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किसी भी परिस्थिति में हार ना मानने वाले ही चखते हैं जीत का स्‍वाद

देश और दुनिया में आए दिन जीत का जज्बा रखने वाले ऐसे तमाम लोगों के उदाहरण हमारे सामने आते हैं जो न तो कभी हार मानते हैं और न ही रुकते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 01:21 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 01:38 PM (IST)
किसी भी परिस्थिति में हार ना मानने वाले ही चखते हैं जीत का स्‍वाद
किसी भी परिस्थिति में हार ना मानने वाले ही चखते हैं जीत का स्‍वाद

[अरुण श्रीवास्तव]। हम तड़के 3.30 बजे पोलैंड पहुंचे। सुबह 7.30 पर मेरा वजन होना था। मेरी वेट कैटेगरी 48 किग्रा है, पर मेरा वजन उससे करीब 2 किलो ज्यादा था। मेरे पास वजन कम करने के लिए बमुश्किल चार घंटे थे। यदि इतने में मेरा वजन 48 किग्रा या उससे कम नहीं होता, तो मैं डिस्क्वालिफाई हो जाती। इसलिए मैंने एक घंटे तक लगातार स्कीपिंग (उछल-कूद) की। इसके बाद मैं तैयार थी।’ जी हां, यह कहना था भारत की स्टार महिला मुक्केबाज एमसी मेरीकॉम का, जिन्होंने पिछले सप्ताह पोलैंड में संपन्न 13वें सिलिसियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में खेलने से पहले महज चार घंटे में न सिर्फ दो किलो वजन घटा लिया, बल्कि गोल्ड भी जीता। वे यहां गोल्ड जीतने वाली अकेली भारतीय रहीं। यह उनका साल का तीसरा गोल्ड मेडल है। इससे पहले वे गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम और इंडिया ओपन में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। पांच बार वर्ल्ड खिताब जीतने वाली करीब साढ़े 35 साल की यह महिला बॉक्सर कहती हैं, ‘अगर मैं गोल्ड नहीं जीतती, तब मुझे लगता है कि मैं फेल हो गई हूं। दो महीने बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेरा अगला टेस्ट है।’

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जज्बे का एक और ताजा उदाहरण। 66 साल के एंड्रयू मैकडोनाल्ड फिलहाल ब्रिटेन में पायलट इंस्ट्रक्टर हैं, पर यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया है। करीब छह साल पहले वह एक सफल वकील थे। एक दिन अचानक गिरने के बाद जांच में उन्हें हार्ट की बीमारी का पता चला। डॉक्टर ने पूछा, आगे की जिंदगी के बारे में क्या सोचा है। एंड्रयू ने हैरान करने वाला जवाब दिया, दूसरे वर्ल्ड वार का मशहूर फाइटर जेट स्पिटफायर उड़ाना। वह अपना तीस साल पुराना सपना पूरा करने में जुट गए। इस बीच मोतियाबिंद ने उन्हें परेशान किया, पर ऑपरेशन के बाद वह फिर अपने अभियान में लग गए। आखिर उन्होंने परीक्षा पास कर ली और गुडवुड एयरोड्रम पर पंजीकरण कराया। यहां पहले चिकपक और हार्वर्ड विमान उड़वाकर उनकी क्षमता को परखा गया। फिर एक पूर्व कमांडर के साथ वह स्पिटफायर में सवार हुए। कमान उन्हीं के हाथ में थी। इस दौरान उन्होंने कई करतब भी दिखाए।

जीत की जिद

हाल के ये उदाहरण साबित करते हैं कि अगर मन में चाह हो, तो कोई भी मुश्किल राह में बाधा नहीं बन सकती। लेकिन इसके लिए जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी है, वह है मन की मजबूती और अपने लक्ष्य पर अडिग रहना। चार घंटे में दो किलो वजन कम करने के मेरीकॉम के जज्बे पर उन लोगों को आश्चर्य हो सकता है, जो अपना वजन कम करने के लिए जिम में महीनों पसीने बहाते हैं पर जीवनशैली और खानपान में अनुशासन उन्हें स्वीकार नहीं होता। दरअसल, उत्साही और कर्मठ लोगों के मन में हमेशा आगे बढ़ने और उसके लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने का जुनून होता है। उन्हें अपनी मंजिल पता होती है। मेरीकॉम खुद कहती हैं कि मैं अपने प्रदर्शन से कभी संतुष्ट नहीं होती। यही कारण है कि अपने लिए हमेशा नई-नई स्ट्रेटेजी बनाती रहती हूं। बेशक बॉक्सिंग को लेकर जुनूनी हूं, पर इसके लिए सबसे पहले अपने प्रतिद्वंद्वी की तकनीक को समझने के लिए उसकी पूरी स्टडी करती हूं और फिर अपनी स्ट्रेटेजी बनाती हूं।

बनी रहे सकारात्मकता

अगर आप अपनी रुचियों और क्षमता को अच्छी तरह समझते हुए उसी दिशा में ईमानदारी और मेहनत से प्रयास करते हैं, तो एक न एक दिन कामयाबी अवश्य मिलेगी। हां, अगर भरसक प्रयास करने के बावजूद भी मंजिल पर पहुंचने से पहले आपके कदम लड़खड़ाते हैं या आप लक्ष्य को हासिल करने से चूक जाते हैं, तो इससे घबराने और हताश होने की जरूरत बिल्कुल नहीं है। यह सोचकर खुद को तसल्ली दें कि कहीं न कहीं आपके प्रयासों में कोई चूक जरूर रह गई होगी, तभी आपके कदम लड़खड़ाए। अन्यथा आपके आत्मविश्वास का स्तर कम नहीं होता और आपको हार का स्वाद नहीं चखना पड़ता। आपका इरादा पक्का है, तो अपने उत्साह पर इसका असर न पड़ने दें। अपनी जिद की खुराक को दोगुना कर दें और फिर कमजोरियों को दूर करते हुए पूरे मन से प्रयास करें। आप महसूस करेंगे कि आप पूरे उत्साह से हर दिन जीत की तरफ बढ़ रहे हैं।

न डगमगाएं इरादे

हर किसी के जीवन में छोटी-बड़ी मुश्किलें आती रहती हैं, लेकिन मन को मजबूत रखने वाले लोग इनके आगे समर्पण न करते हुए इनका डटकर मुकाबला करते हैं। अगर कोई इनका सामना किए बिना हार जाता है, तो इसका मतलब है कि वह पहले से ही हारा हुआ है। इसलिए सबसे पहले इस हारे हुए मन को मजबूत करने की जरूरत होती है। यदि आप अपने रोजमर्रा के जीवन में उत्साह, खुशी, मुस्कान, सकारात्मक सोच, किसी भी चुनौती को आगे बढ़कर स्वीकार करने की पहल को शामिल करते हैं, तो एक दिन आप यह पाएंगे कि कोई भी मुश्किल आपकी राह में बाधा नहीं बन पाएगी। आप हर मुश्किल का सामना मुस्कुराते हुए कर सकेंगे।

सपनों को बनाएं हकीकत

जो सपने नहीं देखता और वह उन्हें पाने की दिशा में प्रयत्न भी नहीं करता। इसलिए सपने जरूर देखें। पर सिर्फ सपने देखने से ही मंजिल नहीं मिल जाती। हालांकि बहुत से लोग बड़े-बड़े सपने तो देखते हैं, उसके लिए खुद को तैयार करने की जहमत नहीं उठाते। किसी भी तरह के सपने को पूरा करने के लिए अपने भीतर उससे संबंधित योग्यता और सक्षमता को लगातार निखारना पड़ता है।

हार से सीखें सबक

ऐसा नहीं है कि सपने देखने और उसके लिए प्रयास करने वालों को पहली बार में ही कामयाबी मिल जाती है। दुनिया में किसी भी क्षेत्र में कामयाब हुए लोगों के जीवन को देखें, तो आप पाएंगे कि उनमें से ज्यादातर को शुरुआती प्रयासों में असफलता के साथ-साथ दुत्कार की जिल्लत भी मिली थी। लेकिन उन्हें खुद पर भरोसा था और जीतने की जिद थी, इसलिए अपनी हार में भी उन्हें जीत दिखाई दी।

हम में से ज्यादातर लोग जरा-सी मुश्किल सामने आने पर हारकर चलना छोड़ देते हैं, जबकि देश और दुनिया में आए दिन जीत का जज्बा रखने वाले ऐसे तमाम लोगों के उदाहरण हमारे सामने आते हैं जो न तो कभी हार मानते हैं और न ही रुकते हैं। चाहे उनके सामने कितनी भी बड़ी परेशानी क्यों न आए। आगे बढ़ने के लिए धैर्य के साथ मन की दृढ़ता कितनी जरूरी है। 


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