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NCERT: मूक बधिर छात्रों के लिए एनसीईआरटी पुस्तकों का भारतीय सांकेतिक भाषा में होगा रूपांतरण

NCERT केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय शैक्षिक अनुंसधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) के बीच एक समझौता 6 अक्टूबर 2020 को किया गया है।

By Rishi SonwalEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 10:13 AM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 10:14 AM (IST)
NCERT: मूक बधिर छात्रों के लिए एनसीईआरटी पुस्तकों का भारतीय सांकेतिक भाषा में होगा रूपांतरण
इस समझौते से देश भर में मूक बधिर छात्रों को उच्च-स्तरीय पाठ्य-सामग्री उपलब्ध कराई जा सकेंगी।

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। NCERT: देश भर में मूक बधिर छात्रों को उच्च-स्तरीय पाठ्य-सामग्री उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय शैक्षिक अनुंसधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) के बीच एक समझौता किया गया है। एनसीईआरटी और आईएसएलआरटीसी के बीच यह समझौता मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020 को किया गया।

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एनसीईआरटी और आईएसएलआरटीसी के बीच हुए समझौते को लेकर केंद्री शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, “आज एनसीईआरटी और आईएसएलआरटीसी के बीच हुए एक एतिहासिक समझौते (MoU) से हिंदी और अंग्रेजी माध्यम की कक्षा I-XII तक की सभी NCERT पाठ्यपुस्तक, शिक्षक पुस्तिका तथा अन्य पूरक पाठ्यपुस्तक एवं संसाधनों को भारतीय सांकेतिक भाषा मपरिवर्तित किया जा सकेगा।“

वहीं दूसरी तरफ, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थवरचंद गहलोत ने कहा, “आज आईएसएलआरटीसी और एनसीईआरटी के बीच एक महत्वपूर्ण एमओयू हस्ताक्षर हुआ। मैं इस अवसर पर श्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक जी और विभाग के अधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित करता हुँ साथ ही आईएसएलआरटीसी और एनसीईआरटी, दोनों संस्थाओं को तथा देश के लाखों मूक बधिर छात्रों और उनके अभिभावकों व शिक्षकों को बधाई देता हूँ।“

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार मंत्रालय सचिव शकुंतला गैमलिन के कहा कि अभी तक मूक बधिर छात्र मौखिक या लिखित माध्यमों से ही पढ़ाई कर पा रहे थे, लेकिन इस समझौते से वे भारतीय सांकेतिक भाषा में भी पढ़ाई कर पाएंगे। इससे न सिर्फ उनकी शब्दावली बढ़ेगी बल्कि कॉन्शेप्ट को समझने में उऩकी क्षमता का भी विकास होगा। उन्होंने बताया कि बच्चों की समझ बचपन में ही विकसित हो जाती है, ऐसे मे जरूरी है कि उन्हें उनकी जरूरत के हिसाब से पाठ्य-सामग्री उपलब्ध करायी जाए।

बता दें कि आईएसएलआरटीसी भारतीय सांकेतिक भाषा के प्रसार, इसमें शिक्षण और शोध के लिए मानव संसधान के विकास में कार्य करने वाला एक स्वायत्तशासी निकाय और राष्ट्रीय स्तर का संस्थान है।


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