Stay Home Stay Empowered : ऑनलाइन एजुकेशन से कोरोना की निगेटिविटी को हरा रहे स्कूली छात्र
कोरोना वायरस के चलते पूरी पूरे देश में लॉकडाउन है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। पर मुश्किल की इस घड़ी में ऑनलाइन एजुकेशन में जबरदस्त इजाफा हो रहा है।
नई दिल्ली, विनीत शरण। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। पर मुश्किल की इस घड़ी में ऑनलाइन एजुकेशन में जबरदस्त इजाफा हो रहा है। छोटे बच्चों के स्कूल से लेकर कॉलेज और यूनिवर्सिटी तक में डिजिटल क्लासेज चल रही हैं। इससे छात्रों को काफी फायदा हो रहा है। आइये जानते हैं कोरोना और लॉकडाउन के इस दौर में कैसे तेजी से बढ़ रहा है ऑनलाइन एजुकेशन, क्या हैं इसके फायदे और चुनौतियां?
बच्चों के भीतर सेल्फ केयर विकसित करने का बढ़िया वक्त
एजुकेशन एक्सपर्ट और एल्कॉन ग्रुप ऑफ स्कूल के डायरेक्टर अशोक पांडे ने बताया कि अभिभावकों को बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन से जोड़ना चाहिए, ताकि वे कोरोना के नकारात्मक माहौल से बाहर आ सकें। साथ ही बच्चों के भीतर सेल्फ केयर विकसित करने का यह बढ़िया वक्त है। यह अवसर बच्चों में आत्मविश्वास, फिजिकल फिटनेस और साहस जैसे गुणों को विकसित करने का है। अशोक पांडे खुद भी कई ऑनलाइन वेबिनार आयोजित कर बच्चों को कोरोना वायरस के बारे जागरूक कर रहे हैं और फिटनेस की सीख दे रहे हैं।
स्कूली बच्चों के लिए यूं चल रही ऑनलाइन क्लास
कानपुर के सेंट थॉमस स्कूल के कंप्यूटर शिक्षक विनोद खरे ने कहा, हमने अभी अपने छात्रों को पढ़ाने के लिए गूगल क्लास रूम को इंप्लिमेंट किया है। इसमें क्लास क्रिएट करते हैं और उसके कोड को उस क्लास के संबंधित बच्चों को देते हैं। क्लास में पहले लेक्चर दे देते हैं। फिर उसी लेक्चर के हिसाब से असाइनमेंट दे देते हैं। जूम क्लाउड मीटिंग का इस्तेमाल भी हो रहा है। हालांकि, इसमें इंटरनेट स्पीड और नेटवर्क जैसी समस्याएं आ रही हैं। विनोद खरे के अनुसार कोरोना लॉकडाउन के चलते स्कूली एजुकेशन एकाएक ऑनलाइन हो गई है, जिससे कई टीचरों को दिक्कत आ रही है। टीचर को 10 मिनट का वीडियो बनाने में एक से डेढ़ जीबी तक डेटा लग जा रहा है और उनके वीडियो में साउंड की भी समस्या रहती है। पर लॉकडाउन के बाद अगर टीचर को डिजिटल एजुकेशन की छोटी सी भी ट्रेनिंग दी जाए तो ऑनलाइन पढ़ाना स्कूल टीचर के लिए आसान हो जाएगा।
किस विषय को पढ़ाना आसान और किसे कठिन
विनोद खरे बताते हैं कि डिजिटल एजुकेशन में लेक्चर बेस्ड सब्जेक्ट को पढ़ाना आसान है, जैसे इंग्लिश, हिंदी, इतिहास, भूगोल, इकोनॉमिक्स। लेकिन जिस सब्जेक्ट में समझाना ज्यादा होता है, उसमें दिक्कत होती है, जैसे गणित, विज्ञान। ऐसे में लिखने के लिए कोई बोर्ड हो तो आसानी होती है।
किस क्लास के बच्चों के लिए बेहतर है ऑनलाइन एजुकेशन
विनोद खरे के अनुसार, प्री प्राइमरी के छात्रों के लिए डिजिटल एजुकेशन अच्छी है, लेकिन इससे ऊपर की क्लास में छात्र और टीचर के बीच इंट्रैक्शन जरूरी है। वहीं, ग्रेजुएशन और फिर प्रतियोगिता की तैयारी करने वालों के लिए डिजिटल एजुकेशन काफी अच्छी होती है, क्योंकि ये छात्र अपने विषय को अच्छी तरह से समझते हैं।
ग्रीस से सीखे हमारा देश
करेंट अफेयर ऐप KNAPPILY के सीईओ यशस्वी कुमार के मुताबिक ग्रीस में लॉकडाउन के इस समय में फोन और नेशनल टेलीविजन पर पढ़ाई की सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। इससे हम भी सीख सकते हैं कि कैसे देश के हर बच्चे तक और गांव के बच्चों तक डिजिटल एजुकेशन पहुंचाया जा सकता है। इसके लिए टीवी और रेडियो पर एजुकेशनल कंटेंट ज्यादा से ज्यादा मुहैया कराना चाहिए। इग्नू और यूजीसी के कंटेंट को बढ़ावा देना चाहिए। इनके पास बेहतरीन डिजिटल एजुकेशन कंटेंट है।
गांव तक भी पहुंचाना होगा ऑनलाइन-डिजिटल एजुकेशन
- यशस्वी कुमार का सुझाव है कि सरकारी टीचरों को भी ऑनलाइन एजुकेशन के लिए प्रेरित करना चाहिए।
-सरकारी टीचरों को डिजिटल एजुकेशन की भी ट्रेनिंग होनी चाहिए।
-3 घंटे की ट्रेनिंग काफी है टीचर के लिए।
-यह काम यूनिवर्सिटी लेवल से स्कूल लेवल तक के टीचरों के लिए होना चाहिए।
-बच्चों को भी डिजिटल एजुकेशन की ट्रेनिंग मिलनी चाहिए।
-हमें तैयारी इस तरह से करनी चाहिए कि गांव के बच्चे तक ऑनलाइन या टीवी के माध्यम से एजुकेशन पहुंच सके।
-कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में सरकार को भी प्रयोग करना चाहिए कि कैसे फ्री एजुकेशन कंटेंट गांवों तक पहुंचाया जा सकता है।
-रोज बच्चों को तीन घंटे का भी कंटेंट प्रदान कर दिया जाएगा तो लॉकडाउन बच्चों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है।
ऑनलाइन कोर्स चुनते समय ध्यान दें
-सेलेबस पर ध्यान देना चाहिए कि वह पूरा हो रहा है या नहीं।
-टॉपिक्स के हिसाब से कोर्स चुनना चाहिए।
-ठीक से सर्च करने के बाद किसी कोर्स को चुनना चाहिए।
स्कूली छात्रों को यहां थोड़ा संभलना होगा
1. सुरक्षा पर संकट- ऑनलाइन वर्क में सुरक्षा को खतरा हमेशा बना रहता है, क्योंकि कई ऑनलाइन अपराधियों को पता है कि कोरोना के इस वक्त में छात्र और शिक्षक ऑनलाइन हैं। यह खतरा स्कूली बच्चों पर ज्यादा होता है। स्कूलों की ज्यादातर वेबसाइटों में ऑनलाइन सुरक्षा का स्तर मजबूत नहीं होता है।
2. प्राइवेसी- ऑनलाइन एजुकेशन से छात्रों के काफी डेटा ऑनलाइन हो जाते हैं, जैसे, नाम, ईमेल, ग्रेड और टेस्ट स्कोर।
3. आइसोलेशन-ऑनलाइन एजुकेशन मुश्किल की इस घड़ी में ठीक है, लेकिन इससे आइसोलेशन का भी खतरा होता है।
4.जानते नहीं कौन कोर्स कैसा- अभी ऑनलाइन कोर्स और एजुकेशन को लेकर लोगों की समझ कम है। ऐसे में अच्छे कोर्स और खराब कोर्स की पहचान कम है।
5. बच्चों को शारीरिक तकलीफ़ का खतरा- बच्चों को लैपटॉप टैब या इस्तेमाल से पढ़ने की आदत कम होती है। इसलिए उन्हें पीठ दर्द जैसी तकलीफ़ भी हो सकती है। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के एक शोध के मुताबिक, बगैर नियमित कंप्यूटर सेटअप के डिजिटल एजुकेशन से बच्चों पर कई तरह की चोट का खतरा भी होता है।
साथ ही जरूरी है खेल, व्यायाम और पौष्टिक आहार
बच्चे इस वक्त ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं तो उनकी शारीरिक गतिविधि कम हो गई है, इसलिए उन्हें घर के भीतर खेलने का भी पूरा मौका दें। उनका आहार भी खूब पौष्टिक होना चाहिए।