांच की जाएगी।
-डॉ. नीरज छारी, कैंसर सर्जन, शासकीय
कैंसर अस्पताल इंदौर