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Mukhtar Ansari: भाजपा का यह नेता नहीं होता तो मुख्तार-मुख्तार नहीं होते, इनकी हत्‍या के लिए एके-47 से चलाई थी 400 राउंड से ज्यादा गोलियां

Mukhtar Ansari Death 1988 में मुख्तार व साधु सिंह ने मंडी परिषद के ठेकेदार सच्चिदानंद राय को मारा और फिर त्रिभुवन सिंह के भाई राजेंद्र सिंह को मौत के घाट उतार दिया जो यूपी पुलिस में कांस्टेबल थे। अपने भाई की हत्या का बदला लेने के लिए त्रिभुवन ने बृजेश के साथ मिलकर साधु की हत्या कर दी। इसके बाद बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी शुरू हो गई।

By Ashok Singh Edited By: Vivek Shukla Published: Fri, 29 Mar 2024 09:41 AM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 09:41 AM (IST)
Mukhtar Ansari: भाजपा का यह नेता नहीं होता तो मुख्तार-मुख्तार नहीं होते, इनकी हत्‍या के लिए एके-47 से चलाई थी 400 राउंड से ज्यादा गोलियां
Mukhtar Ansari Death मुख्तार अंसारी की भाजपा नेता कृष्णानंद राय से दुश्‍मनी थी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। Mukhtar Ansari Death मुख्तार अंसारी न केवल अपराधी था बल्कि वह गाजीपुर-मऊ की राजनीति में भी मजबूत पकड़ रखता था। उसकी भाजपा नेता कृष्णानंद राय से अदावत थी। उसने धोखे से कृष्णानंद समेत सात लोगों की गाजीपुर के गोडउर में हत्या करा दी। कृष्णानंद रहे होते तो मुख्तार न तो राजनीति में आगे बढ़ पाता न ही जरायम की दुनिया में।

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90 के दशक में पूर्वांचल में साहिब सिंह और मखनू सिंह के दो गैंग सक्रिय थे। मुख्तार अंसारी मखनू सिंह गैंग में शामिल हो गया। मखनू सिंह गैंग की टक्कर साहिब सिंह गैंग से थी। साहिब सिंह गैंग में त्रिभुवन व बृजेश सिंह थे।

1988 में मुख्तार व साधु सिंह ने मंडी परिषद के ठेकेदार सच्चिदानंद राय को मारा और फिर त्रिभुवन सिंह के भाई राजेंद्र सिंह को मौत के घाट उतार दिया जो उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल थे। अपने भाई की हत्या का बदला लेने के लिए त्रिभुवन ने बृजेश सिंह के साथ मिलकर साधु सिंह की हत्या कर दी। इसके बाद बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी शुरू हो गई।

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बृजेश सिंह से ही बीजेपी नेता कृष्णानंद राय का जुड़ाव था। इसके चलते उनकी दुश्मनी भी मुख्तार अंसारी थी। उन्होंने साल 2002 विधान सभा चुनाव में मोहम्मदाबाद सीट से मुख्तार के बड़े भाई को हरा दिया। कृष्णानंद राय को बृजेश सिंह का साथ मिल रहा था जिससे वह मुख्तार अंसारी हो हर जगह चुनौती दे रहे थे। इससे मुख्तार बुरी तरह से बौखलाया हुआ था।

कृष्णानंद से बदला लेने की फिराक में था। लखनऊ में मुख्तार व कृष्णानंद का आमना-सामना हो गया। दोनों तरफ से कई राउंड गोलियां चलीं। इस घटना में किसी जान तो नहीं गई लेकिन मुख्तार व कृष्णानंद की दुश्मनी और बढ़ गई। 29 नवंबर 2005 को गाजीपुर में ही एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन कर वापस अपने गांव गोडउर लौटने के दौरान अत्याधुनिक असलहों से लैस हमलावरों ने बसनियां चट्टी में कृष्णानंद राय की कार को रोक दिया।

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उनकी गाड़ी पर एके 47 से 400 राउंड से ज्यादा गोलियां चलाईं। सात लोगों की मौत हुई उनके शरीर से 69 गोलियां निकली थीं। इस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी के साथ उसका भाई अफजाल अंसारी और मुन्ना बजरंगी समेत सात लोगों पर आरोप लगे।

कृष्णानंद राय की मौत के बाद मुख्तार को रोकने वाला कोई नहीं था। पूरे पूर्वांचल पर उसका दबदबा हो गया। कृष्णानंद राय की हत्या के विरोध में मोर्चा खोले भाजपा के दबाव में उसे जेल जाना पड़ा। इसके बाद मुख्‍तार कभी बाहर नहीं आ सका।


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