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Varun Gandhi को लेकर प‍िक्‍चर अभी भी साफ नहीं! दिल्ली से क‍िस बात के संकेत मिलने का इंतजार कर रहे समर्थक?

बीजेपी से टिकट कटने के बाद वरुण गांधी इस बार लोकसभा सीट के चुनाव परिदृश्य से दूर हैं। उनके समर्थक असमंजस्‍य की स्‍थि‍ति‍ में हैं। उन्हें दिल्ली के वरुण गांधी से संकेत मिलने का इंतजार है। वरुण ने पीलीभीत के लोगों के लिए भावुकता से भरा पत्र लिखा है लेक‍िन पत्र से ही यह साफ नहीं है कि सांसद के समर्थक वर्तमान चुनावी गतिविधियों में किस तरह की भूमिका निभाएं।

By Devendrda Deva Edited By: Vinay Saxena Published: Fri, 29 Mar 2024 01:38 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 01:38 PM (IST)
Varun Gandhi को लेकर प‍िक्‍चर अभी भी साफ नहीं! दिल्ली से क‍िस बात के संकेत मिलने का इंतजार कर रहे समर्थक?
वरुण गांधी के समर्थक कार्यकर्ता अभी पसोपेश में हैं।

देवेंद्र देवा, पीलीभीत। भारतीय जनता पार्टी से टिकट कटने के बाद सांसद वरुण गांधी इस बार लोकसभा सीट के चुनाव परिदृश्य से दूर हैं। ऐसे में उनके समर्थक कार्यकर्ता पसोपेश में हैं। फिलहाल, सभी समर्थक चुप्पी साधकर बैठ गए हैं।

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दरअसल, उन्हें दिल्ली के वरुण गांधी से संकेत मिलने का इंतजार है। जैसा सांसद की ओर से संकेत मिलेगा, उसी के अनुसार समर्थक अपनी भूमिका तय करेंगे। सांसद वरुण गांधी ने पीलीभीत के लोगों के लिए भावुकता से भरा पत्र लिखा है। लेकिन पत्र से ही यह साफ नहीं है कि सांसद के समर्थक वर्तमान चुनावी गतिविधियों में किस तरह की भूमिका निभाएं।

पीलीभीत संसदीय क्षेत्र से की थी राजनीत‍िक कर‍ियर की शुरुआत   

सांसद वरुण गांधी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पीलीभीत संसदीय क्षेत्र से की थी। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर सांसद वरुण गांंधी ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सांसद वरुण गांधी ने ढाई लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। पिछले तीन वर्ष से सांसद वरुण गांधी देश के विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार को असहज करने वाले सवाल उठा रहे। हालांकि, कुछ माह पहले उनके तेवर नरम भी हो गए थे। इसके बाद भी उनको टिकट मिलने को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जाती रहीं।

भाजपा ने ट‍िकट काटकर अटकलों पर लगाया व‍िराम 

भाजपा ने टिकट काटकर अटकलों पर विराम लगा दिया। ऐसे में सांसद के समर्थकों में उनके अगले कदम को लेकर कयास लगने लगे। लेकिन सांसद वरुण गांधी ने इस बार पीलीभीत लोकसभा चुनाव से दूर रहने का निर्णय लिया। हालांकि, सांसद वरुण गांधी संसदीय क्षेत्र का नियमित भ्रमण कर लोगों से संवाद करते रहे थे। कुछ ही माह पहले उन्होंने पूरे संसदीय क्षेत्र में आठ सौ से ज्यादा प्रतिनिधि भी बनाए थे।

टिकट की घोषणा से पहले ही नामांकन पत्र खरीदने के कारण यह लग रहा था कि सांसद वरुण गांधी चुनाव अवश्य लड़ेंगे। लेकिन टिकट कटने के बाद सांसद के समर्थकों में सन्नाटा सा है। शहर के टनकपुर हाईवे स्थित उनका संसदीय कार्यालय पर भी अक्सर ताला लटका मिलता है।

वर्तमान चुनावी राजनीतिक परिस्थितियों में सांसद समर्थक पूरी तरह पसोपेश में हैं। गुरुवार को सांसद वरुण गांधी ने पीलीभीत जिले के लोगों के लिए पत्र एक्स प्लेटफार्म पर शेयर किया है। उक्त पत्र में भी ऐसा कोई संकेत नहीं है कि सांसद समर्थक इस बार चुनाव में किस तरह की भूमिका निभाएंगे। सांसद समर्थकों को अभी तक दिल्ली से संकेत मिलने का ही इंतजार है।

अंतिम सांस तक खत्म नहीं होगा पीलीभीत से रिश्ता: वरुण

जागरण संवाददाता, पीलीभीत। लोकसभा चुनाव में टिकट कट जाने के बाद सांसद वरुण गांधी की पहली प्रतिक्रिया एक्स के माध्यम से आई है। उन्होंने एक्स पर एक भावुक पत्र साझा किया। जिसमे कहा कि पीलीभीत से उनका रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता है।

गुरुवार को सुबह एक्स पर साझा किए अपने पत्र में सांसद वरुण गांधी ने कहा कि आज जब वह यह पत्र लिख रहे हैं तो अनगिनत यादों ने भावुक कर दिया है। वो तीन साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उंगली पकड़कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था। उसे कहां पता था, एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे।

सांसद ने लिखा कि वह स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं कि वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी उनकी परवरिश और विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सह्दरयता का बहुत बड़ा योगदान है। आपका प्रतिनिधि होना उनके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है।

लिखा कि उन्होंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से यहां के लोगों के हितों के लिए आवाज उठाई। एक सांसद के तौर पर उनका कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से उनका रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। सांसद के रूप में नहीं तो बेटे के तौर पर सही, वह आजीवन यहां के लोगों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

कहा कि उनके दरवाजे पीलीभीत के लोगों के लिए हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे। वह राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आए थे और आज यहां की जनता से यही आशीर्वाद मांगते हैं कि सदैव यह कार्य करते रहें। भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े। पत्र के अंत में उन्होंने लिखा कि उनका और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा-भाग से बहुत ऊपर है। वह यहां के लोगों के लिए थे और रहेंगे।

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