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Jharkhand Crime: नाबालिग से दुष्कर्म कर जबरन गर्भपात कराने में सात दोषी करार, 19 अप्रैल को आएगा सजा पर फैसला

गिरिडीह में नाबालिग से दुष्कर्म कर जबरन गर्भपात कराने का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। इसमें कोर्ट ने सात को दोषी करार दिया है। इन सभी दोषियों की सजा पर 19 अप्रैल को सुनवाई होगी। घटना निमियाघाट थाना क्षेत्र की है। घटना को लेकर गांव में पंचायत ने भी तुगलकी फरमान सुनाया था। दोषी पर सख्‍त कार्रवाई की जगह पीड़िता से उठक-बैठक कराया गया था।

By bk Das Edited By: Arijita Sen Published: Wed, 17 Apr 2024 09:23 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2024 09:23 AM (IST)
Jharkhand Crime: नाबालिग से दुष्कर्म कर जबरन गर्भपात कराने में सात दोषी करार, 19 अप्रैल को आएगा सजा पर फैसला
नाबालिग से दुष्कर्म कर जबरन गर्भपात कराने में सात दोषी करार

जागरण संवाददाता, गिरिडीह। नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने फिर उसका पंचायत से तुगलकी फरमान सुनाकर जबरन गर्भपात कराने के मामले में न्यायालय का एक ऐतिहासिक निर्णय आया है। मंगलवार को पोक्सो के विशेष न्यायाधीश यशवंत प्रकाश की अदालत ने यह निर्णय सुनाया है।

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कोर्ट ने इन्‍हें ठहराया दोषी

जिसमे दुष्कर्मी और गर्भपात कराने वाले डाॅक्टर के साथ पंचायत में जबरन दबाव बनाने वाले पांच लोगों को दोषी पाया गया है। दोषी पाए गए अभियुक्तों में दुष्कर्मी शिवनारायण सिंह, गर्भपात कराने वाले कथित डाक्टर यूसुफ आलम, पंचायत कराने और दबाव देकर गर्भपात कराने वाले ग्रामीण डेगनारायण महतो, भोला सिंह, सोमर सिंह, टेकलाल महतो और मनोज कुमार महतो शामिल हैं।

19 अप्रैल को होगी सजा पर सुनवाई

न्यायालय ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में मालती देवी और मनोज महतो को रिहा किया। इनमें शिवनारायण सिंह घटना के बाद से ही जेल में बंद है। वहीं अन्य जमानत पर बाहर थे।

न्यायालय से दोषी करार दिए जाने के साथ ही सभी को न्यायिक हिरासत में लेकर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। जहां इन सभी दोषियों की सजा की बिंदु पर सुनवाई 19 अप्रैल को होगी। घटना निमियाघाट थाना क्षेत्र की है।

नाबालिग को उठा कर ले गया था दुष्कर्मी

यह एक ऐसा मामला था जिसमें पीड़िता और उसके पिता को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ा था। इस कांड के सूचक पीड़िता के पिता ने निमियाघाट थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कहा था कि उनकी नाबालिग बेटी अपनी सहेलियों के साथ त्योहार पर नाच गा रही थी। इस बीच बिजली चली गई।

अंधेरे में शिवनारायण सिंह ने उसकी पुत्री को जबरन उठा कर दूसरी जगह ले जाकर दुष्कर्म किया। पीड़िता हल्ला नहीं कर सके इसके लिए मुंह में कपड़ा डाल दिया था। दुष्कर्म के बाद किसी को नहीं बताने और हत्या की धमकी दी गई थी।

फिर जब शिवनारायण को मौका मिलता वह पीड़िता को डरा धमकाकर कर दुष्कर्म करता था। इस बीच पीड़िता गर्भवती हो गई। इसकी सूचना अपने घर में दी थी। जब उसके घर वालों ने शिवनारायण सिंह से पूछा तो बात बढ़ गई। इस बीच पंचायत कराने वालों की एंट्री हुई। 

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की कहावत हुई चरितार्थ

पंचायत में दुष्कर्मी को दोषी पाकर 20 हज़ार रुपये जुर्माना लगाया और एक सौ एक बार उठक-बैठक करने को कहा गया। यहां तक तो पीड़िता को उम्मीद थी कि उसे न्याय मिलेगा।

पर पंचायत ने पीड़िता के पिता को 10 हजार जुर्माना और पीड़िता को 21 बार उठक-बैठक की सजा दी गई। इतना ही नहीं पंचायत ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए पीड़िता का जबरन गर्भपात यूसुफ आलम के क्‍लीनिक में कराया। इस प्रताड़ना से तंग आकर पीड़िता के पिता ने पुलिस से गुहार लगाई थी।

पीड़िता ने न्यायालय में सुनाई थी आपबीती

इस मामले में अभियोजन ने तकनीकी रूप से कई कार्य किए। पीपी सुधीर कुमार ने जहां नौ गवाहों का परीक्षण कराया व बहस की। वहीं पीड़िता ने अपने साथ हुई घटना को न्यायालय से बताया।

बताया कि मुखिया, उप मुखिया टेकलाल महतो, पंचायत समिति सदस्य समेत अन्य ग्रामीणों ने दुष्कर्म के बाद कैसे दबाव बनाया था। वहीं अनुसंधानकर्ता अमरनाथ ने सभी कड़ी को साथ जोड़ा था।

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