प्रयागराज में बना साइंस प्रैक्टिकल का नया रिकार्ड, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम
करीब 50 स्कूलों के विद्यार्थी इस रिकार्ड को बनाने के लिए जुटे थे। घोषणा होते ही आयोजकों के साथ छात्र-छात्रओं की बांछें खिल गईं।
प्रयागराज [राजकुमार श्रीवास्तव]। प्रयागराज की धरती शनिवार को साइंस प्रैक्टिकल के नया रिकार्ड की साक्षी बनी। नैनी स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) में कक्षा छह से 12 तक के 4313 छात्र छात्रओं ने जल आधारित प्रयोग कर गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में प्रयागराज का नाम दर्ज कराया। करीब 50 स्कूलों के विद्यार्थी इस रिकार्ड को बनाने के लिए जुटे थे। घोषणा होते ही आयोजकों के साथ छात्र-छात्रओं की बांछें खिल गईं।
आई साइंस वर्ल्ड, श्रीमहाप्रभु पब्लिक स्कूल और डीपीएस के संयुक्त तत्वावधान में यह आयोजन हुआ था। ‘लार्जेस्ट साइंस प्रैक्टिकल सेशन’ में 4313 छात्र-छात्रएं सम्मलित हुए। यह कवायद लिम्का बुक आफ वल्र्ड रिकार्डस और गोल्डेन बुक वल्र्ड आफ रिकार्ड में नाम दर्ज कराने के लिए भी भेजी गई है। विद्यार्थियों ने तीन चरणों में जल आधारित प्रयोग किए। विद्यार्थियों को (सालिबिलिटी, लिटमस और कैपिलरी राइस टेस्ट) के प्रयोग के लिए आधे-आधे घंटे का समय दिया गया था। प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर, रेणूकूट (सोनभद्र) जिलों के स्कूलों से पहुंचे विद्यार्थियों ने किट और ट्रे में प्रयोग किया। बीच में उठने की वजह से 41 विद्यार्थी अयोग्य करार दिए गए। गिनीज वल्र्ड रिकार्डस की एडजुडिकेटर शेफाली मिश्र ने नया कीर्तिमान बनने की घोषणा कीं। आयोजन के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सुधीर नारायण अग्रवाल थे।
श्रीमहाप्रभु पब्लिक स्कूल के प्रबंधक श्रीभगवान पांडेय ने आइ साइंस वल्र्ड के सेक्रेटरी रितांशु गुप्ता को नए विश्व कीर्तिमान का प्रमाण पत्र सौंपा। गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड के एशिया हेड डॉ. मनीष विश्नोई ने बताया कि प्रोविजिनल सर्टिफिकेट दे दिया गया है। रिकार्डिग की दोबारा जांच कर अंतिम परिणाम जारी किया जाएगा। कहा कि फिलहाल ‘मोस्ट पीपल परफार्मिग इनफार्मल साइंस इक्सपेरीमेंट इनवाल्विंग वॉटर’ का प्रोविजिनल सर्टिफिकेट दिया गया है।
सहआयोजक श्रीमहाप्रभु पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या र¨बदर बिरदी ने बताया कि लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड के लिए वीडियो रिकार्डिग भेजी गई है। प्रतिभागियों को किट और ट्रे आयोजकों की तरफ से सुलभ कराई गई थी। डायट की प्रवक्ता प्रज्ञा कुशवाहा की देखरेख में आयोजन संपन्न हुआ। डीपीएस की निदेशक सोनू सिंह, प्रधानाचार्या डा. सुजाता सिंह, स्वप्निल कुमार शर्मा, ऋषभ पांडेय आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। प्रतिभागियों में उत्साह देखने वाला रहा।
रानी रेवती देवी इंटर कॉलेज राजापुर के छात्र वंश जायसवाल ने कहा, "विश्व कीर्तिमान के आयोजन का हिस्सा बनकर अच्छा लगा। यहां यह जानकारी मिली कि ब्लू एवं रेड लिटमस पेपर से जांच कर सकते हैं कि पानी एसिडिक है अथवा बेसिक।"
ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के छात्र अविनाश सिंह, "सिविल लाइंस पानी का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, इसकी बचत करनी चाहिए। यह जीवन का आधार है। इस कार्यक्रम का हिस्सा बनकर गर्व की अनुभूति हो रही है।"
एमआरएस स्कूल एंड कॉलेज पटेलनगर के छात्र आदर्श पांडेय ने कहा, "कोई भी चीज कठिन नहीं है। इस आयोजन में प्रयोग कर मैंने यही सीखा कि पानी की बचत करना चाहिए। विश्व रिकार्ड बनाने वाले इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना मेरे लिए सुखद अनुभूति वाला है।"
ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के छात्र निखिल तिवारी ने कहा, "निश्चित तौर पर इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना गौरव की बात है। जल ही जीवन है, यह सोचकर पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। जल नहीं बचाएंगे तो आने वाली पीढ़ियों के सामने घोर संकट खड़ा हो जाएगा।"
इसके पहले कब बना था रिकार्ड
गनीज बुक में पिछला रिकार्ड 12 अगस्त 2016 को आस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में बना था। वहां चुंबक की सहायता से प्रयोग के लिए 53 प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों के 2895 बच्चे शामिल हुए थे। ’ वर्ष 2015 में दिल्ली में 2000 बच्चों ने एक साथ किया था प्रयोग।