UGC Guidelines 2020: सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी से मांगा जवाब, क्या 31 जुलाई की सुनवाई में होगी छात्रों की जीत?
UGC Guidelines 2020 सुप्रीम कोर्ट में विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष सेमेस्टर परीक्षाओं के मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई 2020 को होनी है।
UGC Guidelines 2020: इस समय देश भर के विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष / सेमेस्टर परीक्षाओं के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का मुद्दा जोरों पर है और इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट में विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष / सेमेस्टर परीक्षाओं के मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई 2020 को होनी है। सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने के विरोध में दायर याचिकाओं को लेकर जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है। जस्टिस अशोक भूषण की नेतृत्व वाली बेंच ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह 29 जुलाई, 2020 तक अपना जवाब दाखिल करे। बता दें कि इस मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई, 2020 को होनी है।
बता दें कि 27 जुलाई को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी व न्यायमूर्ति एम आर शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाओं को लेकर केन्द्र सरकार और यूजीसी से जवाब मांगा है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा है कि विश्विवद्यालयों और कालेजों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर चिंतातुर हैं। कहा कि देश मे 800 से अधिक विश्वविद्यालयों में से 209 विश्विद्यालयों में परीक्षाओं को संपन्न करा लिया गया है। जबकि, लगभग 390 विश्वविद्यालय वर्तमान समय में परीक्षायें आयोजित कराने की प्रक्रिया में हैं।
इस समय सुप्रीम कोर्ट में देश भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों सहित अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई का दौर चल रहा है। देशभर के कई विश्वविद्यालयों के लगभग 31 स्टूडेंट्स द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यूजीसी द्वारा जारी की गई संशोधित गाइडलाइंस को रद्द करने की मांग की गई है। यूजीसी ने अपनी संशोधित गाइडलाइंस में देश के सभी विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया है कि वे अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं सिंतबर तक आयोजित करा लें। वहीं, छात्रों ने अपनी याचिका में मांग की है कि अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द होनी चाहिए। साथ ही, छात्रों ने उनके परिणाम पूर्व के प्रदर्शन के आधार पर जारी किए जाने की मांग की है। छात्रों की याचिकाओं में बिहार व असम में बाढ़ के कारण भारी संख्या में प्रभावित छात्रों की कठिनाइयां और विभिन्न राज्यों द्वारा महामारी के चलते विश्वविद्यालयों की परीक्षायें रद्द करने के फैसले सहित अनेक मुद्दों का हवाला दिया गया है।
बिना परीक्षा डिग्री प्राप्त होने से स्टूडेंट्स के भविष्य पर बुरा असर
वहीं, इससे पहले यूजीसी ने कहा था कि अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। बिना परीक्षाओं के छात्रों को प्रोन्नत कर प्रमाण पत्र प्रदान करने का निर्णय साफ तौर पर देश में हायर एजुकेशन की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा। बिना परीक्षा लिए सर्टिफिकेट देने से स्टूडेंट्स के भविष्य पर भी बुरा असर पड़ेगा। बता दें कि यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के अंतिम वर्ष/सेमेस्टर की परीक्षाओं और शैक्षणिक कैलेंडर को लेकर 6 जुलाई को संशोधित गाइडलाइन जारी की थी। यूजीसी की नई गाइडलाइन के अनुसार मध्यवर्ती सेमेस्टर के छात्रों का मूल्यांकन उनके इंटरनल असेसमेंट के आधार पर किए जाने की बात कही गई थी।
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के अंतिम वर्ष की परीक्षाओं का आयोजन करने का निर्णय लिया था। वहीं, प्रथम वर्ष के छात्रों को द्वितीय वर्ष में इंटरनल असेसमेंट के आधार पर प्रोन्नत करने का निर्णय लिया गया। बता दें कि कोरोना वायरस महामारी के मामले 1 जुलाई तक कम होने की उम्मीद थी। लेकिन, महामारी के मामले कम होने की बजाए भयावह हो गए। छात्रों और अभिभावकों समेत कई राज्य सरकारें भी परीक्षा आयोजित करने का विरोध कर रही हैं। अब देखना यह है कि देश के शीर्ष अदालत की अगली सुनवाई में क्या निर्णय लिए जाते हैं और इसमें छात्रों के हितों का कितना ध्यान रखा जाता है।