Move to Jagran APP

बच्चों को टेंशन और डिप्रेशन से बचाती हैं दिल्ली सरकार की हैप्पीनेस क्लासेस

दिल्ली सरकार ने बच्चों के अंदर से तनाव दूर करने के लिए एक साल पहले नया पाठक्रम लेकर आई। अब सवाल है कि आखिर इस हैप्पीनेस क्लासेस में होता क्या है?

By Rajat SinghEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 12:19 PM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 12:35 PM (IST)
बच्चों को टेंशन और डिप्रेशन से बचाती हैं दिल्ली सरकार की हैप्पीनेस क्लासेस

नई दिल्ली, जेएनएन। Happiness Classes: पढ़ाई के बढ़ते दबाव और पारिवारिक-सामाजिक उथल-पुथल और बढ़ती उम्‍मीदों के कारण इन दिनों छात्रों में तनाव और डिप्रेशन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यही कारण है कि एग्जाम के समय 10वीं और 12वीं के छात्रों द्वारा आत्महत्या की घटनाएं सामने आ रही हैं। यहां तक कि मेडिकल और इंजीनियरिंग के छात्र भी कोर्स और कम्पटीशन के दबाव से तनाव और डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है कि समय रहते अगर उचित कदम नहीं उठाया गया तो स्कूली बच्चों में डिप्रेशन की समस्या और बढ़ सकती है। इसे देखते हुए दिल्‍ली सरकार ने अभिनव प्रयोग किया है, जिसका नाम है- हैप्‍पलीनेस क्‍लासेज।

loksabha election banner

उसके एक साल पूरा हो जाने पर सरकार हैप्पीनेस उत्सव मना रही है। इस कार्यक्रम में देश-विदेश की कई हस्तियां भाग ले रही हैं। इनमें सुपर 30 कोचिंग के संस्थापक आनंद कुमार, थ्री इडियट फेम इंजीनियर से शिक्षा सुधारक बने सोनम वांगचुक जैसे लोग हैं। अब सवाल है कि आखिर इस हैप्पीनेस क्लासेस में होता क्या है?

45 मिनट की होती है क्लास
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 45 मिनट की एक स्पेशल क्लास लगाई जाती है। इसमें बच्चों का तनाव दूर करने का प्रयास किया जाता है। नर्सरी से कक्षा 8वीं के बच्चों के लिए यह क्लास होती है । इससे बच्चों में आत्मविश्वास को बढ़ाने और खुश रहने के साथ भावनात्मक रूप से मजबूत बनने की कला सिखाई जाती है। 

ध्यान, एकस्ट्रा एक्टिविटीज और खुशी
इस क्लास में कोई विषय नहीं पढ़ाया जाता है। इसमें परंपरागत पाठ्यक्रम से हटकर कुछ नए प्रयोग किए गए हैं। इसमें बच्चों को ध्यान का अभ्यास कराया जाता है। उन्हें कहानी सुनाने का मौका दिया जाता है। वे सिर्फ कहानी ही नहीं सुनाते बल्कि उसे प्रदर्शित करने के लिए कला, स्किट आदि का सहारा भी लेते हैं। इस क्लास में ग्रुप डिसक्शन भी होता है। बच्चे प्ले भी करते हैं। उन्हें खुद को व्यक्त करने का भरपूर मौका मिलता है।

आखिर हैप्पीनेस क्लासेस क्यों?
भारत में आत्महत्या पर किए गए एक शोध से पता चलता है कि बच्चे स्कूल कई चिंताएं साथ लेकर आते हैं। सीखने और कम्पटीशन के अलावा छात्रों के ऊपर पारिवारिक और आसपास की भी कई चिंताएं होती हैं। उनका मानसिक स्वास्थ्य इस वजह से खराब हो जाता है। भारत में वैसे भी मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोग इतने गंभीर नहीं है। ऐसे में हैप्पीनेस क्लासेज बच्चों को कहानी, कविताओं और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से खुश करने का एक प्रयास है।

कुछ और राज्य कर सकते हैं फॉलो
दिल्ली के अलावा देश के कई राज्य इस मॉडल को फॉलो करने का प्रयास कर रहे हैं। उत्तराखंड में भी दिल्ली सरकार के हैप्पीनेस क्लासेज के फार्मूले को लेकर सरकार वेट एंड वॉच मोड में है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के बाद हैप्पीनेस क्लासेस की कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके अलावा मेघालय भी ऐसा ही प्रोग्राम शुरू करना चाहता है।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.