Move to Jagran APP

किसानों की तरक्की का जरिया बना यह शख्स, जानें कैसे पहुंचा रहा मदद

तकनीक ने किसानों के कार्य को आसान बनाया है इसमें कोई दो मत नहीं। तभी तो तकनीक आधारित एग्री स्टार्टअप्स की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। २०१२ में आइआइटी दिल्ली से ग्रेजुएट शशांक कुमार ने भी अपने दोस्तों के साथ मिलकर शुरू किया था टेक आधारित प्लेटफॉर्म।

By Nandini DubeyEdited By: Published: Sat, 30 Jan 2021 06:57 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jan 2021 06:57 PM (IST)
किसानों की तरक्की का जरिया बना यह शख्स, जानें कैसे पहुंचा रहा मदद
तकनीक ने किसानों के कार्य को आसान बनाया है, इसमें कोई दो मत नहीं।

तकनीक ने किसानों के कार्य को आसान बनाया है, इसमें कोई दो मत नहीं। तभी तो तकनीक आधारित एग्री स्टार्टअप्स की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। २०१२ में आइआइटी दिल्ली से ग्रेजुएट शशांक कुमार ने भी अपने दोस्तों के साथ मिलकर शुरू किया था टेक आधारित प्लेटफॉर्म च्देहातज्, जो कम खर्च पर किसानों को कृषि संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराता है। हाल ही में इसने सी-फंडिंग के तहत करीब ३ करोड़ डॉलर रेज किये हैं। कंपनी के सह-संस्थापक एवं सीईओ शशांक को गर्व है कि बीते वर्षों में कंपनी ने मार्केट में अपनी विश्वसनीयता कायम की है। वह किसानों के जीवन में सुधार लाने एवं टेक्नोलॉजी की मदद से ग्रामीण माइक्रो एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने में सफल हुए हैं। 

loksabha election banner

च्देहातज् एक बीटुएफ प्लेटफॉर्म है जो किसानों को उनके उत्पाद बाजार तक पहुंचाने, फार्म एडवाइजरी विकसित करने, वित्तीय मदद दिलाने में मदद करता है। वेंचर का उद्देश्य १ करोड़ किसानों को उनके श्रम के एवज में मुनाफा दिलाना एवं कृषि से जुड़ी कंपनियों, आर्पूितकर्ताओं का किसानों से सीधा संपर्क कराना है। कंपनी के मोबाइल एप एवं कॉल सेंटर के माध्यम से किसानों को पेस्ट एवं डिजीज मैनेजमेंट की जानकारी भी दी जाती है। अब तक इसने करीब १३०० माइक्रो एंटरप्रेन्योर्स का रूरल रिटेल नेटवर्क क्रिएट किया है। स्टार्टअप के जरिये बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड एवं ओडिशा के दो लाख से अधिक किसान जुड़े हैं और उन्हें लाभ भी हुआ है। किसान सीधे च्देहातज् के हेल्पलाइन नंबर, एप या कॉल सेंटर पर अपना ऑर्डर दे सकते हैं। फंडिंग के बाद कंपनी अपने प्लेटफॉर्म को और मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। भारत के अन्य राज्यों के अलावा विदेशी बाजार तक पहुंचने की योजना भी बनायी जा रही है।  

अनुभवों के आधार पर उद्यमिता में रखा कदम: गुरुग्राम स्थित कंपनी की स्थापना की बात करें, तो २००८ में आइआइटी, दिल्ली से बीटेक एवं डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से माइनर एमबीए करने के बाद शशांक कुमार ने दोस्तों (अमरेंद्र सिंह, श्याम सुंदर, आदर्श श्रीवास्तव) के साथ मिलकर इसकी नींव रखी। इससे पहले इन्होंने करीब ढाई वर्ष तक मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म के सप्लाई चेन, रिटेल एवं एफएमसीजी सेक्टरों में काम किया। २०१३ में इन्हें अशोका फेलो से नवाजा गया, जबकि अगले ही वर्ष फोब्र्स ३० अंडर ३० की सूची में इनका नाम आया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केन्या गये दल में भी इनका चयन हुआ था। बिहार के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले शशांक बताते हैं, च्मुझे खेती का कोई अनुभव तो नहीं था, लेकिन किसानों के सामने रोजाना आने वाली चुनौतियों का आभास जरूर था। कई जगह कंसल्टेंट के रूप में काम करने के बाद जो अनुभव हुए, उसके आधार पर ही हमने देहात शुरू करने का निर्णय लिया। उसका एक सस्टेनेबल बिजनेस मॉडल क्रिएट किया। ओमनीवोर एवं एजीफंडर ने प्री-सीरीज ए राउंड की फंडिंग के तहत ४० लाख डॉलर का निवेश किया। हाल की फंडिंग से हमने अगले एक वर्ष में दस लाख किसानों तक पहुंचने का लक्ष्य 

रखा है।  

चुनौतियों से लिया सबक: शशांक बताते हैं कि किसानों के अलावा वेंचर से लघु उद्यमियों के लिए भी नये अवसर सृजित हुए हैं। वे किसानों से सीधा संपर्क स्थापित कर पा रहे हैं, उनके खेतों में जा रहे हैं और समस्याओं का समाधान निकाल रहे हैं। शुरुआत में सुदूर ग्रामीण इलाकों से सही जानकारी हासिल करना काफी मुश्किल था। इस दौरान हमने गलतियां कीं और उससे सबक लेकर आगे बढ़े। 

शशांक कुमार 

सह-संस्थापक एवं सीईओ, देहात 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.