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11 दिन, तीन अभियान, 10 आतंकियों का सफाया

11 दिन, तीन अभियान और 10 आतंकियों का सफाया, शहीद कमांडो लांसनायक मोहन नाथ गोस्वामी की बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा की गाथा सुनाते हैं। सेना के विशेष बल के सदस्य लांसनायक मोहन नाथ गोस्वामी दो दिन पहले उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में एलओसी के साथ सटे हफरुदा के जंगल में पाकिस्तान प्रशिक्षित

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2015 06:01 AM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2015 06:14 AM (IST)
11 दिन, तीन अभियान, 10 आतंकियों का सफाया

श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। 11 दिन, तीन अभियान और 10 आतंकियों का सफाया, शहीद कमांडो लांसनायक मोहन नाथ गोस्वामी की बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा की गाथा सुनाते हैं।

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सेना के विशेष बल के सदस्य लांसनायक मोहन नाथ गोस्वामी दो दिन पहले उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में एलओसी के साथ सटे हफरुदा के जंगल में पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। इस अभियान में चार आतंकी मारे गए थे।

उत्तराखंड के रहने वाले लांसनायक मोहन नाथ गोस्वामी अपनी शहादत से लगभग 17 दिन पहले ही छुटिटयां बिता कर यूनिट में लौटे थे।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल एसडी गोस्वामी के अनुसार, मोहन नाथ गोस्वामी ने खुद ही सेना के विशेष बल पैरा कमांडों दस्ते में शामिल होने की इच्छा जताई थी। वर्ष 2002 में वह कमांडो बने। प्रवक्ता के अनुसार, घर से जब वह अपनी यूनिट में लौटे तो सबसे प्रमुख अभियान हंदवाड़ा के खुरमूर इलाके में 23 अगस्त को शुरू हुआ। इस अभियान के दौरान गोस्वामी व उनके साथियों ने तीन विदेशी आतंकियों को मार गिराया। इसके दो दिन बाद रफियाबाद के जंगलों में दो दिन तक चले अभियान में भी लांसनायक गोस्वामी ने भाग लिया। इस अभियान में तीन आतंकी मारे गए और एक पाकिस्तानी आतंकी सज्जाद अहमद उर्फ उबैदुल्ला जिंदा पकड़ा गया।

रफियाबाद आपरेशन के बाद जब गोस्वामी को पता चला कि हंदवाड़ा में एलओसी के साथ सटे हफरु़दा जंगल में छिपे घुसपैठियों को मार गिराने की तैयारी हो रही है तो उन्होंने फिर आपरेशन में शामिल होने की इच्छा जताई। यह उनका अंतिम सैन्य अभियान साबित हुआ, लेकिन शहादत पाने से पहले गोस्वामी ने चार आतंकियों को मार गिराने में अपने साथियों संग अहम भूमिका निभाई।

कर्नल गोस्वामी ने कहा कि शहीद लांसनायक की पार्थिव देह को पूरे सैन्य सम्मान के साथ वायुसेना के विमान से बरेली पहुंचाया गया है। बरेली से सैन्य हेलीकॉप्टर में उनका शरीर पंतनगर और फिर उससे आगे उनके पैतृक गांव पहुंचाया गया। शहीद इंदिरा नगर-हल्द्वानी का रहने वाला थे।

मोहन को अंतिम विदाई में छलक उठी हर आंख

नैनीताल, जागरण संवाददाता। उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे जंगल (हंदवाड़ा-कुपवाड़ा) में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की पार्थिव देह शनिवार को बिंदुखत्ता पहुंच गई। हजारों लोगों ने शवयात्रा में शिरकत कर मोहन को अंतिम विदाई दी। शहीद की कुर्बानी को याद कर हर आंख छलक उठी। सैनिक सम्मान के साथ शहीद जवान को उनके पिता स्व. शंकर नाथ गोस्वामी की समाधि के पास ही समाधि दी गई।

शनिवार को यहां बाजार पूर्णत: बंद था। नगर में जगह-जगह खड़े क्षेत्रवासियों ने शव यात्रा के दौरान शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प वर्षा की। हालत यह थी कि जिन लोगों को जगह नहीं मिली उन्होंने छत व पेड़ पर चढ़कर शहीद के दर्शन किए। मोहन की मां राधिका देवी व पत्नी भावना, पुत्री भूमिका व भाई शंभूनाथ गोस्वामी समेत अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। शहीद के चचेरे भाई देवनाथ गोस्वामी ने गोदान, बैतरणी, नहलाना समेत अन्य क्रियाकर्म संपन्न कराए। बाद में पार्थिव देह को तिरंगे में लपेटकर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां राज्य के श्रममंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, जिलाधिकारी, दर्जा मंत्री समेत कई अधिकारियों, पूर्व सैनिकों व क्षेत्रवासियों ने शहीद को पुष्प चक्र अर्पित किए। सैनिकों ने शस्त्र झुकाकर शहीद के शव को सलामी दी। सेना के जवानों ने 21 राउंड हवाई फायर कर शहीद को सलामी दी।

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