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बीमा निगम की आपत्ति हुई खारिज, अब LIC को करना होगा 20 लाख का भुगतान, 50 हजार का हर्जाना भी; ये था मामला

वाराणसी जिले के सिकरौला गांव की साधना वर्मा के पति उमेश वर्मा ने लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया से जीवन सरल पालिसी 10 लाख रुपये की ली थी जिसका प्रीमियम 4083 रुपये था और इसमें दुर्घटना बीमा समाहित था। बीमा शर्तों के अनुसार मृत्यु होने दावा धनराशि 20 लाख रुपये दी जानी थी। ट्रक दुर्घटना में उमेश की मृत्यु 17 फरवरी 2013 को हुई।

By Dharmesh Awasthi Edited By: Riya Pandey Published: Tue, 16 Apr 2024 09:41 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2024 09:41 PM (IST)
बीमा निगम की आपत्ति हुई खारिज, अब LIC को करना होगा 20 लाख का भुगतान, 50 हजार का हर्जाना भी; ये था मामला
LIC को करना होगा 20 लाख का भुगतान

जागरण संवाददाता, लखनऊ। भारतीय जीवन बीमा निगम ने एक ही व्यक्ति को दो बीमा पालिसियां एक ही तारीख को जारी किया, भुगतान का समय आया तब दो पालिसियों पर आपत्ति हुई। राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीमा निगम की आपत्ति को खारिज करते हुए 20 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है, साथ ही निगम पर 50 हजार का हर्जाना भी लगाया है।

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वाराणसी जिले के सिकरौला गांव की साधना वर्मा के पति उमेश वर्मा ने लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया से जीवन सरल पालिसी 10 लाख रुपये की ली थी, जिसका प्रीमियम 4083 रुपये था और इसमें दुर्घटना बीमा समाहित था।

बीमा शर्तों के अनुसार मृत्यु होने दावा धनराशि 20 लाख रुपये दी जानी थी। ट्रक दुर्घटना में उमेश की मृत्यु 17 फरवरी 2013 को हुई। साधना ने दो पालिसियों के दावे का भुगतान मांगा, लेकिन एक पालिसी के भुगतान नहीं मिला।

पालिसी के तथ्य को छिपाने का दावा निरस्त

बीमा निगम ने उन्हें पत्र भेजकर बताया कि एक पालिसी के तथ्य को छिपाने के लिए उसका दावा निरस्त किया गया है। साधना ने राज्य उपभोक्ता आयोग में वाद किया, जिसकी सुनवाई आयोग के सदस्य राजेंद्र सिंह व सदस्य विकास सक्सेना ने की।

पीठासीन जज सिंह ने पाया कि एफआइआर के अनुसार इस मामले में मृत्यु का कारण वाहन दुर्घटना था, उमेश ने दो जीवन बीमा पालिसी एक ही तारीख को भरी थी। दोनों प्रस्ताव बीमा निगम के कार्यालय में पहुंचे और पालिसी भी जारी हो गयीं तब निगम ने नहीं देखा कि दो पालिसी एक ही व्यक्ति ने लिया है।

इसमें बीमा निगम की लापरवाही स्पष्ट है कि उसने इन तथ्यों को अनदेखा किया और जब भुगतान का समय आया तब अनावश्यक आपत्ति की गई। इसमें तथ्य को छिपाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।

उन्होंने बीमा निगम को आदेश दिया कि वह साधना को 20 लाख, मानसिक प्रताड़ना के मद में 50,000 और वाद व्यय के मद में 25,000 रुपये और इस धनराशि पर 17 फरवरी 2013 से 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज निर्णय के 30 दिन के अंदर अदा करे, 30 दिन बाद ब्याज की दर 12 प्रतिशत वार्षिक होगी।

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