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योगी सरकार का बड़ा तोहफा, संस्कृत की पढ़ाई कर रहे छात्रों को मिलेगी 6000 रुपये तक की स्कॉलरशिप

अब बच्चों को कक्षा के हिसाब से स्कॉलरशिप दी जाएगी। जिसके बाद छात्रों को 2000 रुपये से लेकर 6000 रुपये तक स्कॉलरशिप मिलेगी।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 12:19 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 12:26 PM (IST)
योगी सरकार का बड़ा तोहफा, संस्कृत की पढ़ाई कर रहे छात्रों को मिलेगी 6000 रुपये तक की स्कॉलरशिप

लखनऊ, जेएनएन। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए नया कदम उठाया जा रहा है। जिसका लाभ एक लाख छात्रों को मिलने वाला है। दरअसल उत्तर प्रदेश में संस्कृत के छात्रों को स्कॉलरशिप देने की तैयारी की जा रही है। स्कॉलरशिप के जरिए प्रत्येक छात्र को कम से कम दो हजार रुपये दिए जाएंगे। उप्र संस्कृत संस्थान की तरफ से दी जाने वाली स्कॉलरशिप को शासन से भी मंजूरी मिल गई है।

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बता दें कि पहले छात्रों को समाज कल्याण विभाग की तरफ से 500 रुपये स्कॉलरशिप दी जाती थी लेकिन अब बच्चों को कक्षा के हिसाब से स्कॉलरशिप दी जाएगी। जिसके बाद छात्रों को 2000 रुपये से लेकर 6000 रुपये तक स्कॉलरशिप मिलेगी। उप्र संस्कृत संस्थान के प्रमुख डॉ वाचस्पति मिश्र ने कहा कि पहले संस्कृत के छात्रों को 500 रुपये स्कॉलरशिप दी जाती थी जिससे उनको कोई भला नहीं होता था, लेकिन अब समाज कल्याण छात्रों को कक्षा के अनुसार स्कॉलरशिप देगा। जिससे प्रदेश के 1175 संस्थानों में पढ़ने वाले करीब एक लाख छात्रों को लाभ पहुंचेगा। कक्षा छह से आठ तक के छात्रों को दो हजार रुपये और कक्षा नौ से दस तक के छात्रों को पांच हजार रुपये जबकि 11वीं से 12वीं तक के छात्रों को छह हजार रुपये वार्षिक स्कॉलरशिप दी जाएगी।

यह स्कॉलरशिप उन छात्रों को दी जाएगी जो 60 फीसद अंक लाने में सफल होंगे। ऐसे छात्र स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए पहले चरण में एक हजार छात्रों का चयन किया जाएगा। संस्कृत संस्थान के प्रमुख ने बताया कि फिलहाल यह पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जा रहा है। अच्छी तरह से संचालित होने के बाद इसको बड़े स्तर पर लाया जाएगा। अगले महीने से आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत संस्कृत स्कूलों से की जाएगी।

उन्होंने आगे बताया कि संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों में पहले से ही संस्कार आते हैं जो समाज को नई दिशा देने में सहायक होते हैं। संस्कृत पढ़ने वाले छात्र ज्योतिषाचार्य या कर्मकांडी या पुरोहित ही बन सकते हैं, संस्कृत इस गलतफहमी को तोड़कर नए आयेम गढ़ रही है। विज्ञान के छात्रों की तरह संस्कृत के छात्र भी अब अन्य क्षेत्रों में अपनी मेधा प्रदर्शित कर सकते हैं।

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