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UPPCS-2019: बदले पैटर्न के लिए ऐसे करें परीक्षा की तैयारी, ये स्ट्रटजी आएंगी काम

UPPCS-2019 इस परीक्षा के माध्यम से स्नातक एवं अन्य योग्यताधारी युवाओं को राजपत्रित अधिकारी के रूप में सेवा करने का मौका मिलता है।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 09:38 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 09:38 AM (IST)
UPPCS-2019: बदले पैटर्न के लिए ऐसे करें परीक्षा की तैयारी, ये स्ट्रटजी आएंगी काम
UPPCS-2019: बदले पैटर्न के लिए ऐसे करें परीक्षा की तैयारी, ये स्ट्रटजी आएंगी काम

नई दिल्ली [देवाशीष उपाध्याय]। देश की चुनिंदा प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक यूपीपीसीएस परीक्षा 2019 के विभिन्न पदों के लिए आवेदन मांगा गया है। इस परीक्षा के माध्यम से स्नातक एवं अन्य योग्यताधारी युवाओं को राजपत्रित अधिकारी के रूप में सेवा करने का मौका मिलता है। इस बार कई बड़े बदलाव किए गए हैं। अब प्री परीक्षा में कुल पदों के सापेक्ष केवल तेरह गुना और मुख्य परीक्षा में केवल दो गुना उम्मीदवारों को ही क्वालिफाई कराया जाएगा। जाहिर है, इससे प्रतिस्पर्धा और बढ़ जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं बदले पैटर्न के अनुसार सही रणनीति के साथ परीक्षा की विधिवत तैयारी कैसे की जाए...

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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस यानी सम्मिलिति राज्य सेवा परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है। प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन के दो प्रश्नपत्र होते हैं। प्रथम प्रश्नपत्र में देश-दुनिया से संबंधित सामान्य अध्ययन और समसामयिक घटनाओं से संबंधित 150 प्रश्न, 200 अंकों के पूछे जाते हैं, जिसमें मेरिट के आधार पर चयन होता है। द्वितीय प्रश्नपत्र में सिविल सेवा परीक्षा की तरह सीसैट से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसमें 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है।

तैयारी की स्ट्रेट्रेजी

प्रारंभिक परीक्षा में करीब 40 से 50 प्रतिशत प्रश्न परंपरागत प्रकार के पूछे जाते हैं, जिसके लिए स्कूल स्तर की एनसीईआरटी की पुस्तकों का अध्ययन किया जाना लाभदायक होगा। भूगोल के कॉन्सेप्ट को मानचित्र के साथ क्लियर करने से कंफ्यूजन नहीं होता है। मानचित्र में प्रदर्शित समस्त बिंदुओं और उनसे संबंधित तथ्यों को क्रमबद्ध रूप से करेंट से जोड़ते हुए तैयार करना चाहिए। ऐतिहासक तथ्यों को याद रखना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए इतिहास को कहानी के माध्यम से स्वनिर्मित फार्मूलों के आधार पर तथ्यों को लंबे समय तक स्मरण किया जा सकता है।

राजव्यवस्था संबंधी प्रश्नों के लिए संविधान के भाग, अनुच्छेद, अनुसूची और संविधान संशोधनों, चर्चित निर्णय इत्यादि का अध्ययन करना चाहिए। विज्ञान के प्रश्नों के लिए वैज्ञानिक अवधारणाओं के साथ आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी पहलुओं का विश्लेषण करना आवश्यक है। अर्थव्यवस्था के अंतर्गत भारतीय एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव, अर्थव्यवस्था की आधारभूत अवधारणा, जनांककीय, मुद्रा प्रणाली तथा वित्तीय समावेशन आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसी तरह पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी, देश-प्रदेश की कृषि व्यवस्था तथा सरकारी व लोककल्याणकारी योजनाओं का गहन अध्ययन किया जाना आवश्यक है।

परीक्षा के बदले पैटर्न के कारण अब करेंट का महत्व बढ़ता जा रहा है, जिसमें देश-विदेश से संबंधित चर्चित मुद्दे, सामान्य ज्ञान, खेलकूद तथा समसामयिक घटनाओं से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। फिलहाल, समसामयिक घटनाओं से अपडेट रहने के लिए प्रतिदिन कम से कम एक राष्ट्रीय समाचार पत्र, मासिक पत्रिका, न्यूज चैनल और इंटरनेट पर उपलब्ध चर्चित मुद्दों पर अपनी नजर जरूर बनाए रखें। आयोग द्वारा पूर्व की विभिन्न परीक्षाओं में पू़छे गए प्रश्नों का भी नियमित रूप से अध्ययन करना चाहिए, इससे प्रश्न पूछने के पैटर्न तथा पुनरावृत्ति वाले प्रश्नों को हल करने में आसानी होती है।

सीसैट क्वालिफाइंग पेपर

द्वितीय प्रश्नपत्र में सीसैट से संबंधित हाईस्कूल स्तर के सामान्य हिंदी, अंग्रेजी, गणित, रीजनिंग आदि के प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें 100 प्रश्न, 200 अंकों के होते हैं। यह पेपर क्वालिफाइंग होता है यानी इसमें 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करके इसे पास किया जा सकता है।

समय प्रबंधन की भूमिका

इस परीक्षा में सफलता के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत आवश्यक है यानी आपकी रीडिंग स्पीड और विषयवस्तु को समझने की क्षमता तीव्र होनी चाहिए, जिससे कम समय में अधिक से अधिक जानकारी हासिल हो सके। इसका एक फायदा यह भी है कि निश्चित दिनचर्या और निर्धारित टाइम टेबल के अनुरूप अध्ययन करने से भटकाव और अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है। परीक्षा कक्ष में प्रश्नों को जल्दी-जल्दी पढ़कर समझना और सही उत्तर का चुनाव करना और उत्तर पत्र पर उत्तर अंकित करने की स्पीड, यह सब बहुत तेज होनी चाहिए। आप परीक्षा से पूर्व, एक निश्चित समयावधि में मॉडल प्रश्नपत्र या पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को नियमित रूप से हल करने की प्रैक्टिस करके यह टाइम मैनेजमेंट सीख सकते हैं, क्योंकि स्पीड कम होने की स्थिति में प्रश्न छूटने की संभावना रहती है।

निगेटिव मार्किंग की चुनौती

प्रारंभिक परीक्षा में तुक्केबाजी की प्रवृत्ति को रोकने के लिए प्रत्येक गलत उत्तर पर एक तिहाई अंक के निगेटिव मार्किंग का प्रावधान किया गया है। ऐसी स्थिति में जिन प्रश्नों के बारे में कुछ भी नहीं पता है, उन्हें बिल्कुल ही टिक नहीं करना चाहिए। लेकिन जिन प्रश्नों के दो या तीन विकल्पों में से सही उत्तर होने अथवा न होने की संभावना हो, उसमें तुक्केबाजी का जोखिम उठाया जा सकता है। क्योंकि ऐसा करने पर आपको यदि लाभ नहीं होगा तो नुकसान भी नहीं होगा।

विगत वर्षों में कट ऑफ का ट्रेंड लगभग 70 प्रतिशत के आस-पास रहा है। यदि आप 70 प्रतिशत से कम उत्तर हल करते हैं, तो आपके चयन की संभावना बहुत कम हो सकती है। यदि आप 70 प्रतिशत अंक के काफी करीब हैं, तो इस प्रकार से चुनिंदा प्रश्नों को ही हल करें। यदि लक्ष्य से दूर हैं, तो अधिक प्रश्नों को हल करें, जिससे आपके सही उत्तर का औसत 70 प्रतिशत तक पहुंच जाए।

अतिउत्साह से बचें

परीक्षा हॉल में प्रश्नों को धैर्यपूर्वक, ध्यान से पढ़कर एकाग्रचित्त होकर हल करना चाहिए। जल्दबाजी या अतिउत्साह में सरल और आसान प्रश्नों के भी गलत होने की संभावना रहती है। कई बार अधूरा प्रश्न पढ़कर या पहले-दूसरे विकल्प के आधार पर उत्तर का चयन करने से भी उत्तर गलत हो जाते हैं। इसलिए प्रश्न को अंतिम छोर तक पढ़ने के बाद, पूर्ण संतुष्ट होने पर ही विकल्प का चयन करना चाहिए। सरल, आसान और ज्ञात उत्तर वाले प्रश्न किसी भी दशा में गलत नहीं होना चाहिए।

कुल मिलाकर, परीक्षा हाल में घबराहट या तनाव बिल्कुल न लें, मन को शांत रखें अन्यथा फायदा की बजाय नुकसान ही होगा। पूर्व की परीक्षाओं के दौरान की गई गलतियों को ध्यान में रखें, जिससे आगामी परीक्षाओं में उसकी पुनरावृत्ति न हो। बहरहाल, सकारात्मक दृष्टिकोण, दूरदर्शी रणनीति, समय प्रबंधन और कठोर परिश्रम से कठिन से कठिन परीक्षा में भी सफलता हासिल की जा सकती है। बस, आवश्यकता है कि हौसले के साथ अपनी तैयारी में निरंतरता बनाए रखें और सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता खुद में पैदा करें।

लेखक जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी(उप्र) हैं।


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