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जोरदार आउटपुट के लिए कितना जरूरी है आत्मविश्वास से भरी टीम बनाना, यहां जानें

दुख-सुख में साथ खड़े रहने पर टीम मेंबर भी अपनी एकजुटता से मुश्किल से मुश्किल काम को भी आसान बना देते हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 09:48 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 09:48 AM (IST)
जोरदार आउटपुट के लिए कितना जरूरी है आत्मविश्वास से भरी टीम बनाना, यहां जानें
जोरदार आउटपुट के लिए कितना जरूरी है आत्मविश्वास से भरी टीम बनाना, यहां जानें

नई दिल्ली [अरुण श्रीवास्तव]। सही तालमेल वाली उत्साही टीम हर मोर्चे पर आगे रहती है, लेकिन ऐसी टीम अपने आप ही नहीं बन जाती। इसके लिए टीम लीडर द्वारा हर सदस्य को न सिर्फ भरोसे में लेना होता है, बल्कि बेहतर काम लेने के लिए उन्हें लगातार प्रोत्साहित भी करना होता है। दुख-सुख में साथ खड़े रहने पर टीम मेंबर भी अपनी एकजुटता से मुश्किल से मुश्किल काम को भी आसान बना देते हैं। जोरदार आउटपुट के लिए कितना जरूरी है आत्मविश्वास से भरी टीम बनाना और कैसे बनती है ऐसी टीम, यहां जानें...

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मयंक एक एमएनसी में एक विभाग के प्रमुख हैं। उनकी टीम में तकरीबन डेढ़ दर्जन सदस्य हैं। सभी सदस्यों का स्वभाव और नजरिया बेशक अलग है, लेकिन एक प्रोफेशनल के तौर पर उन सभी में गजब का तालमेल है। टीम का हर सदस्य आत्मविश्वास से भरपूर होने के कारण अपने नियमित कामकाज के अलावा किसी भी नई चुनौती को स्वीकार करने के लिए हर समय तैयार रहता है।

कभी किसी एक या एक से अधिक सदस्यों के अवकाश पर होने की वजह से भी विभाग के नियमित कामकाज पर कोई असर नहीं होता, क्योंकि हर मेंबर दूसरे के काम में सहयोग के लिए स्वत:स्फूर्त तरीके से तैयार रहता है। यही कारण है कि मयंक को कभी किसी काम को लेकर तनाव या दबाव में आते नहीं देखा जाता। हालांकि इसके पीछे मयंक का स्वभाव भी है, जिनका अपनी टीम के हर सदस्य के मजबूत भावनात्मक रिश्ता है। वह सभी सदस्यों के सुख-दुख में शामिल होकर उन्हें भावनात्मक संबल देने और हर समय प्रेरित रखने की कोशिश करते हैं। जरूरत पड़ने पर वह खुद भी उनके साथ जूझते हुए उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हैं ताकि वह खुद को अकेला न समझें। इतना ही नहीं, अनजाने में कभी किसी से कोई चूक हो भी जाए, तो वह उसे अपने ऊपर लेते हुए सारी जवाबदेही खुद पर ही ले लेते हैं और संबंधित टीम मेंबर को तनाव में नहीं आने देते।

दूसरा उदाहरण राजीव का है, जो एक अन्य बड़े संस्थान में काम करते हैं। पर वहां मामला इसके ठीक उलटा है। वह खुद तो हर समय सोशल मीडिया पर चैटिंग में लगे रहते हैं, पर अपनी टीम के सदस्यों को जब तब बिना बात के ही डांटते और अपमानित करते रहते हैं। ऐसे में टीम का हर सदस्य न सिर्फ असंतुष्ट रहता है, बल्कि टीम का कोई भी काम न तो समय पर पूरा होता है और न ही उसमें परफेक्शन ही होता है। इस वजह से राजीव की जब क्लास लगती है, तो वह उसका ठीकरा अपनी टीम पर फोड़ते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश कर देते हैं। इन सब कारणों से टीम का माहौल हर समय तनावपूर्ण रहता है। करनी होती है पहल: कोई संस्थान छोटा हो या बड़ा, हर जगह कोई भी काम टीमवर्क से ही होता है। बिना टीमवर्क के छोटा से छोटा काम भी खराब हो जाता है।

क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, वॉलीबॉल, कबड्डी सहित टीमवर्क वाले किसी भी खेल को देख लें। एक-दूसरे के प्रति भरोसा और आपसी तालमेल होने पर टीम मेंबर्स का बॉडी लैंग्वेज भी अलग और आत्मविश्वास से भरा दिखता है। यही कारण है कि वह टीम हर मैच में, हर क्षेत्र में अपना सौ प्रतिशत देते हुए सबसे आगे रहती है और लगातार जोरदार प्रदर्शन करते हुए मिसाल बनती है। हालांकि ऐसी टीम बनाना आसान नहीं होता। एक मजबूत और उत्साही टीम बनाने के लिए टीम लीडर को आगे आना होता है। जरूरी नहीं कि टीम का हर सदस्य एक जैसा परफेक्ट हो, लेकिन यह जरूरत है कि हर सदस्य के अंदर कोई न कोई खूबी होती है, जिसे पहचानना और उसके अनुसार उसे आगे बढ़ाना लीडर के हाथ में ही होता है।

हर सदस्य से एक जैसी अपेक्षा नहीं की जा सकती, लेकिन टीम के सदस्य की खूबी जानकर उससे उसी तरह का काम लेना लीडर की काबिलियत पर निर्भर होता है। एक समझदार और सुलझा हुआ लीडर गलतियों पर डांटने और अपमानित करने की बजाय सदस्यों को कुछ इस तरीके से एहसास कराता है, जिससे वे उसके मुरीद हो जाते हैं। डांट की अपेक्षा के बदले जब उन्हें प्रोत्साहन मिलता है, तो अपनी गलतियों को महसूस करते हुए आगे उसकी पुनरावृत्ति न होने का खुद ब खुद संकल्प लेते हैं। इसके अलावा, लीडर हर दिन, हर पल टीम के सदस्यों का विश्वास बढ़ाता रहता है, ताकि वे सीखने-जानने और मुश्किल से मुश्किल काम को करने के लिए भी आत्मविश्वास से भरे रहें।

प्रोफेशनल के साथ पर्सनल टच

सुलझा हुआ लीडर प्रोफेशनली अपनी टीम को प्रेरित करने के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से उनके सुख-दुख में भागीदार बनता है। इसके लिए वह यथासंभव उनकी मदद के लिए भी तत्पर रहता है, चाहे उन्हें छुट्टियां देने की बात हो या फिर कभी-कभी उनके काम में मदद पहुंचाने की बात हो।

तरक्की के मौके

एक सफल लीडर अपनी टीम के सदस्यों की योग्यता, क्षमता और कुशलता को निखारने में मदद करते हुए यथासंभव उनकी तरक्की के लिए भी प्रयासरत रहता है। इसके साथ-साथ वह उन्हें इंक्रीमेंट के रूप में आर्थिक लाभ पहुंचाकर भी उन्हें संतुष्ट रखने का प्रयास करता है। वह उनकी क्षमताकुशलता बढ़ाने के लिए आवश्यकतानुसार उन्हें ट्रेनिंग प्रोग्राम, सेमिनार्स में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करता रहता है।

शिकायतों, परेशानियों पर ध्यान

कार्यस्थल पर कई बार अनचाहे भी टीम मेंबर्स को किसी वजह से अपने काम को सही तरीके से करने में परेशानी होने लगती है। कार्यालय का माहौल कूल, खुशनुमा होने और बॉस के साथ सहज होने की स्थिति में कर्मचारी अपनी शिकायत या परेशानी को उनके साथ आसानी से बांट सकते हैं। उन्हें यह भरोसा होता है कि उनके सीनियर न केवल उनकी बात को अच्छी तरह से सुनेंगे,

बल्कि उनकी परेशानियों का समुचित हल भी सुझा सकते हैं। इससे उन्हें तसल्ली होती है।

बना रहे उत्साह

यह टीम लीडर की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने विभाग के माहौल को खुशनुमा रखे। ऐसा तभी हो सकता है, जब टीम का हर सदस्य उत्साह से भरा रहेगा। इसके लिए टीम लीडर को भी अपनी परेशानियों से शांति के साथ निपटते हुए खुद उत्साह से भरे रहने को अपनी आदत में शुमार करना होगा।


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