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CBSE ने काफी अधिक बढ़ाई 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं की फीस, जानें इसकी मुख्‍य वजह

इस फीस बढ़ोत्तरी के पीछे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA)को वजह बताया जा रहा है।

By Rajat SinghEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 02:18 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 03:10 PM (IST)
CBSE ने काफी अधिक बढ़ाई 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं की फीस, जानें इसकी मुख्‍य वजह

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education- CBSE) ने कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की फीस बढ़ा दी है। एससी और एसटी के लिए कक्षा 10 वीं और 12वी की बोर्ड परीक्षाओं की फीस 50 रुपये से बढ़ाकर 1,200 रुपये कर दी गई है। वहीं, सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए फीस में दोगुना बढ़ोत्तरी की गई है। अब उन्हें 1500 रुपये देने होंगे। इस फीस बढ़ोत्तरी के पीछे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को वजह बताया जा रहा है।

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बता दें कि इससे पहले सीबीएसई देश भर की कई परीक्षाओं का आयोजन कराता था। इसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग के लिए होने वाले कॉमन टेस्ट भी शामिल थे। साल 2017 में केंद्र सरकार ने परीक्षाओं में पारदर्शिता और सीबीएसई से बोझ कम करने के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) का गठन किया। यह एजेंसी फिलहाल जेई मेंस, नीट फॉर अंडर ग्रेजुएट, राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET)और सामान्य प्रबंधन प्रवेश परीक्षा (CMAT) जैसी परीक्षाओं का आयोजन कराता है।

परीक्षाएं आयोजन कराने से सीबीएसई को आय होती थी, जो अब कम हो गई है। ऐसे में सीबीएसई ने फीस बढ़ाने का फैसला किया है। हालांकि, इस मामले पर सीबीएसई ने सफाई भी जारी की है। सीबीएसई ने बताया है कि बोर्ड परीक्षा की फीस पूरे भारत में बढ़ाई गई है, न कि केवल दिल्‍ली में। फीस में यह बढ़ोतरी पांच साल बाद की गई है।

द हिन्दू में छपी एक रिपोर्ट में सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक सन्याम भारद्वाज ने कहा कि पहले हम एनईईटी, जेईई-मेंंस और नेट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करते थे। इससे पैसे बचाते थे और स्कूल परीक्षाओं को सब्सिडी देने का काम करते थे। लेकिन यह अब असंभव है। हमने पिछले साल की स्कूल परीक्षाओं से 100 करोड़ रुपए के नुकसान का सामना किया है।

फीस की बढ़ोत्तरी से अभिभावक और छात्र दोनों परेशान नजर आ रहे हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को पांच विषयों के लिए फीस 50 रुपये से बढ़ाकर 1,200 रुपये कर दी गई। पहले यह सिर्फ दिल्ली में लागू था। जहां, फीस 350 रुपये थी, लेकिन इसमें 300 रुपये दिल्ली सरकार देती थी। फीस में इतनी बढ़ोत्तरी से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्र ज्यादा परेशान हैं।  

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