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निगम की डायरी: संदीप रतन

सिगल यूज प्लास्टिक पर पाबंदी तो लग गई है लेकिन इसको रोकने के लिए कागजी उपाय ही किए जा रहे हैं। सब्जी मंडियों और बाजारों में चालान करने सिगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजों को जब्त करने के लिए गुरुग्राम नगर निगम में अलग से टीम बनाई हुई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 07:31 PM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 07:31 PM (IST)
निगम की डायरी: संदीप रतन
निगम की डायरी: संदीप रतन

कागजी चालान, रिकवरी आधी भी नहीं..

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सिगल यूज प्लास्टिक पर पाबंदी तो लग गई है, लेकिन इसको रोकने के लिए कागजी उपाय ही किए जा रहे हैं। सब्जी मंडियों और बाजारों में चालान करने, सिगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजों को जब्त करने के लिए गुरुग्राम नगर निगम में अलग से टीम बनाई हुई है। निगम अधिकारियों द्वारा पिछले लगभग एक महीने में इन टीमों ने जगह-जगह कार्रवाई के दावे किए जा रहे हैं। निगम के रिकार्ड की अगर बात करें तो एक जुलाई से 10 अगस्त तक 1135 चालान नगर निगम की सात टीमों ने किए। अलग-अलग जगहों पर 2105 किलो प्लास्टिक जब्त किया गया है। सिगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करने वालों पर 8.14 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, लेकिन रिकवरी सिर्फ 4.67 लाख रुपये की हुई है, यानी आधा जुर्माना ही वसूला गया है। कागजी चालान काटने के साथ जुर्माने की अगर रिकवरी नहीं हुई तो ऐसी कार्रवाई का क्या फायदा होगा।

बारूद के ढेर पर कालोनियां

दीपावली-होली और नए साल के जश्न पर आतिशबाजी पर अचानक पाबंदी के आदेश जारी हो जाते हैं। वैसे पूरे साल पटाखा गोदामों पर कोई सख्ती नहीं की जाती। शादी समारोह या किसी भी कार्यक्रम के लिए कहीं भी आसानी से पटाखे मिल जाते हैं। सरकार ने पटाखों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया हुआ है और ग्रीन पटाखों को अनुमति देने को लेकर कई बार चर्चा हो चुकी है। लेकिन न तो मार्केट में ग्रीन पटाखे आए और न ही नियम-कायदों में कोई ढील दी गई। इसके बावजूद गुरुग्राम की कई कालोनियों बारूद के ढेर पर बैठी हुई है। पटाखा गोदाम घरों के बीच में बने हुए हैं। कादीपुर और गाडौली में कई पटाखा गोदाम हैं और इनमें आग से बचाव के भी इंतजाम नहीं हैं। छोटी सी चूक हजारों लोगों की जिदगी पर भारी पड़ सकती है। लेकिन पुलिस, प्रशासन और अग्निशमन विभाग ने ऐसे गोदामों पर कार्रवाई नहीं की है।

सो रहे ठेकेदार, युवाओं ने उठाया झाडू

सफाई के लिए 200 करोड़ रुपये का सालाना बजट। शहर में तो सफाई नजर नहीं आती, लेकिन इतना जरूर है कि निगम का खजाना साफ हो रहा है। जगह-जगह लगे गंदगी के ढेरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वच्छता रैंकिग में शहर कौनसे पायदान पर होगा। खैर, ये तो कागजी तमगे हैं। लेकिन घर हो या बाहर की सड़क, दोनों साफ सुथरे होने चाहिए। गुरुग्राम निगम ने सात निजी एजेंसियों को शहर की सफाई का जिम्मा सौंप रखा है, लेकिन सफाई ठेकेदार और कर्मचारी कई क्षेत्रों में नजर भी नहीं आते। निगम की ऐसी कार्यप्रणाली को देखकर शहर की एक युवा टोली ने खुद झाडू उठा ली है। सामाजिक कार्यकर्ता राज सैनी बिसरवाल बताते हैं कि अलग-अलग जगहों पर नौकरी करने वाले युवा छुट्टी वाले दिन शहर को स्वच्छ बनाने में जुटे हैं। सेक्टर 12 में निर्माणाधीन कम्युनिटी सेंटर के नजदीक सफाई अभियान चलाकर पौधारोपण किया गया है।

सच और झूठ के बीच उलझे हलफनामे

आजकल सच साबित करने के लिए हलफनामे (शपथ पत्र) देने पड़ते हैं। लेकिन अगर ये हलफनामा एक ही शिकायत के लिए दो बार देना पड़ जाए तो किस पर विश्वास करेंगे। नगर निगम गुरुग्राम में हलफनामे सच और झूठ के बीच उलझकर रह गए हैं। ताजा मामला नगर निगम के एसडीओ पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से संबंधित है। निगम के ठेकेदार शैलेष ने 25 जुलाई को एसडीओ आरके मोंगिया पर बिल के भुगतान के एवज में पैसे की डिमांड करने की शिकायत निगमायुक्त को दी थी। इसमें ठेकेदार ने अपना हलफनामा भी दिया था। लेकिन 16 दिन में ही ठेकेदार ने अपना बयान बदल दिया। ठेकेदार ने फिर से अपना हलफनामा दिया कि उसने यह शिकायत जाने-अनजाने और किसी के बहकावे में आकर दी थी। ठेकेदार ने हलफनामे में लिखा कि बिल की अदायगी प्रस्तुत करने से पहले ही एसडीओ का तबादला दूसरे डिवीजन में हो गया था।


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