Tourning Point: चुनौती नया सीखने की
करियर में आगे बने रहने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि बदलते दौर की जरूरतों को समझते हुए खुद को अपग्रेड करें नई-नई चीजों में रुचि लें और उन्हें हमेशा जल्दी सीखने के लिए अपनी तत्परता दिखाएं...
श्रीनिवास वी डेम्पो। पहले की तुलना में आज देश में बहुत सारे अच्छे शैक्षणिक संस्थान हैं, जहां अच्छी और उच्च गुणवत्ता की शिक्षा युवाओं को मिल रही है। मेरी राय में एक शैक्षणिकक संस्थान की गुणवत्ता का प्रमाण उसके पूर्व छात्रों की उपलब्धियां होती हैं, न कि विभिन्न सूचियों पर इसकी रैंकिंग। आज की तारीख में कई शीर्ष वैश्विक कंपनियों का नेतृत्व भारतीय संस्थानों से उत्तीर्ण हमारे डिग्रीधारी युवा ही कर रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय विश्वविद्यालयों के तमाम पूर्व छात्र पश्चिमी देशों के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, वित्त या शिक्षाविदों के टैलेंट पूल का हिस्सा हैं। यह ठीक बात है कि इतना सब अच्छा करने के बावजूद भारत दुनिया के इन सर्वश्रेष्ठ छात्रों को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रहा है और वे आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाना पसंद कर रहे हैं। वैसे, यह प्रवृत्ति नियम-कानूनों में परिवर्तन और उसे उन्नत करके बदली जा सकती है। शिक्षा के उदारीकरण से वैश्विक शिक्षा, व्यवसाय और प्रयोगशालाओं के साथ भारतीय शिक्षाविदों के अधिक एकीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा। अभी हमें शिक्षण और अनुसंधान में नवाचारों को बढ़ावा देकर छात्रों को लाभान्वित करने और बड़े पैमाने पर समाज व समुदाय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपने शिक्षण संस्थानों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्वरूप में बदलने की आवश्यकता है।
महंगी होती शिक्षा एक चुनौती : अभी हमें शिक्षा को एक व्यापक नजरिये से देखने की जरूरत है। इसे सिर्फ एक लाभदायक व्यवसाय नहीं माना जाना चाहिए। ऐसा इसलिए कि यह आधुनिक जीवन और नागरिकता की मूलभूत आवश्यकता में से एक है। इस कारण कई सोसाइटीज शिक्षा को पूरी तरह से बाजार पर छोड़ देने के पक्षधर नहीं हैं, उन्हें इसमें जोखिम दिखता है। वैसे, अभी का पूरा जोर इसी पर है कि कैसे राज्य द्वारा मान्यताप्राप्त शिक्षा को सभी के लिए सस्ता और सुलभ बनाए रखा जाए। किसी भी मामले में लाभ को सिर्फ एक लेखा शब्द के रूप में ही देखना चाहिए। शिक्षा कतई एक मुनाफा कमाने वाला बिजनेस नहीं हो सकता है। इसलिए अक्सर शिक्षण शुल्क सामाजिक और राजनीतिक चिंताएं पैदा करती रहती हैं। लेकिन यह भी सच है कि शिक्षा आजकल ट्यूशन से कहीं अधिक बिजनेस हो गया है। ऐसे में भारत जैसे देशों के सामने शिक्षा को सभी के लिए सुलभ और सस्ता बनाने की चुनौती बनी हुई है।
अपनाएं प्राचीन शिक्षा के मूल गुणों को : हमें अपनी आधुनिक शिक्षा को लगातार समृद्ध करते हुए प्राचीन शिक्षा प्रणाली से भी कुछ सीख लेनी चाहिए। अगर प्राचीन शिक्षा व्यवस्था को देखें तो प्राचीन भारत में शिक्षा राजकुमारों, पुजारियों और व्यापारियों तक ही सीमित थी और वे लोग सामाजिक संरचना के तहत अपने विशिष्ट कार्य के लिए ही विशेष शिक्षा प्राप्त करते थे। इसके उलट आधुनिक दौर में शिक्षा सभी के लिए उपलब्ध है और यह मानक के अनुरूप भी है। लेकिन आधुनिक शिक्षा को प्राचीन शिक्षा से यह सीख लेनी चाहिए कि कैसे कम उम्र से ही कौशल और अमूर्त सोच पर ध्यान केंद्रित किया जाए। शिक्षार्थियों के बीच मानवतावादी मूल्यों का निर्माण कैसे किया जाए। माता समान पृथ्वी और इसके प्राकृतिक संसाधनों के प्रति कैसे प्रेम और देखभाल की भावना विकसित करें। प्राचीन शिक्षा व्यृवस्थां की ये कुछ ऐसी खूबियां हैं, जो वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में अपनाई जानी चाहिए।
आनलाइन शिक्षा ने कम की दूरी : अभी आनलाइन शिक्षा के रूप में शिक्षा का एक नया स्वरूप हमारे सामने है। देखा जाए तो कोविड के दौरान इस प्रौद्योगिकी ने ही शिक्षा को बचाया और अब कक्षा शिक्षा और आनलाइन शिक्षा के बीच की वह दूरी नहीं रह गई है। प्रौद्योगिकी लगातार शिक्षण सामग्री, वितरण, पैमाना और उसके अर्थशास्त्र आदि सभी को भी बदल रही है। आज शिक्षा के डिजिटलीकरण ने इसे और अधिक किफायती, सुलभ और लचीला बना दिया है। हालांकि अभी इसकी स्वीकार्यता पर एक बड़ा प्रश्न चिह्न भी है, लेकिन माना जा रहा है कि भविष्य में उच्च क्षमता वाले नेटवर्क और डिवाइस आने पर हालात बदलेंगे। वैसे डिजिटल एजुकेशन का आभासी अनुभव और व्यापक होता जा रहा है, क्योंकि इसमें लैब के साथ कक्षाएं और फील्ड स्टडीज शामिल हो रही हैं। कुल मिलाकर, शिक्षा को सभी के लिए अधिक सुलभ और किफायती बनाने में प्रौद्योगिकी एक बड़े संबल के रूप में उभरकर सामने आ रही है।
अनुभव और नेटवर्क का कोई विकल्प नहीं : शिक्षा के आधुनिकीकरण के साथ वर्तमान चुनौतियों में से एक यह भी है कि हम युवा पेशेवरों को उनके बेहतर करियर के लिए कैसे तैयार करें और व्यवस्था बनाएं। वैसे, अच्छी शिक्षा अच्छे करियर की नींव मानी जाती है, लेकिन यह अनुभव और नेटवर्क का विकल्प नहीं हो सकता है। इसलिए युवाओं को तय शिक्षा के अलावा खुद ही सीखने और नेटवर्किंग के अवसरों की तलाश करनी चाहिए। वैसे, तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था में अच्छे करियर के लिए सिर्फ एक विशेषज्ञता से काम नहीं चलने वाला है। क्योंकि आगे अच्छे करियर के लिए एक से अधिक विशेषज्ञता की आवश्यकता होगी। करियर एक से अधिक इंडस्ट्री से जुड़ा होगा। ऐसे में करियर में सफलता के लिए कौशल और नेटवर्क की उपयोगिता बनी रहेगी।
सीखते रहें नई चीजें : लगातार बदलते रोजगार परिदृश्य और बढ़ती स्पर्धा को देखते हुए अपने अनुभव से युवाओं को यही सलाह देना चाहूंगा कि अपने आपको नये ज्ञान और अनुभवों के लिए खोले रखें और अपने विश्वास व उद्देश्य को भी लगातार उन्नत करते रहें। इसके साथ ही युवाओं को एक और सुझाव देना चाहूंगा कि अपने सीखने की गति को बढ़ाएं। चीजों को तेजी से सीखें। क्योंकि जैसे नई-नई तकनीकें आती रहेंगी, बहुत से ज्ञान और जानकारियों का महत्व कम होता जाएगा, उनके अप्रचलित होने का जोखिम अधिक रहेगा। ऐसे में नई-नई चीजों को जल्दी सीखने की रुचि और उत्सुकता ही आपको आगे ले जाएगी।
श्रीनिवास वी डेम्पो
प्रेसिडेंट, एआइएमए