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Lok Sabha Election 2024: उत्‍तराखंड में कांग्रेस ने 25 गारंटी से लुभाया, एंटी इनकंबेंसी को दी हवा

Lok Sabha Election 2024 उत्तराखंड में बुधवार शाम चुनाव प्रचार थम चुका है। मतदान के लिए अब चंद घंटे शेष हैं। क्षेत्रीय स्टार प्रचारकों ने दिलों में दूरियां कम कर जिस प्रकार चुनाव प्रचार में मोर्चा संभाला उसका प्रभाव जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के उत्साह पर दिखाई दिया। सभी पांचों सीटों पर सुस्त पड़े चुनावी तापमान को बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने इंटरनेट मीडिया का बढ़-चढ़कर उपयोग किया।

By Ravindra kumar barthwal Edited By: Nirmala Bohra Published: Thu, 18 Apr 2024 09:46 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2024 09:46 AM (IST)
Lok Sabha Election 2024: उत्तराखंड में प्रियंका को छोड़कर चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रहे राष्ट्रीय स्तर के स्टार प्रचारक

रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण, देहरादून : Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद लगभग एक महीने के चुनावी संग्राम में कांग्रेस ने पांच न्याय और 25 गारंटी मतदाताओं तक पहुंचाने में जोर लगाया। केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार के विरुद्ध एंटी इनकंबेंसी उछालने वाले राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दों पर भी विपक्षी पार्टी ने दांव खेला है। इसे सीमित संसाधन कहें या बदली हुई रणनीति राष्ट्रीय स्तर के स्टार प्रचारकाें का जमावड़ा प्रदेश में नहीं लगा।

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पार्टी ने क्षेत्रीय प्रचारकों पर खूब भरोसा किया। चुनाव के प्रारंभिक चरण में प्रदेश के बड़े नेताओं में एकदूसरे को लेकर जो दूरियां दिख रही थीं, चुनाव प्रचार का अंतिम चरण आने से पहले उसमें बड़ा बदलाव लाया जा सका है। क्षेत्रीय स्टार प्रचारकों ने दिलों में दूरियां कम कर जिस प्रकार चुनाव प्रचार में मोर्चा संभाला, उसका प्रभाव जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के उत्साह पर दिखाई दिया।

सभी पांचों सीटों पर सुस्त पड़े चुनावी तापमान को बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने इंटरनेट मीडिया का बढ़-चढ़कर उपयोग किया। इसके बूते पार्टी को उम्मीद है कि बदलाव लाने के उसके प्रयासों को 19 अप्रैल को मतदान के दिन मतदाताओं का समर्थन मिलेगा।

उत्तराखंड में बुधवार शाम चुनाव प्रचार थम चुका है। मतदान के लिए अब चंद घंटे शेष हैं। गत 16 मार्च को लोकसभा चुनाव के लिए शंखनाद होने के साथ ही यह भी तय हो गया कि इस मध्य हिमालयी प्रदेश में चुनाव पहले चरण में यानी 19 अप्रैल को होना है।

चुनाव के प्रारंभिक चरण में प्रदेश के पांच लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी चुनने की होड़ में कांग्रेस उस समय पिछड़ती दिखी, जब दो संसदीय क्षेत्रों हरिद्वार और नैनीताल-ऊधमसिंहनगर में नामांकन के अंतिम चरण में प्रत्याशी घोषित किए जा सके। यह अलग बात है कि पार्टी ने प्रत्याशियों के चयन में इस देरी को चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया। साथ ही अंतिम समय तक इस मामले में मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा की रणनीतिक तैयारियों पर बारीकी से नजर रखी गई।

बूथ प्रबंधन पर पार्टी का है अधिक जोर

कांग्रेस के लिए यह चुनाव अग्नि परीक्षा है। पार्टी ने पिछले दो लोकसभा चुनाव में मिली हार से सबक लेकर तीसरे चुनाव को ध्यान में रखकर

चुनावी दंगल की रूपरेखा तैयार की। भाजपा से मिलने वाली कड़ी टक्कर को ध्यान में रखकर बूथ प्रबंधन इस बार पार्टी की प्राथमिकता बन गई। 11729 बूथों पर बूथ लेवल एजेंट के साथ

पार्टी ने भाजपा के पन्ना प्रमुखों के जवाब में ब्लाक और बूथ के बीच मंडल इकाइयां गठित कीं। 600 से अधिक मंडल इकाइयां चुनाव की घोषणा होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय की गईं। मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने के लिए इन इकाइयों का उपयोग करने पर विशेष जोर दिया गया।

कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने भी पार्टी के बीएलए, बूथ इकाइयों और मंडल इकाइयों की चुनाव में भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए निर्देश जारी किए। पार्टी की प्रदेश सहप्रभारी दीपिका पांडेय सिंह पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड में डेरा डालकर पार्टी की तैयारियों का जायजा लेती रहीं।

कांग्रेस अपनी 25 गारंटी को मान रही मोदी का जवाब

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए न्यायपत्र के रूप में चुनाव घोषणापत्र जारी किया है। इसमें युवाओं, महिलाओं, किसानों, श्रमिकों के लिए कई आर्थिक रूप से लाभकारी घोषणाएं की हैं। साथ में हिस्सेदारी न्याय के रूप में समाज के पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अल्पसंख्यक समुदायों को केंद्र में रखकर कई वायदे किए हैं।

पार्टी यह मानकर चल रही है कि सामाजिक समीकरण साधने की दृष्टि से हिस्सेदारी न्याय के दांव से पारंपरिक वोट बैंक में उसकी पैठ बढ़ेगी। साथ ही इस वोट बैंक में भाजपा की मजबूत होती पकड़ को कमजोर किया जा सकेगा। नई दिल्ली में गत पांच अप्रैल को घोषणापत्र जारी करने के बाद इसे सात अप्रैल को उत्तराखंड में भी जारी किया गया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के जवाब में उठाए गए इस कदम का पार्टी को कितना लाभ मिलेगा, यह बाद में पता चलेगा। 10 वर्षों से केंद्र की सत्ता और सात वर्षों से प्रदेश की सत्ता से दूर कांग्रेस के चुनाव प्रचार को इन वायदों से नया हौसला जरूर मिला है।

प्रियंका, सचिन और इमरान आए उत्तराखंड

चुनाव के अवसर पर एक विधायक समेत कई बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थामकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाई हैं। संकट से जूझती पार्टी को उसके दिग्गज नेताओं के चुनाव में एकजुट होने से बड़ी राहत भी मिली है। कई क्षेत्रों में चुनाव प्रचार की कमान इन्हीं नेताओं ने संभाली। स्टार प्रचारकों के मामले में पार्टी का हाथ तंग रहा है।

स्टार प्रचारकों की सूची में से मात्र पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक दिन में दो चुनावी सभाएं कीं। स्टार प्रचारकों में नाम सम्मिलित नहीं करने के बावजूद चुनाव के अंतिम चरण में पहुंचने पर राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और इमरान प्रतापगढ़ी जैसे नेताओं को उत्तराखंड का रुख करना पड़ा। पार्टी ने राष्ट्रीय स्टार प्रचारकों की कमी से निपटने के लिए प्रदेश के नेताओं को इस मोर्चे पर झोंका।


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