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मुख्तार की मौत उस 'आतंक' का खात्मा, जिसका था बहुतों को इंतजार; माफिया अपनों को भी जख्म देने में नहीं हिचका

सच्चिदानंद राय हत्याकांड के साथ जरायम की दुनिया में कदम रखने वाला मुख्तार अंसारी अपने लाभ के लिए अपनों को हर स्तर पर जाकर जख्म देने में हिचका नहीं। भले ही उसकी मौत पर बाजार की दुकानें बंद रहीं लेकिन इसमें पूरी तरह से सहानुभूति ही थी ऐसा नहीं कहा जा सकता। काफी संख्या थी जो खौफ से दूर मुख्तार के खिलाफ आग उगल रहे थे।

By Shivanand Rai Edited By: Aysha Sheikh Published: Sat, 30 Mar 2024 07:52 AM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2024 07:52 AM (IST)
मुख्तार की मौत उस 'आतंक' का खात्मा, जिसका था बहुतों को इंतजार; माफिया अपनों को भी जख्म देने में नहीं हिचका
मुख्तार की मौत 'आतंक' का खात्मा, जिसका था बहुतों को इंतजार; माफिया अपनों को भी जख्म देने में नहीं हिचका

सर्वेश कुमार मिश्र, गाजीपुर।  मुख्तार की मौत उस आतंक का खात्मा है, जिसका न जाने कितनों को इंतजार था। 'मेरे सहित ज्यादातर लोगों को इससे सुकून मिला है। इसे लेकर बहुतों को खुशी जगजाहिर है।' वर्ष 2004 में चुनाव के दौरान दूसरे दल से एजेंट बनने पर बेरहमी से खुद के साथ अपने साथियों की बेरहमी से पिटाई को न भूल पाने वाले मौके पर मौजूद युसूफपुर मुहम्मदाबाद के निवासी संजीव कुमार बिहार के इन शब्दों से उनकी वेदना को समझा जा सकता है।

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अपनों को भी जख्म देने में हिचका नहीं

सच्चिदानंद राय हत्याकांड के साथ जरायम की दुनिया में कदम रखने वाला मुख्तार अंसारी अपने लाभ के लिए अपनों को हर स्तर पर जाकर जख्म देने में हिचका नहीं। भले ही उसकी मौत पर बाजार की दुकानें बंद रहीं, लेकिन इसमें पूरी तरह से सहानुभूति ही थी ऐसा नहीं कहा जा सकता। संजीव की तरह ऐसे लोगों की काफी संख्या थी जो खौफ से दूर मुख्तार के खिलाफ आग उगल रहे थे, लेकिन समय के तकाजे ने उन्हें पहचान बताने से रोक रखा था।

मुख्तार की मौत पर ‘फाटक’ पर स्थानीय लोगों की भीड़ तो थी, लेकिन बाहर से लोग आए हों ऐसा बिल्कुल नहीं था। भीड़ में स्थानीय लोगों के अलावा पुलिसकर्मी और मीडिया कर्मियों की जमघट सर्वाधिक थी। माहौल शांत था तो लोग मौन थे। यहां तक कि खुद उनके भाई अफजाल लोगों के बीच तकरीबन न के बराबर रहे तो राजनीतिक रसूख रखने वाले मुख्तार के घर सियासत से जुड़े लोग नदारद रहे।

अलबत्ता सपा के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह जरूर अफजाल से जाकर ऊपर मिले। इसके इतर सपा के जंगीपुर विधायक वीरेंद्र यादव, सदर विधायक जयकिशन साहू, सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश कुशवाहा, रामधारी यादव, नन्हकू यादव, फेफना विधायक संग्राम यादव, रामधारी यादव सहित आने-जाने वालों से मुख्तार के भतीजे व मुहम्मदाबाद विधायक सुहैब मन्नू अंसारी मिलते रहे।

कई राज्यों में सक्रिय रहा मुख्तार गैंग

मुख्तार अंसारी का गैंग कई राज्यों तक फैला रहा। हालांकि लंबे समय से उसके जेल जाने और हालिया में प्रशासन की कड़ी कार्रवाई से यह मृतप्राय हो गया। मुख्तार अपराध के साथ ही सियासत में भी अपने पांव जमाता गया। जेल से उम्मीदवारी कर और चिट्ठियां जारी कर मऊ सीट से वह विधानसभा पहुंचता रहा।

मुख्तार की सियासी पहुंच का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि कभी वह बसपा, तो कभी सपा में अपने और अपने परिवार का सियासी भविष्य सुरक्षित करते हुए गाजीपुर, मऊ, बनारस जैसे जिलों का राजनीति रंग तय करता रहा।


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