न्यायिक अभिरक्षा से फरार हुए थे MSME Minister Rakesh Sachan, अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने शामिल किए तथ्य
कानपुर में एमएसएमई मंत्री राकेश सचान प्रकरण न्यायिक अभिरक्षा से फरार हुए थे। अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने छह अगस्त को जारी आदेश में ही शामिल यह तथ्य किया था। जो तथ्य न्यायलय में लिखित दस्तावेज बन चुका है उसकी पुलिस 11 दिनों से जांच कर रही है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। एमएसएमई (लघु सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग) मंत्री राकेश सचान के छह अगस्त को अदालत से फरार होने के मामले में पुलिस जांच कर रही है। पुलिस की जांच का तथ्य है कि मंत्री जब अदालत से बाहर आए तो उस समय वह न्यायिक अभिरक्षा में थे या नहीं। 11 दिनों बाद पुलिस इस जरा सी बात का पता नहीं लगा सकी।
जबकि दैनिक जागरण के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं, उसके मुताबिक अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने छह अगस्त को जारी आदेश में ही मंत्री के न्यायिक अभिरक्षा में होने का तथ्य शामिल कर लिया था। इस एक और नए तथ्य के सामने आने के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं।
आर्म्स एक्ट के एक मामले में एमएसएमई मंत्री राकेश सचान छह अगस्त को अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट आलोक यादव की अदालत में पेशी पर गए थे। इस केस में अदालत ने उन्हें दोषी ठहरा दिया था। इसके बाद हुए घटनाक्रम में मंत्री अदालत से चले गए।
बाद में अदालत की रीडर कामिनी की ओर से एक तहरीर पुलिस को मिली, जिसमें आरोप लगाया कि मंत्री, उनके वकील और समर्थक दोष सिद्ध वाली पत्रावली लेकर फरार हो गए। पुलिस ने संज्ञेय अपराध स्पष्ट न होने का तर्क देकर जांच के बाद निर्णय लेने को कहा था। पुलिस अधिकारियों की ओर से कहा गया कि तहरीर में स्पष्ट नहीं है कि मंत्री उस वक्त न्यायिक हिरासत में थे या नहीं, पत्रावली मंत्री लेकर गए या उनके समर्थक।
घटना के 11 दिन बाद जैसे-जैसे अदालत की पत्रावलियां सार्वजनिक हो रही हैं, मंत्री और पुलिस दोनों की मुसीबतें बढ़ रही हैं। मंगलवार को एसीएमएम-3 कोर्ट से छह अगस्त काे जारी एक आदेश सामने आया था, जिसमें अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट आलोक यादव ने रीडर को इस मामले में अभियुक्त के खिलाफ संबंधित थाने में तहरीर देते हुए सुसंगत धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराना सुनिश्चित करने का आदेश दिया था।
अब पुलिस का यह दावा भी झूठा प्रतीत हो रहा है, जिसमें पुलिस दावा कर रही है कि तहरीर में स्पष्ट नहीं है कि उस दिन मंत्री न्यायिक हिरासत में थे या नहीं। इसी पत्र में स्वयं अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने लिखा है कि मेरे द्वारा खुले न्यायालय में निर्णय घोषित किए जाने हेतु अभियुक्त को न्यायिक अभिरक्षा में लेने हेतु कोर्ट मोहर्रिर को आदेशित किया गया व अभियुक्त को दोष सिद्ध किया गया।
वहीं दूसरी ओर संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी का कहना है कि पुलिस को अदालती आदेशों की जानकारी नहीं है। तहरीर मिली है, जिसमें जांच की जा रही है।