Nirjala Ekadashi: सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा निर्जला एकादशी का त्यौहार, दान करने का भी है अहम महत्व
Nirjala Ekadashi 2023 निर्जला एकादशी का त्यौहार सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा। इस शुभ संयोग के बीच निर्जला एकादशी का त्यौहार मनाने तथा इस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु दोहरे फल की प्राप्ति कर सकेंगे। व्रत या त्यौहार को संपन्न करने से प्रभु की दोहरी कृपा प्राप्त होती है।
जालंधर, शाम सहगल: परिवार में सुख व समृद्धि की प्राप्ति तथा भगवान विष्णु की कृपा पाने को लेकर निर्जला एकादशी का त्यौहार इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग तथा रवि योग के बीच मनाया जाएगा। जिसके चलते निर्जला एकादशी के दिन व्रत रखने वालों में भी भारी उत्साह है।
इस शुभ संयोग के बीच निर्जला एकादशी का त्यौहार मनाने तथा इस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु दोहरे फल की प्राप्ति कर सकेंगे। श्री गोपीनाथ मंदिर सर्कुलर रोड के प्रमुख पुजारी पंडित दीनदयाल शास्त्री के मुताबिक शुभ संयोग के बीच किसी भी व्रत या त्यौहार को संपन्न करने से प्रभु की दोहरी कृपा प्राप्त होती है।
लोगों ने शुरू की खरीदारी
उधर परंपरा के मुताबिक निर्जला एकादशी वाले दिन बर्तन तथा जल दान करने को लेकर लोगों द्वारा खरीदारी शुरू कर दी गई है। हिंदू पंचांग के मुताबिक साल भर में कुल जो 24 एकादशीयां आती है। जिसमें में निर्जला एकादशी को सबसे पवित्र व फलदायक तथा माना जाता है।
बताया जाता है कि साल भर में होने वाली 24 के दिन जो श्रद्धालु व्रत नहीं रख पाते वह साल में एक बार निर्जला एकादशी का व्रत रख पुण्य फल की प्राप्ति कर सकते हैं। पंडित दीन दयाल शास्त्री के मुताबिक इस दिन व्रत का पारण कर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
40 डिग्री तापमान में निर्जल व निराहार रहकर संपन्न करना होगा व्रत
सनातन परंपरा के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत दिन भर निर्जल तथा निराहार रहकर संपन्न करना होता है। जेष्ठ माह की गर्मी तथा अधिकतम 40 डिग्री तापमान के बीच इस बार श्रद्धालु करवाचौथ से भी कठिन इस व्रत को रखकर आस्था का प्रमाण देंगे।
हर साल निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाली किरण बाला बताती हैं कि भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत का पारण हर साल करती है। इस बार तापमान में बढ़ोतरी हो रही है बावजूद इसके 31 मई को शुभ संयोग के बीच वह इस व्रत का पारण अवश्य करेंगे।
बाजारों में उमड़ी रौनक, मंदिरों में की तैयारियां
निर्जला एकादशी के दिन बर्तन, जल, मिष्ठान, हथ पंखी व चीनी दान करने की परंपरा शुरू से रही है। सनातन धर्म के मुताबिक ऐसा करके भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के साथ-साथ दान का पुण्य भी प्राप्त होता है। जिसे लेकर खरीदारी का दौर पूरे यौवन पर है। जिसके चलते बाजारों में रौनक लौट आई है। इसी तरह निर्जला एकादशी की पूजा संपन्न करवाने के लिए शहर के मंदिरों में भी व्यापक प्रबंध किए गए हैं।
इस बारे में सिद्ध शक्ति पीठ श्री देवी तालाब मंदिर प्रबंधक कमेटी के महासचिव राजेश विज बताते हैं कि निर्जला एकादशी के दिन पूजा अर्चना करवाने के लिए अतिरिक्त पुरोहित तैनात किए गए हैं। इसी तरह प्राचीन शिव मंदिर गुड मंडी के प्रमुख पुजारी पंडित नारायण शास्त्री बताते हैं कि निर्जला एकादशी पर दान देने से पहले उसका पूजा करवाई जाती है। इसके लिए मंदिरों में होने वाली संभावित भीड़ के चलते अतिरिक्त स्टाफ तथा पुरोहित तैनात किए जाएंगे।
31 मई को रखा जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत
भले ही जेष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि 30 मई को शुरू हो जाएगी। लेकिन निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई को ही रखा जाएगा। कारण, 30 मई को दोपहर 1.07 बजे शुरू होने वाली तिथि 31 मई को दोपहर 1:45 बजे तक रहेगी। सनातन धर्म में उदय तिथि को मनाए जाते व्रत व त्यौहार ही मान्य होते हैं। जिसके मुताबिक 31 मई बुधवार को ही निर्जला एकादशी का त्योहार तथा व्रत रखा जाएगा।