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काम के साथ फिटनेस का भी रखें खास ख्याल, इन बातों ना करें नजरअंदाज

हम फिट होंगे तभी खुश व उत्साहित रहते हुए अपने काम पर पूरा ध्यान दे सकेंगे और फिर खुद को कामयाबी की ओर बढ़ाते हुए देश को भी तरक्की की ओर बढ़ने में योगदान कर सकेंगे।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 02:25 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 02:25 PM (IST)
काम के साथ फिटनेस का भी रखें खास ख्याल, इन बातों ना करें नजरअंदाज
काम के साथ फिटनेस का भी रखें खास ख्याल, इन बातों ना करें नजरअंदाज

नई दिल्ली [अरुण श्रीवास्त]। पिछले दिनों राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर हमारे प्रधानमंत्री ने ‘फिट इंडिया अभियान’ की शुरुआत करते हुए इसे जन-आंदोलन बनाने का आह्वान किया। पिछले डेढ़-दो दशकों में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के चलते लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति सजगता तो देखी जा रही है, लेकिन अभी यह बहुत संतोषजनक नहीं है। हम फिट होंगे, तभी खुश व उत्साहित रहते हुए अपने काम पर पूरा ध्यान दे सकेंगे और फिर खुद को कामयाबी की ओर बढ़ाते हुए देश को भी तरक्की की ओर बढ़ने में योगदान कर सकेंगे। आखिर कामयाबी के लिए कितना जरूरी है फिट रहना.....

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सत्येंद्र कुमार की उम्र करीब 40 वर्ष है। वे एक आइटी कंपनी में करीब दस साल से काम कर रहे हैं, जहां उनकी शिफ्ट बदलती रहती है। कभी सुबह की ड्यूटी होती है तो कभी शाम की। कभी-कभी तो उनकी शिफ्ट रात की भी लग जाती है। यह सिलसिला कई वर्षों से ऐसे ही चल रहा है। इस दिनचर्या में ढल जाने के कारण उन्हें शारीरिक और मानसिक परेशानी नहीं होती थी। लेकिन पिछले कुछ महीने से वह खुद को सहज नहीं महसूस कर रहे हैं। हर समय थकान महसूस होती है। कुछ करने का मन नहीं करता। इससे उनका काम भी प्रभावित हो रहा है।

वह अक्सर बात-बेबात झुंझला भी जाते थे। वह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। उनकी पत्नी भी इस परेशानी को देख-समझ रही थीं। आखिर में उन्होंने मनोचिकित्सक से मिलने का निर्णय लिया। मनोचिकत्सक ने उनसे दो-तीन सिटिंग में बात करके उनकी दिनचर्या को समझा। वह इस निर्णय पर पहुंचे कि उम्र के इस मोड़ पर सत्येंद्र का मन और शरीर पूरी तरह से विश्राम/आराम की स्थिति में न आ पाने के कारण ऐसा हो रहा है।

चूंकि वे अब नौकरी में मिड-लेवल पोजीशन पर थे, इसलिए जिम्मेदारियां भी बढ़ गई थीं। काम के दबाव की वजह से आराम करते समय भी उनके दिमाग में ऑफिस की बातें ही चलती रहती थीं। अनियमित दिनचर्या के कारण वे नियमित रूप से व्यायाम और टहलने के लिए भी समय नहीं निकाल पाते थे। हालांकि उन्होंने महंगी फीस देकर जिम ज्वाइन किया था, पर इसका उत्साह एक-दो महीने ही बना रहा। इससे उनकी जीवनशैली प्रभावित हो रही थी।

चिकित्सक ने उन्हें अपने लिए समय निकालने और खुद को फिट रखने की चेतावनी देते हुए आगाह किया कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो आने वाले दिनों में स्थिति कहीं ज्यादा खराब हो सकती है। एक दूसरा उदाहरण देखें। 45 साल के योगेंद्र एक मीडिया हाउस में काम करते हैं और उनकी ड्यूटी देर शाम से लेकर देर रात तक होती है। कुछ साल पहले उन्हें भी सत्येंद्र कुमार की तरह परेशानियां शुरू हुई थीं, लेकिन उन्होंने एक योगाचार्य की सलाह पर अमल करते हुए अपने स्वास्थ्य पर तभी से पूरा ध्यान देना शुरू कर दिया।

संतुलित खानपान, व्यायाम, टहलने और पर्याप्त नींद लेने के कारण अब स्थिति यह है कि वह हर दिन उत्साह और ऊर्जा से भरे रहते हैं। पहले की स्थिति में लगभग हर दिन सुबह उठते ही थकान हावी रहती थी, कुछ करने का मन नहीं होता था। वहीं अब सुबह से शाम तक वह पूरे मन से काम करते हैं। उनके चेहरे से कभी थकान नहीं झलकती। आज वह हर समय आत्मविश्वास से भरे दिखते हैं। 

दिनचर्या हो अनुशासित

फिटनेस कोई ऐसी चीज नहीं, जिसके लिए डॉक्टर के पास जाना पड़े। जब तक हम युवा होते हैं, तब तक अनियमित जीवनशैली का बहुत ज्यादा असर नहीं दिखता, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ही शारीरिक व मानसिक परेशानियां सामने आने लगती हैं।

जो लोग शुरू से ही जीवनशैली और खानपान को लेकर अनुशासित रहते हैं, उन्हें तो कोई परेशानी नहीं होती, पर जो ऐसा नहीं कर पाते, उन्हें छोटी-बड़ी कई व्याधियां घेर लेती हैं। आप सभी ने इस बात पर अच्छी तरह गौर किया होगा कि हमारे प्रधानमंत्री प्रौढ़ावस्था के बावजूद किस तरह अपने को फिट रखकर हर समय उत्साह व ऊर्जा से भरे दिखते हैं। उनकी ऊर्जा हैरान भी करती है और प्रेरित भी।

फिटनेस की महत्ता को अच्छी तरह समझने के कारण ही प्रधानमंत्री देश के हर नागरिक को फिट देखना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए आलस छोड़कर हम सभी को पहल तो खुद ही करनी होगी। हम सिर्फ अपने स्मार्टफोन में एप डाउनलोड करके या फिर महंगा जिम ज्वाइन करके ही ऐसा नहीं कर सकते। इसके लिए हमें अपनी दिनचर्या और खानपान को भी अनुशासित करना होगा। स्वाद और आलस को तिलांजलि देनी होगी। व्यायाम, योग, ध्यान, पैदल चलने को अपनी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा/आदत बनाना होगा।

तन-मन रहे वश में

अनुशासित दिनचर्या और व्यायाम से हमारा तन-मन पूरी तरह हमारे नियंत्रण में रह सकता है। इसकी वजह से बढ़ती उम्र का भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। विश्वास न हो, तो इस तरह का जीवन जी रहे लोगों की दिनचर्या को करीब से देख-जान लें। जरूरी नहीं कि हर मानसिक-शारीरिक परेशानी के लिए चिकित्सक की ही मदद ली जाए। अगर हम अपनी दिनचर्या और खानपान को अनुशासित कर लें, इनमें से बहुत सारी परेशानियां खुद-ब-खुद दूर हो जाएंगी।

काम में लगेगा मन

कई बार आप खुद महसूस करेंगे कि सुबह बिस्तर से उठने का मन नहीं करता। किसी तरह उठ भी गए तो भारी मन से नित्यक्रिया निबटाते हैं। इसके बाद ऑफिस जाने का मन नहीं होता। पैर घसीटते हुए किसी तरह ऑफिस पहुंचते हैं, तो वहां काम में मन नहीं लगता। इस वजह से जो काम करते हैं, वह उल्टा-पुल्टा यानी कुछ का कुछ हो जाता है। इससे सीनियर की डांट पड़ जाती है, तो मूड और खराब हो जाता है।

मान लीजिए कि ऐसा रोज-रोज होने लगे, तो घर और बाहर क्लेश ही होगा न? ऑफिस में सहयोगियों से उलझेंगे और बॉस पर भन्नाएंगे, तो घर आने पर बीवी और बच्चों पर झल्लाएंगे। क्या कोई भी ऐसा चाहेगा? कतई नहीं। फिर ऐसी नौबत आए ही क्यों? हम अगर चाहें, तो ऐसी स्थिति को अपनी जिंदगी से हमेशा के लिए निकाल सकते हैं।


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