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Bihar Politics: वाम दलों की दिल्ली से दूरी कम कर पाएगी बिहार की ये सीट? अग्निपरीक्षा से कम नहीं यह लोकसभा चुनाव

लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। हाल के कुछ महीनों में बिहार की सियासत ने कई बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं। राज्य में मुख्यमंत्री भले ही नीतीश कुमार ही हों लेकिन अब महागठबंधन की जगह एनडीए के नेतृत्व वाली सरकार बन चुकी है। महागठबंधन में अब राजद कांग्रेस और वामदल प्रमुख सहयोगी है। नीतीश के जाने के बाद यह चुनाव उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।

By Nirbhay Kumar Jha Edited By: Mohit Tripathi Published: Thu, 28 Mar 2024 03:40 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2024 03:40 PM (IST)
Bihar Politics: वाम दलों की दिल्ली से दूरी कम कर पाएगी बिहार की ये सीट? अग्निपरीक्षा से कम नहीं यह लोकसभा चुनाव
वामदलों के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं यह लोकसभा चुनाव। (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, खगड़िया। लोकसभा चुनाव का एलान हो चुका है। खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में चुनावी हलचल तेज है। खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीट है। इनमें खगड़िया सदर, बेलदौर, परबत्ता, अलौली (सुरक्षित), हसनपुर (समस्तीपुर जिला) और सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा जिला) शामिल है। कहने का मतलब चार विधानसभा क्षेत्र खगड़िया जिले में और एक-समस्तीपुर और एक सहरसा जिले में आते हैं।

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6 में 4 विस सीट पर महागठबंधन का कब्जा

वर्तमान में यहां के तीन विधानसभा हसनपुर, सिमरी बख्तियारपुर और अलौली (सुरक्षित) पर राजद का कब्जा है। दो विधानसभा परबत्ता और बेलदौर से जदयू के विधायक हैं। जबकि खगड़िया सदर से कांग्रेस के विधायक हैं।

सीपीआइ(एम) का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

1984 के लोकसभा चुनाव में रहा इधर समझौते के तहत महागठबंधन से खगड़िया लोकसभा की सीट सीपीआइ(एम) को मिली है। ऐसे में यह वाम के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। हालांकि वाम दलों सीपीआइ(एम) और सीपीआइ यहां से कई बार लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन दिल्ली जाना सपना ही रहा है।

1984 में सीपीआई (एम) के उम्मीदवार प्रसिद्ध ट्रेड यूनियन नेता योगेश्वर गोप एक लाख 16 हजार 529 मत लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। उन्हें कांग्रेस के चंद्रशेखर प्रसाद वर्मा से हार का सामना करना पड़ा था। वाम दलों की ओर से यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

बताते चलें कि सीपीआइ भी यहां से चार बार लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है। जबकि सीपीआइ(एम) तीन बार चुनाव लड़ी है। अब महागठबंधन के तहत चौथी बार सीपीआइ (एम) अपना उम्मीदवार यहां से उतारेगी।

CPI (M) ने संजय कुमार को बनाया प्रत्याशी

सीपीआई (एम) ने संजय कुमार को यहां से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। संजय कुमार पार्टी के खगड़िया जिला सचिव हैं। वे मजबूत राजनीतिक परिवार से आते हैं।

उनके पिता योगेंद्र सिंह खगड़िया सदर से विधायक (2000-2005) रहे हैं। योगेंद्र सिंह भी सीपीआइ (एम) की टिकट पर चुनाव जीतकर विधान सभा पहुंचे थे। म वयोवृद्ध योगेंद्र सिंह उम्रगत कारण से सक्रिय राजनीति में नहीं हैं।

संजय कुमार के अनुज अजय कुमार समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर से विधायक हैं। बिहार विधान सभा में सीपीआइ(एम) विधायक दल के नेता हैं।

2014 के चुनाव में रहा सबसे कमजोर प्रदर्शन

1984 से पूर्व सीपीआइ (एम) 1971 में खगड़िया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी थी। सीपीआइ(एम) उम्मीदवार कृष्णकांत सिंह को 36 हजार के आसपास मत मिले थे।

वर्ष 2014 में सीपीआइ(एम) के जगदीशचंद्र बसु खगड़िया लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे। उन्हें 26 हजार के आसपास मत मिले थे। यह पार्टी की अब तक का सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा है। लेकिन इस बार संजय कुमार महागठबंधन की ओर से सीपीआइ(एम) के उम्मीदवार हैं।

विधान सभा स्तर पर देखें, तो खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के छह में चार विधान सभा सीट पर महागठबंधन का कब्जा है। एनडीए गठबंधन का मात्र दो विधान सभा सीट पर कब्जा है।

1999 में रहा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

अगर अतीत पर नजर डालें तो सीपीआइ यहां से चार बार लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है। सीपीआइ 1977, 1980, 1998 और 1999 में चुनाव लड़ी है। 1999 में सीपीआइ के प्रत्याशी दिग्गज कम्युनिस्ट नेता सत्यनारायण सिंह को 83 हजार से अधिक मत मिले थे।  यह जानकारी सीपीआई के राज्य सचिव मंडल सदस्य प्रभाशंकर सिंह ने दी है।

मतों की दृष्टि से देखें, तो यह खगड़िया लोकसभा सीट पर सीपीआइ का सबसे बड़ा प्रदर्शन रहा है।  सत्यनारायण सिंह चौथम विधान सभा क्षेत्र (अब बेलदौर) से दो बार 1990 और 1995 में विधायक चुने गए।  खैर, खगड़िया लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में सात मई को मतदान है। अब देखना है कि महागठबंधन के सीपीआइ(एम) उम्मीदवार का क्या प्रदर्शन रहता है।

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